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Release of berths/seats under emergency quota in various trains रेलगाडि़यों में निर्धारित आपातकालीन कोटे में से बर्थ/सीट दिया जाना

Release of berths/seats under emergency quota in various trains रेलगाडि़यों में निर्धारित आपातकालीन कोटे में से बर्थ/सीट दिया जाना

 

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF RAILWAYS
RAJYA SABHA
UNSTARRED QUESTION NO. 4606
ANSWERED ON 06.04.2018

 

RELEASE OF BERTHS UNDER EMERGENCY QUOTA 

4606. SHRI PARTAP SINGH BAJWA:

Will the Minister of RAILWAYS be pleased to state:

(a) the procedure laid down for release of berths/seats out of the emergency quota earmarked in various trains;
(b) whether cases of corruption in confirmation of emergency quota tickets by touts, allegedly in collusion with Railway officials posted in Emergency Quota Cell (EQC) have been received;
(c) if so, the details of the enquiry conducted and persons found guilty during the last three year, Zone-wise; and
(d) the locations where EQC have been set up including the number of officials posted in each of these Cells?

ANSWER 

MINISTER OF STATE IN THE MINISTRY OF RAILWAYS  (SHRI RAJEN GOHAIN)
(a): In order to meet the urgent travel requirements of High Official Requisition (HOR) holders, which includes Central Government Ministers, Judges of Hon’ble Supreme Court/High Courts of various States, Members of Parliament and other emergent demands, who are on the waiting list, a limited number of berths have been earmarked as Emergency Quota in different trains and in different classes. The quota is released by the Railways in accordance with the priority as per warrant of precedence and well established practice being followed since long. At the time of allotment of berths/seats, emergency quota is first allotted for self travel of HOR holders/Members of Parliament, etc., strictly as per their inter-se seniority in warrant of precedence. Thereafter, other requisitions received from various quarters are considered and the remaining quota is released taking into account various factors like status of passengers travelling, nature of urgency like travelling on government duty, bereavement in the family, sickness, job interview, etc.
(b): No, Sir.
(c): Does not arise.
(d): Emergency Quota Cells are located at Zonal/Divisional Headquarters and at some of the important non-Headquarter stations. These Cells normally function under the control of a gazetted officer supported by requisite number of staff posted by Zonal Railways. The number of staff posted in each such Cell varies according to the workload.
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भारत सरकार
रेल मंत्रालय
राज्‍य सभा
06.04.2018 के
अतारांकित प्रश्‍न सं. 4606 का उत्‍तर

आपातकालीन कोटा के अंतर्गत रेल के डिब्‍बों में बर्थ दिया जाना 

4606. श्री प्रताप सिंह बाजवा:
क्‍या रेल मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:
(क) विभिन्‍न रेलगाडि़यों में निर्धारित आपातकालीन कोटे में से बर्थ/सीट दिये जाने की क्‍या प्रक्रिया है;
(ख) क्‍या आपातकालीन कोटे की टिकटों की पुष्टि करने में कथित तौर पर दलालों तथा अपातकालीन कोटा सेल में तैनात रेल अधिकारियों की सांठ-गांठ की शिकायतें प्राप्‍त हुई हैं;
(ग) यदि हां, तो पिछले तीन वर्षों के दौरान की गई जांच के ब्‍यौरे क्‍या हैं और जोन-वार कितने व्‍यक्ति दोषी पाए गए; और
(घ) ई क्‍यू सी के प्रत्‍येक सेल में तैनात अधिकारियों की संख्‍या सहित इन्‍हें कहां-कहां स्‍थापित किया गया है?

उत्‍तर 

रेल मंत्रालय में राज्‍य मंत्री (श्री राजेन गोहांई) 
(क) : हाई आफिशियल रिक्विजिशन (एचओआर) होल्‍डरों, जिनमें केन्‍द्र सरकार के मंत्री, उच्‍चतम न्‍यायालय/विभिन्‍न राज्‍य के उच्‍च न्‍यायालयों के न्‍यायाधीश, संसद सदस्‍य और ऐसे अन्‍य तात्‍कालिक मांग शामिल हैं जो प्रतीक्षा सूची में होती है, की तात्‍कालिक यात्रा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्‍न गाडि़यों में और विभिन्‍न श्रेणियों में सीमित संख्‍या में बर्थों को आपात कोटा के रूप में चिह्नित किया गया है। रेलों द्वारा इस कोटे को वरीयता और लंबे समय से अपनाई जा रही सुस्‍थापित प्रक्रिया के अनुसार प्राथमिकता के आधार पर रिलीज किया जाता है। बर्थों/सीटों के आवंटन के समय, आपातकालीन कोटा सर्वप्रथम एचओआर धारकों/सांसदों आदि को स्‍वयं यात्रा के लिए उनकी वरीयता के अनुसार पारस्‍परिक वरिष्‍ठता को ध्‍यान में रखते हुए आवंटित किया जाता है। उसके उपरांत, संसद सदस्‍यों सहित विभिन्‍न क्षेत्रों से प्राप्‍त अन्‍य मांग पत्रों पर विचार किया जाता है और शेष कोटा को यात्रियों की स्थिति, तात्‍कालिकता की प्रकृति जैसे सरकारी ड्यूटी पर यात्रा, परिवार के शोक, बीमारी, नौकरी के लिए साक्षात्‍कार आदि जैसे विभिन्‍न कारकों को ध्‍यान में रखते हुए रिलीज किया जाता है।
(ख) : जी नहीं।
(ग) : प्रश्‍न नहीं उठता।
(घ) : आपातकाल कोटा सैल क्षेत्रीय/मंडल मुख्‍यालयों और कुछ महत्‍वपूर्ण गैर-मुख्‍यालय स्‍टेशनों पर स्थित हैं। ये सैल सामान्‍यत: राजपत्रित अधिकारी के नियंत्रण में कार्य करते हैं जिनकी सहायता के लिए क्षेत्रीय रेलों द्वारा अपेक्षित संख्‍या में कर्मचारी तैनात किए जाते हैं। इन सैलों में तैनात कर्मचारियों की संख्‍या कार्यभार के अनुसार अलग-अलग होती है।
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