7th pay commission: ऐसे केंद्रीय कर्मचारियों को तीन बच्चों के लिए मिलेगा चिल्ड्रन एजुकेशन अलाउंस, जानें नियम]\
केंद्रीय कर्मचारियों को सरकार की ओर से चिल्ड्रन एजुकेशन अलाउंस भी मिलता है. 1962 में केंद्र सरकार ने इसे ‘रिइंबर्समेंट ऑफ ट्यूशन फीस’ के नाम से शुरू किया था, जिसे आगे चलकर चिल्ड्रन एजुकेशन अलाउंस कहा गया. 7वें वेतन आयोग के तहत इस भत्ते में और इजाफा किया गया था और प्रति बच्चे सरकारी कर्मचारियों को 2250 रुपये चिल्ड्रन एजुकेशन अलाउंस दिए जाने को मंजूरी दी गई. इसके अलावा हॉस्टल सब्सिडी भी 6,750 रुपये दी जाती है. नियम के मुताबिक यह लाभ केंद्रीय कर्मचारियों को दो बच्चों पर मिलता है, लेकिन ऐसे लोगों को तीन बच्चों पर भी यह लाभ मिल सकता है, जिनके नसबंदी ऑपरेशन के फेल होने के परिणाम स्वरूप बच्चे का जन्म हुआ हो.
हालांकि नसबंदी फेल होने के बाद पैदा हुए एक ही बच्चे को इस स्कीम में शामिल किया जाता है और यदि उसके बाद भी संतान का जन्म होता है तो उस पर यह लाभ नहीं मिलेगा. इसके अलावा यदि कर्मचारी की पहले से कोई संतान है और फिर जुड़वां बच्चे पैदा हो जाते हैं तो फिर तीसरे को भी इस स्कीम के तहत अलाउंस में शामिल किया जाएगा.
यही नहीं यदि बच्चा दिव्यांग है तो उसके लिए मिलने वाला अलाउंस सामान्य बच्चों की तुलना में दोगुना होगा. हालांकि यह रकम कर्मचारियों को साल के अंत में ही मिलती है और इसके लिए स्कूल के पिछले सत्र का सर्टिफिकेट दिखाना होता है, रेलवे के कर्मचारियों को भी यह भत्ता मिलता है.। बता दें कि यह अलाउंस बच्चों की 12वीं तक की पढ़ाई के लिए ही मिलता है.
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इस दस्तावेज को दिखाने पर मिलेगा अलाउंस: यदि चिल्ड्रन एजुकेशन अलाउंस को सालाना तौर पर देखें तो यह 24,750 रुपये हो जाता है, जबकि हॉस्टल फीस 74,250 रुपये बनती है. बच्चों की फीस में इजाफे और अन्य खर्चों में बढ़ोतरी के चलते यह फैसला लिया गया था.
चिल्ड्रन फीस अलाउंस का फॉर्मूला पहली बार छठे वेतन आयोग में ही लागू हुआ था. इस भत्ते को हासिल करने के लिए बहुत ज्यादा दस्तावेजों की भी जरूरत नहीं होती है. संस्थान के हेड की ओर से जारी गया प्रमाण पत्र ही काफी होता है, जहां बच्चा पढ़ रहा हो. इस सर्टिफिकेट में यह प्रमाणित किया जाता है कि बीते साल बच्चे ने हमारे संस्थान में इस कक्षा में पढ़ाई की.
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