Alleged Harassment by Income Tax Authorities आयकर अधिकारियों द्वारा कथित रूप से परेशान किया जाना

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Alleged Harassment by Income Tax Authorities आयकर अधिकारियों द्वारा कथित रूप से परेशान किया जाना

Alleged Harassment by Income Tax Authorities आयकर अधिकारियों द्वारा कथित रूप से परेशान किया जाना

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF FINANCE
DEPARTMENT OF REVENUE
LOK SABHA
STARRED QUESTION NO. 56
TO BE ANSWERED ON MONDAY, 06th FEBRUARY, 2023/ MAGHA 17, 1944 (SAKA)

ALLEGED HARASSMENT BY INCOME TAX AUTHORITIES

56. SHRIMATI MAHUA MOITRA:
Will the Minister of FINANCE be pleased to state:

(a) whether amendment to the Finance Act in April 2022 has resulted in changes wherein the Income Tax authorities while assessing the income tax of individuals and companies and conducting searches and raids after April 2021 have to presume the deemed acceptance of previous income that has escaped assessment and if so, the details thereof; and

(b) whether the Income Tax authorities are reportedly using the aforesaid provision to reassess individuals and companies and conduct search and seizes by taking into account the previous income of past three years and earlier without giving prior information to the assessees and if so, the details thereof and the reaction of the Government thereto?

ANSWER

THE MINISTER OF FINANCE
(SHRIMATI NIRMALA SITHARAMAN)

(a) and (b): No

1. The scheme for re-assessment of income escaping assessment, as laid down in Section 148 of the
Income Tax Act, 1961 (‘Act’) was reformed by the Finance Act, 2021 & Finance Act, 2022. The new scheme was introduced with an intent to reduce litigation and provide ease of doing business to taxpayers by reducing the time limit and specifying a higher threshold by which a notice for assessment or reassessment or re-computation can be issued. Simultaneously, assessments/re-assessments/re-computation in search & seizure cases initiated after 31°‘ March 2021 have been brought under the ambit of Section 148 in place of the erstwhile sections 153A/153C of the Act.

2. The salient features of the new scheme under Section 148 for search & seizure cases, inter-alia,
include:

  • In search cases, the time limit to issue notice for re-assessment was reduced to 3 years from the end of the relevant assessment year as against erstwhile 6 years period.
  • Notices can now be issued beyond 3 years and upto 6 years from the end of the relevant assessment year only for cases wherein income chargeable to tax which has escaped assessment 1s likely to exceed rupees fifty lakh in the form of: (a) an asset; or (b) expenditure in respect of a transaction or in relation to an event or occasion; or (c) an entry or entries in the books of account as against no such threshold in the earlier regime.
  • For the purpose of issuance of notice beyond 6 years and upto 10 years from the end of the relevant assessment year, the provisions for reopening of assessment are similar with respect to the threshold limit as applicable for search assessment prior to 01.04.2021.
  • Before issuance of notice under Section 148 of the Act by the Assessing Officer, for re- opening of assessments 1n search & seizure cases, prior approval of specified authority is now mandatory, which was not so for initiation of proceedings under Section 153A/153C of the Act.
  • Further, if search & seizure action reveals any _ evidence/assets/documents, etc. belonging/relating to any person other than the searched person, prior approval of the specified authority is required to ensure that the evidence/ assets/ documents, etc. belongs/relates to that person, before the initiation of re-assessment proceedings under Section 148. As against this, no prior approval of higher authority was required for issuance of notice under Section 153C of the Act.

3. After issuance of notice u/s 148 with the approval of specified authority, the AO, following the principle of natural justice, provides adequate opportunity of being heard to the assessee before framing the assessment.


भारत सरकार
वित्त मंत्रालय
राजस्व विभाग
लोक सभा
तारांकित प्रश्न सं. *56
जिसका उत्तर सोमवार, 6 फरवरी, 2023/17 माघ, 1944 (शक) को दिया जाना है।

आयकर अधिकारियों द्वारा कथित रूप से परेशान किया जाना

*56. सुश्री महुआ मोइत्रा :
क्या वित्त मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे किः

(क) क्या अप्रैल, 2022 में वित्त अधिनियम में संशोधन के परिणामस्वरूप ऐसे परिवर्तन हुए हैं जिनमें आयकर अधिकारी अप्रैल, 2021 के बाद व्यक्तियों और कंपनियों के आयकर का आकलन करते समय और तलाशी और छापेमारी करते समय निर्धारण से छूट गई पिछली आय के बारे में मानित स्वीकृति मान लेते हैं और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्‍या है; और

(ख) क्‍या आयकर अधिकारी कथित तौर पर निर्धारितियों को पूर्व सूचना दिए बिना पिछले तीन वर्षों और उससे पहले की आय को ध्यान में रखते हुए व्यक्तियों और कंपनियों के संबंध में पुन: निर्धारण करने तथा तलाशी व जब्ती करने के लिए उपर्युक्त प्रावधान का उपयोग कर रहे हैं और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और इस पर सरकार की कया प्रतिक्रिया है?

उत्तर

वित्त मंत्री
(श्रीमती निर्मला सीतारामन)

(क) और (ख): जी, नहीं।

1. जैसाकि आयकर अधिनियम, 1961 (‘अधिनियम‘) की धारा 148 में प्रतिपादित किया गया है, निर्धारण से बच निकलने वाली आय को पुनर्निर्धारण किये जाने की योजना में वित्त अधिनियम, 2021 और वित्त अधिनियम, 2022 के द्वारा सुधार किया गया था। इस नयी योजना को मुकदमे बाजी को कम करने और समय सीमा को कम करके और अपेक्षाकृत उच्च सीमा को विनिर्दिष्ट करते हुए करदाताओं के लिए ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के इरादे से शुरू किया गया था जिसके द्वारा निर्धारण/ या पुनर्निर्धारण या पुनर्गणना के लिए नोटिस जारी किया जा सकता है। साथ ही, 31 मार्च 2021 के बाद शुरू किए गए तलाशी और जब्ती के मामलों में भी निर्धारण/पुनर्निर्धारण /पुनर्गणना को इस अधिनियम की पूर्ववर्ती धाराओं 153क/153ग के बजाय धारा 148 के दायरे में लाया गया है।

2. तलाशी और जब्ती मामलों संबंधी धारा 148 के अन्तर्गत नई योजना की मुख्य विशेषताओं में, अन्य बातों के साथ-साथ निम्न शामिल हैं:

  • तलाशी मामलों में, पुर्ननिर्धारण के लिए नोटिस जारी करने की समय सीमा को घटाकर संगत निर्धारण वर्ष की समाप्ति के बाद से तीन वर्ष कर दिया गया था, क्‍योंकि इसके पहले यह अवधि 6 वर्ष थी।
  • अब संगत निर्धारण वर्ष की समाप्ति से तीन वर्ष से आगे और 6 वर्ष तक की अवधि के लिए केवल उन्हीं मामलों में नोटिस जारी किए जा सकते हैं जिनमें कर के लिए प्रभार्य आय जो निर्धारण से बच गई है, जिसके निम्नलिखित के रूप में 50 रूपये से अधिक होने की संभावना है : (क) कोई आस्ति; अथवा (ख) किसी लेन-देन अथवा किसी आयोजन अथवा अवसर के संबंध में व्यय; या (ग) बहीखाते में कोई प्रविष्टि या प्रविष्टियों जिनके सामने पूर्व व्यवस्था में ऐसी कोई सीमा नहीं है।
  • संगत निर्धारण वर्ष की समाप्ति से 6 वर्ष से आगे और 10 वर्ष तक नोटिस को जारी करने के प्रयोनार्थ, निर्धारण को पुन: शुरू करने संबंधी प्रावधान दिनांक 01.04.2021 से पूर्व तलाशी निर्धारण के लिए यथा लागू सीमा के संबंध में समान है।
  • निर्धारण अधिकारी द्वारा इस अधिनियम की धारा 148 के तहत नोटिस जारी करने से पहले, तलाशी और जब्ती के मामलों में निर्धारण को फिर से शुरु करने के लिए, अब विनिर्दिष्ट प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य है, जो इस अधिनियम की धारा 153क/153ग के तहत कार्यवाहियों को प्रारम्भ करने के लिए नहीं थी।
  • इसके अलावा, यदि तलाशी और जब्ती कार्रवाई तलाशी किए गए व्यक्ति के अलावा किसी व्यक्ति से संबद्ध/संबंधित किसी साक्ष्य/संपत्ति/दस्तावेज आदि का पता चलता है तो यह सुनिश्चित करने के लिए कि साक्ष्य/संपत्ति /दस्तावेज़ आदि उस व्यक्ति के हैं/उसी से संबंधित हैं, धारा 148 के तहत पुन: निर्धारण कार्यवाहियों से पूर्व, विनिर्दिष्ट प्राधिकारी का पूर्व अनुमोदन जरूरी है, जैसाकि इसके विरूद्ध उच्चुतर प्राधिकारी का पूर्व अनुमोदन इस अधिनियम की धारा 153ग के तहत नोटिस को जारी करने के लिए अपेक्षित नहीं था।

3. विनिर्दिष्ट प्राधिकारी के पूर्व अनुमोदन से धारा 148 के तहत नोटिस जारी करने के पश्चात्‌, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के अनुसरण में मूल्यांकन अधिकारी, मूल्यांकन तैयार करने से पहले निर्धारिती को सुनवाई का पर्याप्त अवसर प्रदान करता है ।

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