प्रतिनियुक्ति के दौरान पद पर अधिक समय तक बने रहने वाले मामलों की तत्काल समीक्षा: डीओपीटी का.ज्ञा.

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प्रतिनियुक्ति के दौरान पद पर अधिक समय तक बने रहने वाले मामलों की तत्काल समीक्षा: डीओपीटी का.ज्ञा.

प्रतिनियुक्ति के दौरान पद पर अधिक समय तक बने रहने वाले मामलों की तत्काल समीक्षा: डीओपीटी का.ज्ञा. दिनांक 22.03.2023

सं.-2/6/2023-स्था.(वेतन-1)
भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग

नॉर्थ ब्लॉक, नई दिल्‍ली
दिनांक: 22 मार्च, 2023

कार्यालय ज्ञापन

विषयः प्रतिनियुक्ति के दौरान पद पर अधिक समय तक बने रहने वाले मामलों की तत्काल समीक्षा।

English: Urgent review of cases of overstay while on deputation: DoP&T Order dated 22.03.2023

प्रतिनियुक्ति के अनुमोदित कार्यकाल के पश्चात्‌ पद पर अधिक समय तक बने रहने वाले मामलों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के दिनांक 29.11.2006 के का.ज्ञा. सं. 1401730/2006-स्था.(आरआर) और दिनांक 01.03.2011 के का.ज्ञा. सं. 608/2009-स्था.(वेतन-॥) के तहत जारी किए गए अनुदेशों की ओर ध्यान आकर्षित किया जाता है।

2. इस संबंध में, यह उल्लेख करना प्रासंगिक है कि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के दिनांक 17.06.2010 के का.ज़ा. सं. 6/8/2009-स्था.(वेतन-॥) में दर्शाए गए प्रतिनियुक्ति/विदेश सेवा के कार्यकाल को अभिशासित करने वाले प्रावधानों में छूट देते हुए, इस विभाग ने दिनांक 17.02.2016 के का.ज्ञा. सं. 2/6/2016-सथा. (वेतन-॥)) के तहत अदाता (बॉरोइंग) संगठन को उनके संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय/विभाग के मंत्री के अनुमोदन से प्रतिनियुक्ति के कार्यकाल में, जहां लोकहित में यह अत्यंत आवश्यक हो, एक बार में अधिकतम 7 वर्ष की अवधि तक के लिए विस्तार करने की शक्तियां प्रदत्त की है। हालांकि, प्रतिनियुक्ति/विदेश सेवा के कार्यकाल को अभिशासित करने वाले प्रावधानों में अनुमति दी गई छूट के बावजूद भी, इस विभाग में प्रतिनियुक्ति के अनुमोदित कार्यकाल के पश्चात्‌ अधिक समय तक पद पर बने रहने की अवधि को नियमित करने के लिए प्रस्ताव प्राप्त होते रहे हैं।

3. उपर्युक्त के मद्देनजर, इस विभाग के दिनांक 29.11.2006 और 01.03.2011 के कार्यालय ज्ञापनों के तहत जारी किए गए प्रतिनियुक्ति/विदेश सेवा के कार्ययाल को अभिशासित करने वाले निम्नलिखित अनुदेशों को कड़ाई से अनुपालन के लिए दोहराया जाता है-

  1. प्रतिनियुक्ति के निबंधन और शर्तें न केवत्र पद के भर्ती नियमों के अनुसार प्रतिनियुक्ति की अवधि अथवा सक्षम प्राधिकारी द्वारा यथाअनुमोदित अवधि को स्पष्ट रूप से निधारित करेंगे बल्कि प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारी को कार्यमुक्त करने की तारीख को भी निर्धारित करेंगे। अधिकारी को कार्यमुक्त करने के लिए किसी अगले आदेश की आवश्यकता नहीं होगी;
  2. वर्तमान में, प्रतिनियुक्ति पर मौजूद अधिकारियों सहित प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारी, प्रतिनियुक्ति की अवधि के समाप्त होने की तारीख को कार्यमुक्त किए गए समझे जाएंगे, जब तक कि सक्षम प्राधिकारी अपेक्षित अनुमोदनों के साथ, कार्यकाल की समाप्ति की तारीख से पहले लिखित रूप में, प्रतिनियुक्ति की अवधि में विस्तार नहीं करे। यह आसन्‍न वरिष्ठ अधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि वह यह सुनिश्चित करे कि प्रतिनियुक्ति पर जाने वाला अधिकारी कार्यकाल के पश्चात्‌ पद पर अधिक समय तक नहीं बना रहे। किसी अधिकारी के किसी भी कारण से पद पर अधिक समय तक बने रहने के अवसर पर, वह अनुशासनिक कार्रवाई और अन्य प्रतिकूल सिविल सेवा परिणामों के लिए उत्तरदायी होता है, जिसमें अप्राधिकृत रूप से पद पर अधिक समय तक बने रहने की अवधि की गणना पेंशन के उददेश्य से अर्हक सेवा के रूप में नहीं करना शामिल होगा और अप्राधिकृत रूप से पद पर बने रहने की अवधि के दौरान कोई भी वेतनवृद्धि, उस अधिकारी के उसके मूल संवर्ग में कार्यभार ग्रहण करने की तारीख तक, संचयी प्रभाव के साथ आस्थगित कर दी जाएगी।
  3. प्रतिनियुक्ति के आदेश के जारी होने से पूर्व संबंधित अधिकारी से प्रतिनियुक्ति के निबंधन और शर्तों पर लिखित रूप से सहमति ली जाएगी।

4. प्राथमिक रूप से अदाता (बॉरोइंग) संगठन की यह जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारी को उनके प्रतिनियुक्ति कार्यकाल्न की समाप्ति की तारीख को कार्यमुक्त किया जाए। निश्चुग्रों के अंतर्गत प्रतिनियुक्ति के कार्यकाल विस्तार करने का कोई भी प्रस्ताव, कार्यकाल की समाप्ति से पर्याप्त समय-पूर्व शुरू किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारी और प्रदाता (लैंडिंग) संगठन की भी यह जिम्मेदारी होती है कि वह प्रतिनियुक्ति कार्यकाल की समाप्ति के बारे में अदाता (बॉरोइंग) संगठन को सूचित करे।

5, मंत्रालयों/विभागों को यह सलत्राह दी जाती है कि वे उपर्युक्त अनुदेशों को, वर्तमान में प्रतिनियुक्ति पर गए सभी अधिकारियों और प्रतिनियुक्ति के मामलों को अभिशासित करने वाले कार्यालयों को सूचना तथा कड़ाई से अनुपालन हेतु परिचालित करे।

6. मंत्रालय/विभाग भी प्रतिनियुक्ति के सभी मामत्रों की स्थिति की समीक्षा करें और अपचारी (डेलीक्वेंट) कार्मिकों के पक्ष में प्रतिनियुक्ति की अनुमोदित अवधि के पश्चात्‌ पद पर अधिक समय तक बने रहने वाले मामलों का देर से निपटान करने से बचें।

(सुकदेव साह)
अवर सचिव, भारत सरकार
दूरभाष सं. 011-23090489

सेवा में,
भारत सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग-कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की वेबसाइट के माध्यम से।

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