Homenew pension schemeCase-Laws

Litigation for Old Pension Scheme पुरानी पेंशन योजना के लिए मुकदमा

Litigation for Old Pension Scheme पुरानी पेंशन योजना के लिए मुकदमा

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF PERSONNEL, PUBLIC GRIEVANCES AND PENSIONS
(DEPARTMENT OF PENSION & PENSIONERS’ WELFARE)
RAJYA SABHA

UNSTARRED QUESTION NO. 610
(TO BE ANSWERED ON 02.12.2021)

LITIGATION FOR OLD PENSION SCHEME

610 SHRI NEERAJ SHEKHAR:

Will the PRIME MINISTER be pleased to state:

(a) whether Supreme Court has dismissed more than half dozen SLPs and Review Petitions and ordered that Central Government officials whose advertisements were issued before 01/01/2004 and joining and results occurred after 31.12.2003 be reverted to old pension scheme;

(b) if so, whether officials of Government are deliberately advising for lame litigation in each case even after dismissal of SLPs and Review Petitions at admission stage without hearing by Supreme Court, to tarnish pro-public image of Government by harassing its own officials and not issuing general orders for similar cases; and

(Cc) if not, the reasons for litigation in each case?

ANSWER

MINISTER OF STATE IN THE MINISTRY OF PERSONNEL, PUBLIC GRIEVANCES
AND PENSIONS AND MINISTER OF STATE IN THE PRIME MINISTER’S OFFICE
(DR. JITENDRA SINGH)

(a): Hon’ble Supreme Court has dismissed some of SLPs filed by Union of India against the orders of Hon’ble High Court of Delhi allowing benefit of old pension scheme to those Government servants whose selection process was completed after 01.01.2004.

(b) & (c): National Pension System (NPS) was introduced for Central Government employees by a Notification of Ministry of Finance (Department of Economic Affairs) dated 22nd December, 2003. NPS is mandatory for all new recruits to the Central Government service from 1st January, 2004 (except the armed forces).

In view of the specific provisions of the Notification dated 22.12.2003, the date of advertisement for the vacancies is not considered relevant for determining the eligibility for coverage under the Old Pension Scheme or the National Pension System.

litigation-for-old-pension-scheme

भारत सरकार
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय
(पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग )

राज्यसभा
अतारांकित प्रश्न संख्या 610
(दिनांक 02.12.2021 को उत्तर दिया जाना है)

पुरानी पेंशन योजना के लिए मुकदमा

610 श्री नीरज शेखर :

क्या प्रधानमंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:

(क) कया उच्चतम न्यायालय ने आधा दर्जन से अधिक एसएलपी और समीक्षा याचिकाओं को खारिज कर दिया है और आदेश दिया है कि केंद्र सरकार के अधिकारी जिनकी भर्ती के लिए विज्ञापन 01/01/2004 से पहले जारी किए गए थे और उनके परिणाम की घोषणा और उनकी नियुक्ति 31.12.2003 के बाद हुई थी, उन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाये;

(ख) यदि हां, तो क्‍या उच्चतम न्यायालय द्वारा सुनवाई किए बिना एसएलपी और समीक्षा याचिकाओं को प्रवेश स्तर पर खारिज करने के बाद भी सरकार के अधिकारी प्रत्येक मामले में अपने ही अधिकारियों को परेशान करके जान बूझकर झूठे मुक़दमेबाज़ी की सलाह दे रहे हैं, ताकि सरकार की जन-समर्थक छवि को धूमिल किया जा सके और समान मामलों के लिए सामान्य आदेश जारी नहीं करना पड़े; और

(ग) यदि नहीं, तो प्रत्येक मामले में मुक़दमेबाज़ी के क्या कारण हैं?

उत्तर

कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री (डा. जितेंद्र सिंह)

(क) माननीय उच्चतम नन्‍्यायात्रय ने, उन सरकारी कर्मचारियों को, जिनकी चयन प्रक्रिया 01.01.2004 के बाद पूरी हुई थी पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने की अनुमति देने वाले माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों के विरुद्ध केंद्र सरकार द्वारा दायर कुछ एसएलपी को खारिज कर दिया है।

(ख) और (ग) वित्त मंत्रालय (आर्थिक कार्य विभाग) के दिनांक 22 दिसम्बर, 2003 की अधिसूचना द्वारा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली(एनपीएस) को लागू किया गया था। दिनांक 01.01.2004 से केंद्रीय सरकार की सेवा में हुई सभी नई भर्तियों (सशस्त्र बलों को छोड़कर) के लिए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली(एनपीएस) अनिवार्य है। दिनांक 22.12.2003 की अधिसूचना के विशिष्ट उपबंधों को ध्यान में रखते हुए, पुरानी पेंशन योजना या राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत कवर किए जाने के लिए, पात्रता निर्धारित करने के लिए रिक्तियों के लिए विज्ञापन की तारीख को प्रासंगिक नहीं माना जाता है।

Source: Rajya Sabha PDF

COMMENTS

WORDPRESS: 0