अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण: सरकारी पदों के साथ सीपीएसई(पीएसयू) बैंक, बीमा संस्थाओं में पदों की समतुल्यता, क्रीमी लेयर की सीमा 8 लाख रूपये करने की
पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
मंत्रिमंडल
30-अगस्त-2017 15:47 IST
मंत्रिमंडल ने सरकारी पदों के साथ केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) बैंक, बीमा संस्थाओं में पदों की समतुल्यता को मंजूरी दी, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा अन्य संस्थाओं में निम्न श्रेणी के कर्मचारियों के बच्चे अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण सुविधा प्राप्त कर सकेंगे
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी पदों के साथ केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र (पीएसयू) के उपक्रमों, बैंकों में पदों की समतुल्यता तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण लाभों का दावा करने के लिए अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे लगभग 24 साल से लंबित चला आ रहा मुद्दा समाप्त हो जायेगा। इससे पीएसयू और अन्य संस्थाओं में निम्न श्रेणियों में काम कर रहे लोगों के बच्चों को सरकार में निम्न श्रेणियों में काम कर रहे लोगों के बच्चों के समान ओबीसी आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। इससे ऐसे संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर काम कर रहे लोगों के बच्चों को इस लाभ से रोक लग सकेगी जिन्हें ओबीसी के लिए आरक्षित सरकारी पदों को दरकिनार कर आय मापदंडों की गलत व्याख्या के चलते तथा पदों की समतुल्यता के अभाव में गैर-क्रीमीलेयर मान लिया जाता था और वास्तविक गैर-क्रीमीलेयर उम्मीदवार इस आरक्षण सुविधा से वंचित रह जाते थे।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने देश भर में सामाजिक दृष्टि से अगड़े व्यक्तियों/वर्गों (क्रीमीलेयर) को ओबीसी आरक्षण की परिधि से बाहर करने के लिए क्रीमीलेयर प्रतिबंधित व्यवस्था के लिए वर्तमान 6 लाख रुपए वार्षिक आय के मापदंड को बढ़ाने की भी मंजूरी प्रदान करती है। नई आय का मापदंड 8 लाख रुपए वार्षिक होगा। क्रीमीलेयर से बाहर किए जाने के लिए आय की सीमा में वृद्धि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में बढ़ोतरी को देखते हुए की गई है और इससे ओबीसी को सरकारी सेवाओं में प्रदान किए गए लाभों तथा केन्द्रीय शैक्षिक संस्थाओं में दाखिले के लिए ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिल सकेगा।
सरकार के प्रयासों में इन उपायों से ओबीसी के सदस्यों को बृहदत्तर सामाजिक न्याय और समावेशन सुनिश्चित हो सकेगा। सरकार राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए संसद में पहले ही एक विधेयक पेश कर चुकी है। सरकार ने, संविधान के अनुच्छेद 340 के अन्तर्गत ओबीसी की उप-श्रेणियों के निर्माण के लिए एक आयेाग की स्थापना की है जिससे ओबीसी समुदायों के बीच और अधिक पिछड़े लोगों की शिक्षण संस्थाओं एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लाभों तक पहुंच बन सके। एक साथ लिए गए इन सभी निर्णयों से यह उम्मीद है कि शिक्षण संस्थाओं और नौकरियों में ओबीसी का बृहत्तर प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सकेगा वहीं इस श्रेणी के भीतर ज्यादा वंचित लोगों को समाज की मुख्य धारा में उनके अवसर से वंचित नहीं होना पड़ेगा।
पृष्ठभूमि
उच्चतम न्यायालय ने रिट याचिका (सी) 930/1990 (इंद्रा साहनी मामला) में दिनांक 16.11.1992 के अपने निर्णय में सरकार को संगत और आवश्यक सामाजिक-आर्थिक मानदण्डों को लागू करके अन्य पिछड़ा वर्गों से सामाजिक तथा आर्थिक रूप से सम्पन्न व्यक्तियों के अपवर्जन के लिए आधार विनिर्दिष्ट करने का निदेश दिया था।
फरवरी, 1993 में एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी जिसने अन्य पिछड़ा वर्गों के बीच सामाजिक रूप से सम्पन्न व्यक्तियों अर्थात क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए मानदण्ड विनिर्दिष्ट करते हुए दिनांक 10.03.1993 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इस रिपोर्ट को तत्कालीन कल्याण मंत्रालय द्वारा स्वीकार कर लिया गया था और कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को अग्रेषित कर दिया गया था जिसने क्रीमी लेयर के अपवर्जन के संबंध में दिनांक 08.09.1993 को एक कार्यालय ज्ञापन जारी किया था।
दिनांक 08.09.1993 के कार्यालय ज्ञापन में क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए (क) संवैधानिक/सांविधिक पद, (ख) केन्द्रीय तथा राज्य सरकारों के समूह ‘क’ और समूह ‘ख’ अधिकारी, पीएसयू तथा सांविधिक निकायों, विश्वविद्यालयों के कर्मचारी, (ग) सशस्त्र बलों में कर्नल और उससे ऊपर तथा अर्द्ध-सैनिक बलों में समतुल्य, (घ) डॉक्टर, वकील, प्रबंधन परामर्शदाता, इंजीनियर इत्यादि जैसे व्यावसायिक, (ड़) कृषि भूमि अथवा खाली भूमि और/अथवा भवनों के सम्पत्ति मालिक तथा (छ) आय/सम्पदा करदाता के लिए छह श्रेणियां विनिर्दिष्ट की गई हैं।
इस कार्यालय ज्ञापन में यह भी व्यवस्था है कि उक्त मानदण्ड आवश्यक परिवर्तनों के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बैंकों, बीमा संगठनों, विश्वविद्यालयों इत्यादि में समतुल्य अथवा तुलनीय पद धारक अधिकारियों के लिए लागू होंगे। इन संस्थाओं में समतुल्यता स्थापित करने के मद्देनजर आय मानदण्ड इन संस्थाओं के अधिकारियों पर लागू होंगे। इस कार्यालय ज्ञापन में यह भी व्यवस्था है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों सहित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और वित्तीय संस्थाओं के संबंध में क्रमशः लोक उद्यम विभाग और वित्त मंत्रालय इस संबंध में अनुदेश जारी करेंगे।
तथापि, सरकार तथा पीएसयू, पीएसबी इत्यादि में पदों में समतुल्यता के निर्धारण की यह कवायद आरम्भ नहीं की गई थी। अतः पदों की समतुल्यता के निर्धारण का मामला लगभग 24 वर्ष से लंबित है।
उसके पश्चात, समतुल्यता स्थापित करने संबंधी मामले की विस्तृत जांच की गई है। सार्वजनिक उपक्रमों में सभी कार्यपालक स्तर के पदों अर्थात् बोर्ड स्तरीय कार्यपालक अधिकारियों और प्रबंधक स्तरीय पदों को सरकार में समूह ‘क’ पदों के समतुल्य समझा जाएगा तथा क्रीमी लेयर माना जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और सार्वजनिक क्षेत्र के बीमा निगमों के कनिष्ठ प्रबंधन ग्रेड स्तर-1 तथा इससे ऊपर को भारत सरकार में समूह ‘क’ के समतुल्य समझा जाएगा और क्रीमी लेयर माना जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, वित्तीय संस्थाओं तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बीमा निगमों में लिपिकों एवं चपरासियों हेतु, समय-समय पर यथा संशोधित आय का मानदंड प्रयोज्य होगा। ये व्यापक दिशा-निर्देश हैं तथा प्रत्येक पृथक बैंक, पीएसयू, बीमा कंपनी अपने संबंधित बोर्ड के समक्ष मामले को प्रस्तुत करेंगे ताकि विशिष्ट पद की पहचान की जा सके।
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Press Information Bureau
Government of India
Cabinet
30-August-2017 14:50 IST
Cabinet approves equivalence of posts in Central Public Sector Undertakings (PSUs), Banks, Insurance Institutions with Posts in Government so that the children of those serving in lower categories in PSUs and other institutions can get the benefit of OBC reservations
The Union Cabinet chaired by Prime Minister Shri Narendra Modi has given its approval to the norms for establishing equivalence of posts in Government and posts in PSUs, PSBs etc. for claiming benefit of OBC reservations. This addresses an issue pending for nearly 24 years. This will ensure that the children of those serving in lower categories in PSUs and other institutions can get the benefit of OBC reservations, on par with children of people serving in lower categories in Government. This will also prevent children of those in senior positions in such institutions, who, owing to absence of equivalence of posts, may have been treated as non Creamy Layer by virtue of wrong interpretation of income standards from cornering government posts reserved for OBCs and denying the genuine non creamy layer candidates a level playing field.
The Union Cabinet also approved the increase in the present income criterion of Rs. 6 lakh per annum for applying the Creamy Layer restriction throughout the country, for excluding Socially Advanced Persons/Sections (Creamy Layer) from the purview of reservation of Other Backward Classes (OBCs). The new income criterion will be Rs. 8 lakh per annum. The increase in the income limit to exclude the Creamy Layer is in keeping with the increase in the Consumer Price Index and will enable more persons to take advantage of reservation benefits extended to OBCs in government services and admission to central educational institutions.
These measures are a part of the Government’s efforts to ensure greater social justice and inclusion for members of the Other Backward Classes. The Government has already introduced in Parliament, a bill to provide Constitutional status to the National Commission for Backward Classes. It has also decided to set up a Commission, under section 340 of the Constitution, to sub categorize the OBCs, so that the more backward among the OBC communities can also access the benefits of reservation for educational institutions and government jobs. All these decisions, taken together, are expected to ensure greater representation of OBCs in educational institutions and jobs, while also ensuring that the more under-privileged within the category are not denied their chance of social mobility.
Background:
In its judgment dated 16.11.1992 in WP(C) 930/1990 (IndraSawhney case) the Supreme Court had directed the Government to specify the basis, for exclusion of socially and economically advanced persons from Other Backward Classes by applying the relevant and requisite socio-economic criteria.
An Expert Committee was constituted in February 1993 which submitted its report on 10.03.1993 specifying the criteria for identification of socially advanced persons among OBCs i.e. the Creamy Layer. The report was accepted by the then Ministry of Welfare and forwarded to DoPT which issued an OM dated 08.09.1993 on exclusion from the Creamy Layer.
The OM of 08.09.1993 specifies six categories for identifying Creamy Layer (a) Constitutional/Statutory post (b) Group ‘A’ and Group ‘B’ Officers of Central and State Governments, employees of PSUs and Statutory bodies, universities, (c) Colonel and above in armed forces and equivalent in paramilitary forces (d) professionals like Doctors, Lawyers, Management Consultants, Engineers etc. (e) Property owners with agricultural holdings or vacant land and/or buildings and (f) income/wealth tax asessee.
The OM further stipulates that the said parameters would apply mutatis mutandis to officers holding equivalent or comparable posts in PSUs, Banks, Insurance Organizations, Universities, etc. and Government was required to determine equivalence of positions in these organizations with those in Government.
Pending the equivalence to the established in these institutions Income criteria would apply for the officers in these Institutions.
However, this exercise of determining the equivalence of posts in Government and posts in PSUs, PSBs etc. had not been initiated. The determination of equivalence of posts has been thus pending for almost 24 years.
The matter of formulating equivalence has since been examined in detail. In PSUs, all Executive level posts i.e. Board level executives and managerial level posts would be treated as equivalent to group ‘A’ posts in Government and will be considered Creamy Layer. Junior Management Grade Scale–1 and above of Public Sector Banks, Financial Institutions and Public Sector Insurance Corporations will be treated as equivalent to Group ‘A’ in the Government of India and considered as Creamy Layer. For Clerks and Peons in PSBs, FIs and PSICs, the Income Test as revised from time to time will be applicable. These are the broad guidelines and each individual Bank, PSU, Insurance Company would place the matter before their respective board to identify individual posts.
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