Protection of Defence Personnel from the local police स्थानीय पुलिस से रक्षाकर्मियों की सुरक्षा
GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF DEFENCE
DEPARTMENT OF MILITARY AFFAIRS
LOK SABHA
UNSTARRED QUESTION NO. 424
TO BE ANSWERED ON 03″ February, 2023
PROTECTION OF DEFENCE PERSONNEL
424. SHRI N.K. PREMACHANDRAN:
Will the Minister of DEFENCE be pleased to state:
(a) whether the Government ensures the protection of Defence Personnel from the local police;
(b) if so, the details of protection provided to the Defence Personnel against the harassment by local police;
(c) whether the local police in-charge of law andorder is legally liable to report the action taken against the Defence personnels alleging the charge of crime, if so, the details of action taken thereon;
(d) whether the Government is aware of thereport regarding the manhandling of Defence personnels at Kilikolloor Police Station, Kollam in Kerala, if so, the details thereof;
(e) whether the Defence Department initiates action to protect the Defence Personnel, if so, the details of the action taken thereon; and
(f) whether the Government proposes to ensure adequate protection to Defence personnels
and their family members, if so, the details thereof?
ANSWER
MINISTER OF STATE (SHRI AJAY BHATT)
IN THE MINISTRY OF DEFENCE
(a) to (f): ‘Police’ and ‘Public Order’ are State subjects under the Seventh Schedule to the Constitution of India. The State Governments are competent to deal with maintaining the law and order, protection of life and property of the citizens including actions on the basis of any specific or perceived threat situation.
The relevant acts of the Armed Forces do provide privilege from arrest to their personnel for debt under any process issued by or by the authority of any civil or revenue court or revenue officer. However, it is stated that the privilege from arrest is on civil or revenue process only and there is no privilege from arrest on any criminal process except as provided in section 45 and 475 of the Code of Criminal Procedure (Cr.PC.) Additionally, under section 197 of Code of Criminal Procedure, prior sanction from a competent officer is needed to prosecute a government servant for alleged criminal act done in discharge of his official duty and no court shall take cognizance of such offence except with the previous sanction of the Central Government.
All statutory provisions mentioned above are meant to provide protection to Armed Forces Personnel for any act done on furtherance of their official duties. These statutory safeguards are not applicable to their family members. However, in all cases, every possible assistance is provided to such personnel and their families by their Commanding officer or the nearest military authority.
The Government does ensure protection of Armed Forces Personnel, in their places of duty/operation. During their leave, while provision of physical security by the Armed Forces is not feasible, the service personnel, if required, are provided protection by the police itself or they approach the local military authorities, through their parent units for any kind of assistance.
भारत सरकार
रक्षा मंत्रालय
सैन्य कार्य विभाग
लोक सभा
अतारांकित प्रश्न संख्या 424
03 फरवरी, 2023 को उत्तर के लिए
रक्षाकर्मियों की सुरक्षा
424. श्री एन.के.प्रेमचन्द्रन :
क्या रक्षा मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:
(क) क्या सरकार स्थानीय पुलिस से रक्षाकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है. ;
(ख) यदि हां, तो स्थानीय पुलिस द्वारा उत्पीड़न से रक्षाकर्मियों को प्रदान की गई सुरक्षा का ब्यौरा क्या है ;
(ग) क्या कानून और व्यवस्था प्रभारी स्थानीय पुलिस अधिकारी अपराध का आरोप लगाते हुए रक्षाकर्मियों के विरुद्ध की-गई-कार्रवाई की रिपोर्ट करने के लिए कानूनी रूप से उत्तरदायी है और यदि हां, तो उस पर की गई कार्रवाई का ब्यौरा क्या है ;
(घ) कया सरकार केरल के कोल्लम में किकिकोलूर पुलिस स्टेशन में रक्षाकर्मियों से की गई हाथापाई की रिपोर्ट से अवगत है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है ;
(ङ ) क्या रक्षा विभाग ने रक्षाकर्मियों की सुरक्षा के लिए कार्रवाई शुरू की है और यदि हां, तो उस पर की गई कार्रवाई का ब्यौरा क्या है ; और
(च) क्या सरकार का विचार रक्षाकर्मियों और उनके परिवार के सदस्यों की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने का है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा कया है ?
उत्तर
रक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री (श्री अजय भट्ट)
(क) से (च): भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अन्तगत. ‘पुलिस’ और ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ राज्य के विषय हैं | राज्य सरकारें किसी विशिष्ट या अनुभूत खतरे की स्थिति के आधार पर कार्रवाई करने सहित कानून व्यवस्था बनाए रखने और नागरिकों के जीवन एवं सम्पत्ति की रक्षा करने के लिए सक्षम हैं।
सशस्त्र सेनाओं के संगत अधिनियमों में अपने कार्मिकों के लिए जारी की गई किसी प्रक्रिया के अन्तर्गत या किसी सिविलत्र प्राधिकरण अथवा राजस्व न्यायालय या राजस्व अधिकारी द्वारा कर्ज के लिए गिरफ्तार करने के बारे मे विशेषाधिकार का प्रावधान है | तथापि यह उल्लेख किया जाता है कि गिरफ्तार करने के बारे में विशेषाधिकार केवल सिविल या राजस्व प्रक्रिया के बारे में हैं और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 45 और 475 में यथा उपबंधित के सिवाय किसी आपराधिक प्रक्रिया पर गिरफ्तार करने के बारे में कोई विशेषाधिकार नहीं है। इसके अलावा दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 197 के अन्तर्गत सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने कर्तव्य के निर्वहन में किए गए कथित आपराधिक कृत्य के लिए उस पर मुकदमा चलाने के लिए सक्षम प्राधिकारी से अग्रिम स्वीकृति लेना आवश्यक होता है।
उपरोक्त सभी सांविधिक प्रावधान सशस्त्र सेना कार्मिकों के लिए उनके शासकीय कर्तव्यों की सहायता पर किए गए किसी कृत्य से रक्षा प्रदान करने के लिए अभिप्रेत हैं। ये सांविधिक पूर्वोपाय उनके पारिवारिक सदस्यों के लिए लागू नहीं होते हैं | तथापि सभी मामलों में ऐसे कार्मिकों और उनके परिवारों को उनके कमांडिंग आफिसर अथवा नजदीकी सैन्य प्राधिकरण द्वारा सभी संभव सहायता प्रदान की जाती है।
सरकार सशस्त्र सेना कार्मिकों की रक्षा उनके इयूटी तैनाती स्थान/ आपरेशन पर सुनिश्चित करती है | उनके अवकाश पर रहने के दौरान सशस्त्र सेनाओं द्वारा वास्तविक सुरक्षा का प्रावधान व्यवहार्य नहीं है इसलिए सैन्य कार्मिकों को यदि आवश्यक हो तो स्वयं पुलिस द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाती है या वे अपनी मूल यूनिटों के माध्यम से किसी प्रकार की सहायता के लिए स्थानीय सैन्य प्राधिकरणों से सम्पर्क करते हैं।
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