Confirmation of Tickets under Emergency Quota आपातकालीन कोटे के अंतर्गत टिकट की पुष्टि
GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF RAILWAYS
LOK SABHA
UNSTARRED QUESTION NO. 995
TO BE ANSWERED ON 08.02.2023
CONFIRMATION OF TICKETS UNDER EMERGENCY QUOTA
995. SHRI Y. DEVENDRAPPA:
SHRI SUNIL KUMAR SINGH:
SHRI SHIVAKUMAR C. UDASI:
SHRI DILIP SAIKIA:
Will the Minister of RAILWAYS be pleased to state:
(a)whether very less Railway Tickets are getting confirmed under emergency quota against the letters issued by the Members of Parliament particularly in the trains passing from Delhi or from their respective Lok Sabha Constituencies and if so, the reasons therefor;
(b) whether some people are getting their tickets confirmed unlawfully through agents and if so, whether any measures have been taken by the Government to discontinue the said practice;
(c) whether the Government is considering to confirm the tickets favourably against the letters issued by the Members of Parliament, if so, the details thereof and if not, the reasons therefor; and
(d) whether the Government is considering on switching the requests for getting the railway tickets confirmed through VIP quota to online mode, if so, the details thereof and if not, the reasons therefor?
ANSWER
MINISTER OF RAILWAYS, COMMUNICATIONS AND ELECTRONICS & INFORMATION TECHNOLOGY (SHRI ASHWINI VAISHNAW)
(a)to (c) : In order to meet the urgent travel requirements of High Official Requisition (HOR) holders, which includes’ Central Government Ministers, Judges of Hon’ble Supreme Court/High Courts of various States, Members of Parliament and other emergent demands, who are on the waiting list, a limited accommodation is earmarked as Emergency Quota in different trains and in different classes. The quota is released by the Railways in accordance with the priority as per warrant of precedence and well-established practice being followed since long. At the time of allotment of accommodation, emergency quota is first allotted for self travel of HOR holders/Members of Parliament, etc., strictly as per their inter-se seniority in warrant of precedence. Thereafter, other requisitions received from various quarters including those from Hon’ble Members of Parliament are considered and the remaining quota is released taking into account various factors like nature of urgency like travelling on government duty, bereavement in the family, sickness, job interview, etc. While the requests forwarded by Hon’ble MPs (for other than self-travel) are generally complied with, at times, particularly during week-ends and peak periods, when demand exceeds the availability, it is not feasible to accommodate all such requests.
Some instances of getting accommodation released out of Emergency Quota on account of fake letterheads of high dignitaries have come to notice. With a view to prevent malpractices, reservation requests received from various quarters for release of accommodation out of Emergency Quota are checked from time to time and in case where there is a doubt about the genuineness of the request/letter, the position is checked up by speaking to the concerned person on phone. Instructions on this account which already exist are reiterated from time to time. Further, when there is gap in demand and supply of reserved accommodation, particularly during peak rush periods, efforts are made to bridge this gap by planning holiday special trains during the peak rush periods, putting on extra coaches to meet the day-to-day requirements and increasing the number of coaches on permanent basis in those trains which have high demand and patronage, subject to operational feasibility. (Moreover, random checks are conducted in association with Vigilance Organisation. If any Railway official is found involved in any irregularity, the official is taken up under Disciplinary & Appeal Rules. The process of checks and tightening of procedures is a continuous activity and is closely monitored.
(d): With a view to avoid misuse of facility of release of accommodation out of Emergency Quota by unscrupulous elements, the emergency quota is released based on written requests received from authorized officers. At present, there is no proposal under consideration to accept such requests through any online mode of communications.
भारत सरकार
रेल मंत्रालय
लोक सभा
08.02.2023 के
अतारांकित प्रश्न सं. 995 का उत्तर
आपातकालीन कोटे के अंतर्गत टिकट की पुष्टि
995. श्री वाई. देवेन्द्रप्पा:
श्री सुनील कुमार सिंह:
श्री एस.सी. उदासी:
श्री दिलीप शइकीया:
क्या रेल मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे किः
(क) क्या संसद सदस्यों द्वारा जारी किए गए पत्रों के आधार पर आपातकालीन कोटे के अंतर्गत विशेषकर दिल्ली से या उनके संबंधित ल्रोक सभा निर्वाचन क्षेत्रों से गुजरने वाली रेलगाड़ियों में बहुत कम रेल टिकटों की पुष्टि की जा रही है और यदि हां, तो इसके क्या कारण हैं;
(ख) क्या कुछ लोग अभिकर्ताओं के माध्यम से गैर-कानूनी तरीके से अपने टिकटों की पुष्टि करवा रहे हैं और यदि हां, तो क्या सरकार द्वारा उक्त प्रथा को समाप्त करने के लिए कोई उपाय किए गए हैं;
(ग) क्या सरकार संसद सदस्यों द्वारा जारी किए गए पत्रों के आधार पर टिकटों की पुष्टि करने पर विचार कर रही है, यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं; और
(घ) क्या सरकार वीआईपी कोटे के माध्यम से रेल टिकटों की पुष्टि कराने के अनुरोधों को ऑनलाइन मोड में बदलने पर विचार कर रही है, यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा कया है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं?
उत्तर
रेल, संचार एवं इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री (श्री अश्विनी वैष्णव)
(क) से (ग): प्रतीक्षा-सूची वाले उच्च पदाधिकारी मांगपत्र (एचओआर) धारकों, जिनमें केंद्र सरकार के मंत्री, माननीय उच्च नन््यायालय/विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायात्रयों के न्यायाधीश, संसद सदस्य शामिल होते हैं, की तत्काल यात्रा आवश्यकताओं और अन्य आकस्मिक मांगों को पूरा करने के लिए विभिन्न गाड़ियों में और विभिन्न श्रेणियों में आपातकालीन कोटे के रूप में बर्थों की सीमित संख्या निर्धारित की गई है। यह कोटा वारंट ऑफ प्रीसिडेंस के आधार पर प्राथमिकता के अनुसार रेलवे द्वारा जारी किया जाता है और इसमें काफी लंबे समय से एक सुनिर्धारित परिपाटी अपनाई जा रही है। बर्थों के आबंटन के समय वारंट ऑफ प्रीसिडेंस में उनकी पारस्परिक-वरिष्ठता का कड़ाई से अनुपात्रन करते हुए स्वयं यात्रा करने वाले एचओआर धारकों/संसद सदस्यों आदि के लिए सर्वप्रथम आपातकालीन कोटा आबंटित किया जाता है। इसके बाद, विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त अन्य मांगपत्रों, जिसमें संसद सदस्यों के मांग-पत्र भी शामिल होते है, पर विचार किया जाता है और शेष कोटे को यात्रियों, सरकारी इयूटी पर यात्रा करने जैसी तात्कालिकता, परिवार में शोक, बीमारी, नौकरी के लिए साक्षात्कार, आदि जैसे विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए जारी किया जाता है। यद्यपि, माननीय सांसदों द्वारा (स्वयं की यात्रा के अलावा) प्राप्त अनुरोधों के मामले में, मांग बर्थों की उपलब्धता से अधिकहोने के कारण ऐसे सभी अनुरोधों को समाहित करना, कभी-कभी व्यावहारिक नहीं होता है।
गणमान्य व्यक्तियों के जाली लेटर हैड के कारण आपातकालीन कोटे से सीट जारी करवाने के कुछ मामले ध्यान में आए हैं। कदाचारों को रोकने की इष्टि से, आपातकालीन कोटा से एकोमोडेशन जारी करने के लिए विभिन्न वर्गों से प्राप्त आरक्षण अनुरोधों की समय-समय पर जांच की जाती है और यदि अनुरोध/ पत्र की वास्तविकता के बारे में संदेह होता है, तो संबंधित व्यक्ति से फोन पर बात करके स्थिति की जांच की जाती है। इस बारे में अनुदेश, जो पहले से मौजूद हैं, समय-समय पर दोहराए जाते हैं। इसके अलावा, जब आरक्षित एकोमेडेशन की मांग और आपूर्ति में अंतर होता है, विशेष रूप से अत्यंत भीड़-भाड़ की अवधि के दौरान, तब अत्यंत भीड़-भाड़ की अवधि के दौरान परिचालनि क व्यवहार्यता के अ ध्यधीन अवकाश विशेष गाड़ियां चलाकर, दिन-प्रतिदिन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त सवारी डिब्बों को लगाकर और उन गाड़ियों जिनमें मांग और यात्रियों की संखया अधिक होती है, में स्थायी आधार पर सवारी डिब्बों की संख्या बढ़ाकर इस अंतर को पाटठटने के प्रयास किए जाते हैं | इसके अलावा, सतर्कता संगठन के सहयोग से औचक जांच की जाती है। यदि कोई रेलवे कर्मचारी किसी अनियमितता में संलिप्त पाया जाता है, तो कर्मचारी के विरूद्ध अनुशासन एवं अपील नियमों के तहत कारीवाई जाती है। जांच और कार्यप्रणाली में सखती की प्रक्रिया निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है और इसकी बारीकी से निगरानी की जाती है।
(घ) अनैतिक तत्वों द्वारा आपातकाल्लीन कोटे से एकोमोडेशन जारी किए जाने की सुविधा के दुरुपयोग से बचने के लिए, अधिकृत अधिकारियों से लिखित अनुरोध के आधार पर आपातकालीन कोटा जारी किया जाता है। वर्तमान में, संचार के किसी भी ऑनलाइन माध्यम से अनुरोध प्राप्त करने के संबंध में किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा रहा है।
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