HomeWages

Living Wage in place of Minimum Wage for all workers – सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी के स्थान पर निर्वाह के लायक मजदूरी

Living Wage in place of Minimum Wage for all workers – सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी के स्थान पर निर्वाह के लायक मजदूरी. About government is considering shifting from the minimum wages to living wages to pull millions of people out of poverty

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF LABOUR AND EMPLOYMENT
RAJYA SABHA
UNSTARRED QUESTION NO. 83
TO BE ANSWERED ON 02.02.2023

LIVING WAGE IN PLACE OF MINIMUM WAGE FOR ALL WORKERS

83. SHRI JAGGESH:

Will the Minister of Labour and Employment be pleased to state:

(a)whether it is a fact that Government is considering shifting from the minimum wages to living wages to pull millions of people out of poverty;

(b)whether Government is weighing pros and cons of living wage on its huge financial implications for India Inc and Government is indexed to inflation;

(c)whether the members of the International Labour Organisation (ILO) have reportedly requested the United Nations to help them with a better understanding of living wages by undertaking peer-reviewed research; and

(d)if so, the details thereof?

ANSWER

MINISTER OF STATE FOR LABOUR AND EMPLOYMENT
(SHRI RAMESWAR TELI)

(a) & (b): Provision of minimum wages under the Minimum Wages Act, 1948 provides for cost of living allowance as a component of minimum wages. Accordingly, the Central Government revises the cost of living allowance called as Variable Dearness Allowance (V.D.A) on basic rates of minimum wages under the Minimum Wages Act, 1948, every six months effective from 1st April and 1st October every year on the basis of Consumer Price Index for Industrial workers to protect the minimum wages against inflation.

Recently the provisions of the Minimum Wages Act, 1948, have been rationalized and subsumed under the Code on Wages, 2019 and the components of minimum wages stipulated therein also provide for cost of living allowance. Further, the Code makes minimum wages universally applicable across employments and thus moves ahead from restrictive applicability of minimum wages limited to scheduled employments as provided for under the Minimum Wages Act, 1948.

(c) & (d): No specific information is available in the matter.


भारत सरकार
श्रम और रोजगार मंत्रालय
राज्य सभा
अतारांकित प्रश्न संख्या 83
गुरुवार, 02 फरवरी, 2023 /13 माघ, 1944 (शक)

सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी के स्थान पर निर्वाह के लायक मजदूरी

83. श्री जग्गेश:
क्या श्रम और रोजगार मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:

(क) क्या यह सच है कि सरकार लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए न्यूनतम मजदूरी को निर्वाह के लायक मजदूरी में बदलने पर विचार कर रही है;

(ख) क्या सरकार इंडिया इंक और सरकार पर पड़ने वाले भारी वित्तीय निहितार्थों के नफा-नुकसान पर विचार कर रही है क्‍योंकि निर्वाह लायक मजदूरी से मुद्रास्फीति बढ़ेगी;

(ग) कया अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के सदस्यों ने कथित रूप से संयुक्त राष्ट्र से सहकर्मी-समीक्षा अनुसंधान के माध्यम से निर्वाह मजदूरी की बेहतर जानकारी प्राप्त करने में उनकी सहायता करने का अनुरोध किया है; और

(घ) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?

उत्तर

श्रम और रोजगार राज्य मंत्री
(श्री रामेश्वर तेली)

(क) और (ख): न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के अंतर्गत न्यूनतम मजदूरी हेतु प्रावधान में न्यूनतम मजदूरी के एक घटक के रूप में जीवन-निर्वाह भत्ते की लागत का उपबंध किया गया है। तदनुसार, केंद्र सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष मंहगाई के प्रभावों से न्यूनतम मजदूरी का संरक्षण करने के लिए न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के अंतर्गत निर्वाह भत्ते, जिसे परिवर्तनीय मंहगाई भत्ते (वी.डी.ए.) के रूप में जाना जाता है, मेँ प्रत्येक छ: महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर न्यूनतम मजदूरी की मूल दरों में संशोधन किए जाते हैं जो 1 अप्रैल और 1 अक्तूबर से प्रभावी होते हैं।

वर्तमान में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के उपबंधों को तर्कसंगत बनाया गया है और इसे मजदूरी संहिता, 2019 के अंतर्गत सम्मिल्रित किया गया है एवं इसमें निर्धारित न्यूनतम मजदूरी के घटकों में भी जीवन-निर्वाह भत्ते की ल्रागत हेतु उपबंध किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, इस संहिता में न्यूनतम मजदूरी को सार्वभौमिक रूप से सभी रोजगारों पर लागू किया जाता है और इस प्रकार यह न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के अंतर्गत यथाउपबंधित अनुसूचित नियोजनों तक सीमित न्यूनतम मजदूरी की प्रतिबंधात्मक अनुप्रयोज्यता के दायरे को विस्तृत बनाती है।

(ग) और (घ): इस मामले में कोई विशिष्ट सूचना उपलब्ध नहीं है।

View/download the PDF

COMMENTS

WORDPRESS: 0