Behavior of Permanent workers with Contractual Employees स्थायी कर्मचारियों का संविदा कर्मचारियों के साथ व्यवहार
GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF LABOUR AND EMPLOYMENT
RAJYA SABHA
UNSTARRED QUESTION NO. 1841
TO BE ANSWERED ON 17.03.2022
BEHAVIOR OF PERMANENT WORKERS WITH CONTRACTUAL EMPLOYEES
1841. # SMT. SEEMA DWIVEDI:
state:
Will the Minister of Labour and Employment be pleased to
(a)whether it is a fact that at all workplaces the situation of malicious behavior, discrimination and exploitation by the permanent workers with the contractual employees arise;
(b) if so, the effective steps taken by Government to protect the contractual workers from such unpleasant situation; and
(c)the number of cases of discrimination which have been reported so far and the number of women employees among them, the number of their cases in which action has been taken so far, the details thereof, State-wise, and if no action has been taken, the reasons therefor?
ANSWER
MINISTER OF STATE FOR LABOUR AND EMPLOYMENT (SHRI RAMESWAR TELI)
(a) to (c): To ensure dignified working conditions for workers including contract workers and to protect them against malicious behavior, discrimination and exploitation the Government enacted several Acts which inter-alia include The Indian Penal Code, 1860, The Sexual Harassment of Women at workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act, 2013, The Prevention of Atrocities (Scheduled Caste and Scheduled Tribes) Act, 2013, The Contract Labour (Regulation and Abolition) Act, 1970, The Factories Act, 1948, The Plantation Act, 1959, The Inter-state Migrant Workmen (Regulation of Employment and Conditions of Service) Act, 1979, The Building and Other Construction Workers (Regulation of Employment and Conditions of Service) Act, 1996, The unorganized Workers’ Social Security Act, 2008, The Minimum Wages Act, 1948, The Payment of Wages Act, 1936, The Industrial Dispute Act, 1947 apart from other labour laws. The labour laws are enforced by Central Industrial Relations Machinery (CIRM) having country-wide network of Deputy Chief Labour Commissioners (Central) and Regional Labour Commissioners (Central) under the control of the Chief Labour Commissioner (Central). The Labour Laws and the rules there-under provide for various penal provisions depending upon the nature of contravention/violation and the same are imposed in the process of enforcement. If malicious behavior, discrimination and exploitation as covered under any provision of Labour Laws and violations of such provisions are found, appropriate action is taken by the officers of CLC(C) organization in central sphere establishments.
Details of Inspection conducted during the last three years and the current year in the Central Sphere establishments are as under: –
Particulars |
2018-19 |
2019-20 | 2020-21 |
2021-22 Upto December, 21 |
No. of Inspection conducted |
8577 |
8553 | 1722 |
1097 |
No. of irregularities detected |
87928 |
72727 | 15893 |
9240 |
No. of irregularities rectified |
45121 |
36974 | 10014 |
1896 |
No. of prosecutions launched |
3227 |
2659 | 749 |
257 |
No. of convictions |
1372 |
777 | 336 |
78 |
भारत सरकार
श्रम और रोजगार मंत्रालय
राज्य सभा
अतारांकित प्रश्न संखया 1841
गुरूवार, 17 मार्च, 2022 / 26 फाल्गुन, 1943 (शक)
स्थायी कर्मचारियों का संविदा कर्मचारियों के साथ व्यवहार
1841. श्रीमती सीमा द्विवेदी:
क्या श्रम और रोजगार मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:
(क) क्या यह सच है कि सभी कार्यस्थलों पर स्थायी कर्मियों द्वारा, संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों के साथ दुर्भावनापूर्ण व्यवहार, भेदभाव व शोषण की स्थिति उत्पन्न होती रहती है;
(ख) यदि हां तो, ऐसी अप्रिय स्थिति से संविदागत कर्मियों के बचाव के लिए सरकार दृवारा क्या कारगर कदम उठाए गए हैं; और
(ग) अभी तक भेदभाव के कितने मामले दर्ज किए गए हैं, इनमें महिला कर्मियों की संख्या कितनी है और उनसे संबंधित कितने मामलों में अभी तक कार्रवाई की गई है, तत्संबंधी राज्य-वार ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण क्या हैं?
उत्तर
श्रम और रोजगार राज्य मंत्री
(श्री रामेश्वर तेली)
(क) से (ग): संविदा कामगारों सहित कामगारों के लिए सम्मानजनक कार्यदशाएं सुनिश्चित करने के लिए और उन्हें दुर्भावनापूर्ण व्यवहार, भेदभाव और शोषण से संरक्षण प्रदान करने के लिए सरकार ने कई अधिनियम बनाए हैं जिनमें अन्य श्रम कानूनों के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता, 1860, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013, अत्याचार निवारण (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) अधिनियम, 2013, संविदा श्रम (विनियमन और उत्सादन) अधिनियम, 1970, कारखाना अधिनियम, 1948, बागान अधिनियम, 1959, अंतर्रैज्यीय प्रवासी कामगार (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1979, भवन और अन्य सन्ननिर्माण कामगार (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1996, असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948, मजदूरी का भुगतान अधिनियम, 1936, औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 शामित्र हैं। श्रम कानूनों का प्रवर्तन केंद्रीय औद्योगिक संबंध तंत्र (सीआइआरएम) के देश-भर में फैले मुख्य श्रमायुकत (केंद्रीय) के नियंत्रणाधीन उप मुख्य श्रमायुकत (केंद्रीय) और क्षेत्रीय श्रमायुकत (केंद्रीय) के नेटवर्क द्वारा किया जाता है। श्रम कानूनों और उनके तहत बनाए गए नियमों में विभिन्न दंड उपबंधों के लिए प्रावधान हैं जो उल्लंघन/अतिक्रमण की प्रकृति पर निर्भर करता है और उन्हें प्रवर्तन की प्रक्रिया में अधिरोपित किया जाता है। श्रम कानूनों के उपबंधों के तहत यदि कोई दुर्भावनापूर्ण व्यवहार, भेदभाव और शोषण शामिल्र होते हैं और ऐसे उपबंधों का अतिक्रमण पाया जाता है, तो केंद्रीय क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में मुख्य श्रमायुक्त (केंद्रीय) संगठन के अधिकारियों द्वारा समुचित कारवाई की जाती है।
केंद्रीय क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में पिछले तीन वर्षों के दौरान और चाल्रू वर्ष में किए गए निरीक्षणों का ब्यौरा निम्नलिखित हैः-
विवरण |
2018-19 |
2019-20 | 2020-21 |
2021-22 |
किए गए निरीक्षणों की संख्या |
8577 |
8553 | 1722 |
1097 |
पाई गई अनियमितताओं की संख्या |
87928 |
72727 | 15893 |
9240 |
सुधारी गई अनियमितताओं की संख्या |
45121 |
36974 | 10014 |
1896 |
शुरू किए गए अभियोजकों की संख्या |
3227 |
2659 | 749 |
257 |
दोषसिद्धियों की संख्या |
1372 |
777 | 336 |
78 |
Source: Rajya Sabha PDF
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