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क्‍या सातवें वेतन आयोग के भत्तों को लागू करने में सरकार ने जानबूझकर देरी की?

सातवें वेतन आयोग के भत्तों को लागू करने में सरकार ने जानबूझकर की
देरी 
दिनांक 27 जुलाई 2018 को लोकसभा में एक अतारांकित लिखित प्रश्न के उत्तर में
वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री पी. राधाकृष्णन ने यह वक्तव्य दिया है
कि सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करते समय सरकार ने इसका
कार्यान्वयन दो वित्तीय वर्षों में फैला दिया है जिससे इसके लागू करने से
अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले वित्तीय प्रभाव को कम किया जा सका। 
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विदित हो कि केन्द्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर नये
संशोधित वेतन एवं पेंशन के सम्बन्धित सिफारिशें 01.01.2016 से लागू किया था
जबकि भत्तों से संबंधित सिफारिशें एक समिति द्वारा जांच के पश्चात् 01.07.2017
से लागू की गई। इससे सिफारिशों का वित्तीय प्रभाव कम हो गया।
लोकसभा में दिए गए इस स्टेटमेंट से सरकार इस सच्चाई को स्वीकारती दिख रही है कि
संशोधित भत्तों में देरी दरअसल सरकार के इसी सोच का नतीजा था।
अपने वक्तव्य में वित्त राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि सातवें केन्द्रीय वेतन
आयोग ने अपनी रिपोर्ट के पैरा 5.1.46 में ऐसे कर्मचारियों की वार्षिक
वेतनवृद्धि रोकने का प्रस्ताव किया है जो संशोधित सुनिश्चित करियर प्रोन्नयन
स्कीम अथवा अपनी सेवा के प्रथम 20 वर्षों में नियमित पदोन्नति का बेंचमार्क
हासिल नहीं कर पाए हैं।
इस प्रश्न के उत्तर में कि क्या सरकार वेतन आयोग गठित करने के स्थान पर भविष्य
में केन्द्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशन उपभोक्ताओं का वेतन और भत्ते
बढ़ाने के लिए एक विकल्प पर विचार कर रही है, सरकार ने कहा कि केन्द्र सरकार
ऐसे किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है।

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लाेकसभा के अतारांकित प्रश्‍न का व‍िवरण नीचे की तस्‍वीर में देखें

implemntation of 7th cpc got statement in hindi 1
पीडीएफ: PDF/WORD(Hindi)

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