Contribution of employees and EPF ईपीएफ के अंतर्गत कर्मचारियों का अंशदान
GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF LABOUR AND EMPLOYMENT
LOK SABHA
UNSTARRED QUESTION NO. 2024
TO BE ANSWERED ON 14.03.2022
CONTRIBUTION OF EMPLOYEES AND EPF
T 2024. SHRI NIHAL CHAND:
Will the Minister of LABOUR AND EMPLOYMENT be pleased to state:
(a)the details of the contribution of basic salary of employees under the Employees Provident Fund as prescribed by the Government;
(b)whether the Government proposes to bring any change in the said contribution, if so, the details thereof;
(c)the details of benefits provided to the employees through EPF Scheme at present by the Government; and
(d)whether the Government proposes to provide better facilities to employees, if so, the details thereof?
ANSWER
MINISTER OF STATE FOR LABOUR AND EMPLOYMENT
(SHRI RAMESWAR TELI)
(a): Under the Employees’ Provident Fund (EPF) Scheme, 1952, an employee of any covered establishment drawing monthly wages up to Rs. 15,000 is statutorily required to join the fund and to contribute 12% of wages, which includes basic wages, dearness allowance and retaining allowance, if any.
(b): The Code on Social Security, 2020 (36 of 2020), was notified on 29.09.2020, which subsumes 9 Central labours laws including the Employees’ Provident Funds and Miscellaneous Provisions Act, 1952. There is a provision under section 16 of the said Code which enables the Central Government to prescribe, by notification, different rates of employees’ contribution for specified period for any class of employee. However, the said Code has not yet come into force.
(c) & (d): A member of the EPF Scheme, 1952 is entitled to the benefit of withdrawal and advance from the EPF as per the provisions contained in the said scheme. Further, the Scheme was amended in March, 2020 by inserting the provision for allowing non-refundable advance to EPF members during Pandemic / Epidemic. This provision allowed EPF members to avail advance from their EPF account to the extent of 75 per cent of their balance or three-month wages whichever is less. The EPF members who have already availed the first COVID-19 advance can also opt for a second advance. A member is also entitled for credit of interest on his/her PF accumulations each year.
The steps being taken by the Employees’ Provident Fund Organisation (EPFO) for providing faster settlement of all types of PF
claims are as under:
- Allocation of Universal Account Numbers (UAN) to members of PF for consolidation of previous PF accounts and portability in case of change of employment.
- Online Transfer Claim Portal (OTCP) has been introduced to facilitate seamless transfer of claims.
- The facility for submission of claim forms through online mode has been introduced for those subscribers who have seeded their KYCs against the UAN.
- The services of EPFO for employees have also been integrated and offered through the Unified Mobile Application for New-age Governance (UMANG) Application, which enables a member to access his passbook, track the status of his claim, submit online claim form, etc.
- A single-page Composite Claim Form has been introduced by replacing the erstwhile multiple Claim Forms for withdrawals.
- A member is no longer required to submit documents e.g. medical certificate and may only self-certify to avail withdrawals.
- The entire payment to subscribers is done electronically through National Electronic Funds Transfer (NEFT) system.
The provisions relating to facilities to the employees covered under EPFO are determined by the provisions of the Employees’ Provident Funds and Miscellaneous Provisions Act, 1952 and the schemes framed thereunder and their betterment is an ongoing exercise.
भारत सरकार
श्रम और रोजगार मंत्रालय
लोक सभा
अतारांकित प्रश्न संख्या 2024
सोमवार, 14 मार्च, 2022/23 फाल्गुन, 1943 (शक)
ईपीएफ के अंतर्गत कर्मचारियों का अंशदान
2024. श्री निहाल चन्द चौहान:
क्या श्रम और रोजगार मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:
(क) सरकार द्वारा यथाविहित कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के तहत कर्मचारियों के मूल वेतन से योगदान का ब्यौरा क्या है;
(ख) क्या सरकार का विचार उक्त योगदान में कोई बदलाव लाने का है एवं यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है;
(ग) सरकार द्वारा वर्तमान में कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योजना के माध्यम से कर्मचारियों को प्रदान किए जाने वाले लाभों का ब्यौरा क्या है; और
(घ) क्या सरकार का विचार कर्मचारियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने का है एवं यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?
उत्तर
श्रम और रोजगार राज्य मंत्री
(श्री रामेश्वर तेली)
(क): कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 के अंतर्गत किसी कवर किए गए प्रतिष्ठान का कोई कर्मचारी जो मूल्न वेतन, मंहगाई भत्ता और प्रतिधारण भत्ता,यदि कोई हो, शामिल करते हुए 15,000/- रुपये तक मासिक वेतन का आहरण करता है तो उसके लिए इस निधि में शामित्र होना और मजदूरी के 12 प्रतिशत का अंशदान करना सांविधिक रुप से आवश्यक है।
(ख): कर्मचारी भविष्य निधि एवं प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम, 1952 सहित 9 केन्द्रीय श्रम विधानों को शामिल करते हुए सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 (2020 का 36) को 29.09.2020 को अधिसूचित किया गया था । उक्त संहिता की धारा 16 के अंतर्गत एक उपबंध मौजूद है जो केन्द्र सरकार को अधिसूचना द्वारा कर्मचारियों के किसी वर्ग के लिए विनिर्दिष्ट अवधि हेतु कर्मचारियों के अंशदान की विभिन्न दरों को निर्धारित करने की शक्ति प्रदान करता है | तथापि, उक्त संहिता अभी लागू नहीं हुई है।
(ग) और (घ): कम॑चारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योजना, 1952 का सदस्य उक्त योजना में निहित उपबंधों के अनुसार ईपीएफ से निकासी एवं अग्रिम का लाभ लेने का पात्र है। इसके अतिरिक्त, वैश्विक महामारी के दौरान ईपीएफ सदस्यों को अप्रतिदेय अग्रिम की अनुमति देने के लिए उपबंध को अंतस्थापित करते हुए इस योजना को मार्च, 2020 में संशोधित किया गया था। इस उपबंध में ईपीएफ सदस्यों को उनके ईपीएफ खातों से शेष राशि के 75 प्रतिशत अथवा 3 माह की मजदूरी, जो भी कम हो, तक निकासी करने की अनुमति प्रदान की गई है। ऐसे ईपीएफ सदस्य जिन्होंने प्रथम कोविड-19 अग्रिम प्राप्त कर लिया हो, वे दूसरे अग्रिम का विकल्प भी दे सकते हैं। कोई सदस्य प्रत्येक वर्ष अपने भविष्य निधि संचय पर ब्याज प्राप्त करने का भी हकदार है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा सभी प्रकार के भविष्य निधि दावों के त्वरित निपटान हेतु निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:-
i) पिछले पीएफ खातों के समेकन तथा नियोजन के परिवर्तन के मामले में सुवाहयता के लिए भविष्य निधि के सदस्यों को सार्वभौमिक खाता संख्या (यूएएन) आबंटित करना।
ii) दावों के निर्बाध अंतरण को सुकर बनाने के लिए ऑनलाइन अंतरण दावा पोर्टल (ओटीसीपी) प्रारंभ किया गया है।
iii) ऐसे अभिदाताओं के लिए ऑनलाइन दावे प्रस्तुत करने का विकल्प शुरू किया गया है जिन्होंने अपना केवाईसी यूएएन के साथ सहबद्ध कर लिया है।
iv) कर्मचारियों के लिए ईपीएफओ की सेवाओं का भी एकीकरण किया गया है तथा इसे यूनिफायड मोबाइल एप्लिकेशन फॉर न्यू-एज गवर्नेंस (यूएमएएनजी) एप्लिकेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है ताकि सदस्य अपने पासबुक, दावों की स्थिति का पता लगाने तथा ऑनलाइन दावा प्रस्तुत करने में सक्षम हो सके।
v) प्रत्याहरणों के लिए पूर्वगत बहुविध दावा फॉर्मों के स्थान पर एक-पृष्ठीय संयुक्त दावा फॉर्म (सीसीएफ) प्रारंभ किया गया है।
vi) अब किसी सदस्य से चिकित्सा प्रमाण-पत्र जैसे दस्तावेज प्रस्तुत किया जाना अपेक्षित नहीं है तथा वह प्रत्याहरण पाने के लिए केवल स्व-सत्यापन कर सकता है।
vii) अभिदाताओं को समस्त भुगतान राष्ट्रीय इलैक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी) प्रणाली के माध्यम से इलैक्ट्रॉनिक रूप से किया जाता है।
ईपीएफओ के अंतर्गत शामित्र कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं से संबंधित प्रावधानों को कर्मचारी भविष्य निधि एवं प्रकीण उपबंध अधिनियम, 1952 के उपबंधों और इसके अंतर्गत बनाई गई योजनाओं द्वारा निर्धारित किया जाता है और उनमें सुधार एक सतत प्रक्रिया है।
Source: Lok Sabha PDF
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