Reservation Limits for EWS आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण-सीमा
GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF SOCIAL JUSTICE & EMPOWERMENT
RAJYA SABHA
STARRED QUESTION NO – 153
ANSWERED ON – 16/03/2022
RESERVATION LIMITS FOR EWS
153 #. SMT. CHHAYA VERMA
Will the Minister of SOCIAL JUSTICE AND EMPOWERMENT be pleased to state:-
(a) whether it is a fact that due to the EWS reservation to General category, the reservation has exceeded 50 per cent, causing violation ofrules;
(b) whether Government would propose to restrict reservation below 50 per cent;
(c) whether Government would propose to give reservation to Economically Weaker Sections of OBCs on the lines of 10 per cent reservation for EWS of General Category in addition to 27 per cent reservation; and
(d) whether giving 10 per cent reservation to the General Category by ignoring social and educational backwardness for reservation is constitutional?
ANSWER
MINISTER OF SOCIAL JUSTICE AND EMPOWERMENT
(DR. VIRENDRA KUMAR)
(a) & (b) Hon’ble Supreme Court in its judgment dated 16th November, 1992 in the Indra Sawhney case W.P. (C) No.930 of 1990, has decided that reservation under Articles 15(4) and 16(4) of the Constitution should not exceed 50%. The total reservation given to SC, ST and OBC under these Articles does not exceed 50%. The reservation given to the Economically Weaker Sections (EWS) has been provided by the Government under provisions of Articles 15(6) and 16(6), which were inserted vide the Constitution 103rd Amendment Act 2019. Thus the 10% reservation given to EWS, does not violate the 50% limit on reservations given under Articles 15(4) and 16(4).
(c) No Sir.
(d) Reservation to the Economically Weaker Section has been given by the Government as per provisions of Articles 15(6) and 16(6) of the Constitution. 27% reservation to the Socially and Economically Backward Classes is being given by the Government as per the provision of Articles 15(4) and 16(4) . Thus while giving 10% reservation to the EWS, the welfare of the Socially and Educationally Backward Classes has not been ignored by the Government.
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भारत सरकार
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय
राज्य सभा
तारांकित प्रश्न संख्या; #153
उत्तर देने की तारीख: 16.03.2022
आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण-सीमा
*153, श्रीमती छाया वर्मा:
क्या सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:
(क) क्या यह सच है कि सामान्य वर्ग को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के अधीन आरक्षण दिए जाने से आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो गई है, जिससे नियमों की अवहेलना हो रही है;
(ख) कया सरकार आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से नीचे तक सीमित करने पर विचार करेगी;
(ग) क्या सरकार सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को दिए जा रहे 10 प्रतिशत आरक्षण की तरह अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को 27 प्रतिशत से इतर आरक्षण देने पर विचार करेगी; और
(घ) क्या सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन को दरकिनार करते हुए सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना संवैधानिक है?
उत्तर
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री
(डॉ. वीरेन्द्र कुमार)
(क) और (ख): माननीय उच्चतम न्यायालय ने इंदिरा साहनी मामला डब्ल्यूपी(सी) में रिट याचिका संख्या 1990 की 930 में 16 नवंबर, 1992 के अपने निर्णय में यह फैसला दिया था कि संविधान के अनुच्छेदों 15(4) और 16(4) के तहत आरक्षण 50% से अधिक नहीं होना चाहिए। इन अनुच्छेदों के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को दिया गया कुल आरक्षण 50% से अधिक नहीं है। सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को अनुच्छेदों 1506) और 16(6) के तहत आरक्षण प्रदान किया जा रहा है। इन अनुच्छेदों को संविधान के 103वें संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा शामिल्र किया गया था। अत: ईडब्ल्यूएस को दिया गया 10% आरक्षण, अनुच्छेदों 15(4) और 16(4) के तहत दिए गए आरक्षण की 50% सीमा का उल्लंघन नहीं करता है।
(ग): जी, नहीं।
(घ): सरकार दवारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को संविधान के अनुच्छेदों 1516) और 16(6) के प्रावधानों के अनुसार आरक्षण दिया गया है। सरकार द्वारा सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को अनुच्छेदों 15(4) और 16(4) के प्रावधानों के अनुसार 27% आरक्षण दिया जा रहा है। अतः सरकार द्वारा ईडब्ल्यूएस को 10% आरक्षण देते हुए सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के कल्याण को नजरअंदाज नहीं किया गया है।
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Source: Rajya Sabha PDF
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