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जवान को 41 साल की लड़ाई के बाद सेना से मिलेगी पेंशन

जवान को 41 साल की लड़ाई के बाद सेना से मिलेगी पेंशन  

पेंशन के लिए सैन्य अफसरों के चक्कर काट रहे सेना से रिटायर मुंशी राम के लिए 41 साल का संघर्ष काम आया। मुंशी राम के खाते में अब हर महीने सेना से पेंशन आएगी। इतना ही नहीं उन्हें पेंशन के एरियर के रूप में सेना ने 12.10 लाख रुपये का भुगतान किया है।

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रामगढ़, शिमला बाईपास रोड निवासी मुंशी राम 1971 में सेना की मेडिकल कोर में भर्ती हुए थे। भर्ती के कुछ महीने बाद ही मुंशीराम की तबियत खराब रहने लगी। सेना ने 15 अक्तूबर 1972 में मुंशीराम को मेडिकल में 100 फीसदी अनफिट घोषित कर मेडिकल पेंशन पर रिटायर कर दिया था। पेंशन पाने के लिए उन्हें हर वर्ष सेना के मेडिकल बोर्ड से फिटनेस जांच करानी होती थी। वर्ष 1978 में मेडिकल बोर्ड की टीम ने उन्हें 20 फीसदी से कम अनफिट घोषित कर दिया। सेना से मेडिकल पेंशन 20 फीसदी से कम अनफिट होने पर नहीं दी जाती है। ऐसे में 1978 में उनकी पेंशन रोक दी गई। इसके बाद से वह पेंशन के लिए सैन्य अफसरों के चक्कर काट रहे थे।

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कई बार रक्षा मंत्रालय के पेंशन विभाग को पत्र लिखा, पर पेंशन नहीं मिली। कुछ महीनों पहले उन्होंने सेना के वेटरन और पेंशन सेल में संपर्क किया। यहां वेटरन सेल ने उनकी इस परेशानी को सेना के पेंशन मंत्रालय को भेजा और इसे स्वीकृत करने के लिए अफसरों को पत्र लिखे। इस पर उनकी पेंशन मंजूर हो गई है।

12 लाख एरियर 13 हजार पेंशन

मुंशी राम को सेना से हर महीने 13,241 रुपये पेंशन मिलेगी। जनवरी की पेंशन भी अगले एक दो दिन में उनके खाते में पहुंच जाएगी। पेंशन के एरियर के रूप में मुंशी राम को 12.10 लाख रुपये एक मुश्त दिए गए हैं।

टीबी होने पर किया था सेना से बाहर

मुंशी राम को टीबी की बीमारी होने पर मेडिकल अनफिट करार दे रिटायरमेंट दिया गया था। सेना से आने के बाद उन्होंने अपना उपचार कराया। 1978 में ठीक हुए तो इसके बाद उनकी पेंशन आनी बंद हो गई।

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“मुंशी राम की पेंशन के लिए सेना के पेंशन मंत्रालय को कई पत्र लिखे गए। कई बार सीधे अफसरों से संपर्क किया गया। जनवरी 2020 से मुंशी राम की पेंशन मंजूर हो गई है।” – कर्नल पृथ्वीराज सिंह रावत, प्रभारी वेटरन सेल, सब एरिया उत्तराखंड.

श्रोत  हिन्‍दुस्‍तान ई-पेपर

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