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Payment of revised pension with arrears of Rs. 11.25 lakh after 07 years to Ms. Samtha Kumari’s: Success Story of CPENGRAMS portal

Payment of revised pension with arrears of Rs. 11.25 lakh after 07 years to Ms. Samtha Kumari’s: Success Story of CPENGRAMS portal

7. SUCCESS STORIES: PORTAL

7.3. Name: Ms. Samtha Kumari

Success Story on CPENGRAMS Portal: Payment of revised pension with arrears of Rs. 11.25 lakh after 07 years to Ms. Samtha Kumari’s

In a poignant tale of perseverance and determination, Ms. Samtha Kumari, residing in a serene town in Pathanamthitta district, Kerala, found herself navigating a bureaucratic labyrinth to claim what was rightfully hers after her husband’s untimely demise.

Background

Ms. Samtha Kumari’s husband, Shri T G Vikraman Nair, served diligently as a BSF pensioner. Following his passing on February 3, 2020, Ms. Kumari embarked on a mission to secure the pending financial dues owed to her late husband under the ACP/MACP scheme. This included significant amounts such as Gratuity, leave encashment, and arrears of Pay and Allowances from the date of financial upgradation.

The Journey to Justice

Despite the bureaucratic hurdles, Ms. Kumari initiated her claim in October 2020. Her application, initially forwarded to the Personnel Administration Directorate (PAD), BSF, New Delhi in December 2022, seemed like a small victory. However, realizing the need for more proactive steps, her son discovered the CPENGRAMS portal. This pivotal discovery led to the filing of a grievance (DOPPW/E/2023/0026358) on June 22, 2023.

The grievance, swiftly forwarded to the Ministry of Home Affairs (MHA) and subsequently to BSF, marked a turning point. The case underwent meticulous examination by PAD, BSF, accompanied by several rounds of observations and responses. Finally, after due diligence, a revised Pension Payment Order (PPO) was issued and forwarded to the Central Pension Accounting Office (CPAO).

Achieving Closure

On January 18, 2024, Ms. Samtha Kumari’s battle for justice culminated in the closure of her case. She received a commendable sum of Rs. 14.25 lakh, which included arrears of Rs. 11.25 lakh, allowing her to settle outstanding financial obligations, including pension and gold loan repayments incurred during her late husband’s treatment.

Gratitude and Reflection

Overwhelmed with gratitude, Ms. Kumari lauded the CPENGRAMS portal, expressing, “Procedure adopted by the CPENGRAMS for closing the grievance till its finality is superb. Now, I can repay the pension and gold loan taken for treatment of late husband. No words to express my gratitude.”

Conclusion

Ms. Samtha Kumari’s journey exemplifies resilience and the power of citizen-centric platforms like CPENGRAMS in achieving justice. Her story serves as an inspiration and a testament to the effectiveness of administrative mechanisms in addressing citizen grievances promptly and fairly.

In summary, Ms. Samtha Kumari’s triumph on the CPENGRAMS portal not only secured her rightful dues but also stands as a beacon of hope for countless others navigating similar challenges across the country. Her unwavering determination and the support of administrative channels underscore the transformative impact of timely redressal of grievances in the lives of citizens.

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लेख का शीर्षक: सफलता की कहानी CPENGRAMS पोर्टल पर: श्रीमती सामथा कुमारी की विजय

7. सफलता की कहानियाँ: पोर्टल

7.3. नाम: श्रीमती सामथा कुमारी

संघर्ष और दृढ़ संकल्प की यह दिलचस्प कहानी, केरल के पथानमथिट्टा जिले के एक छोटे से शहर में निवास करने वाली श्रीमती सामथा कुमारी की है, जिन्होंने अपने पति के अनकालिक निधन के बाद अपने हक की मांग को पूरा करने के लिए विभिन्न सरकारी प्रक्रियाओं से निपटने की कहानी लिखी।

पृष्ठभूमि

श्रीमती सामथा कुमारी के पति, श्री टी जी विक्रमण नायर, एक बीएसएफ पेंशनर थे। उनके अनिर्दिष्ट कार्यकाल के बाद मृत्यु हो गई, जिसके बाद श्रीमती कुमारी ने उनके अंतिम समय में बकाया वित्तीय अधिकारों को प्राप्त करने के लिए एक मिशन शुरू किया। इसमें ग्रेच्यूटी, अवकाश एनकैशमेंट, और वेतन और भत्तों के बकाया शामिल थे, जो वित्तीय उन्नयन की तारीख से अनुदान के बाद देने के लिए थे।

न्याय की यात्रा

ब्यूरोक्रेटिक अडंबरों के बावजूद, श्रीमती कुमारी ने अपनी दावा 2020 के अक्टूबर में शुरू की। उनका आवेदन, जिसे शुरू में पीएडी, बीएसएफ, नई दिल्ली को भेजा गया था, दिसंबर 2022 में, एक छोटी जीत की तरह लग रहा था। लेकिन, अधिक सक्रिय कदमों की आवश्यकता को समझते हुए, उनके बेटे ने CPENGRAMS पोर्टल की खोज की। इस महत्वपूर्ण खोज ने 22 जून, 2023 को एक शिकायत (डीओपीडब्ल्यू/ई/2023/0026358) दाखिल करने का मार्ग प्रदान किया।

इस शिकायत को त्वरित रूप से गृह मंत्रालय (एमएचए) और उसके बाद बीएसएफ को भेजा गया, जिससे मामला एक परिवर्तन का प्रतीक बना। मामले की सूची पीएडी, बीएसएफ द्वारा संशोधित की गई और कई समयों के अवलोकन और जवाब के बाद, एक संशोधित पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ) जारी किया गया और केंद्रीय पेंशन लेखा कार्यालय (सीपीएओ) को भेजा गया।

समाप्ति

18 जनवरी, 2024 को, श्रीमती सामथा कुमारी की न्याय की लड़ाई उसके मामले के समाप्त होने पर समाप्त हुई। उन्होंने 14.25 लाख रुपये की एक महत्वपूर्ण राशि प्राप्त की, जिसमें 11.25 लाख रुपये के बकाया शामिल थे, जिससे उन्होंने अपने लेट पति के इलाज के दौरान उठाए गए पेंशन और सोने के ऋण का समाधान करने में सक्षम हुए।

कृतज्ञता और विचार

हृदयस्पर्शी कृतज्ञता के साथ, श्रीमती कुमारी ने CPENGRAMS पोर्टल की सराहना की “CPENGRAMS द्वारा शिकायत को अंतिमत: समाप्ति तक पहुंचाने का तरीका शानदार है। अब मैं अपने लेट पति के इलाज के लिए लिए गए पेंशन और सोने के ऋण को चुका सकती हूँ। इस आभास को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं।”

निष्कर्ष

श्रीमती सामथा कुमारी की यात्रा दृढ़ता और CPENGRAMS जैसे नागरिक-केंद्रित प्लेटफ़ॉर्मों की शक्ति का उदाहरण है। उनकी कहानी प्रेरणा का स्रोत है और यह साबित करती है कि प्रशासनिक यंत्रों के समय पर नागरिक शिकायाओं के समाधान में किए गए कार्यों का कैसे महत्वपूर्ण परिणाम होता है।

संक्षेप में, श्रीमती सामथा कुमारी की CPENGRAMS पोर्टल पर विजय ने न केवल उनके वित्तीय अधिकारों को सुनिश्चित किया, बल्कि देशभर में समान समस्याओं का सामना कर रहे अनगिनत लोगों के लिए आशा की प्रेरणा भी बनी। उनकी अड़म्यता और प्रशासनिक संचालन के समर्थन के संगठनात्मक प्रणालियाँ नागरिकों के जीवन में समय पर और निष्पक्ष शिकाया समाधान के प्रति आशावादी प्रभाव को स्पष्ट करती हैं।

Source: DoPPW

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