7 CPC एच.आर.ए., ट्रांसपोर्ट एलाउंस, न्यूनतम वेतन, भत्तों को लागू करने की तारीख पर जे.सी.एम. की अपर सचिव, व्यव विभाग से हुई बातचीत से कितनी हैं उम्मीदें
नेशनल काउंसिल जेसीएम स्टाफ साईड के सचिव श्री शिवा गोपाल मिश्रा ने अपने वेबसाईट पर अपर सचिव, व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय के साथ हुई दिनांक 21—07—2017 के बैठक का संक्षिप्त ब्यौरा देते हुए सभी जे.सी.एम. सदस्यों को पत्र जारी किया है। बैठक में सातवें वेतन आयोग के क्रियान्वयन के बाद उठे मुद्दों पर बातचीत हुई है।
बैठक में हुई वार्तालाप का संक्षिप्त ब्यौरा जो कि जे.सी.एम. द्वारा प्रस्तुत किया गया है उसका हिन्दी विवरण निम्नलिखित है:—
Read Brief of JCM & DoE Meeting Click: HRA @ 30%,20%,10%, Lower Transport Allowance, Allowance from 7th CPC Notification: Issues discussed in JCM & DoE meeting
बैठक के आरंभ करते हुए कार्यालय पक्ष ने भत्तों पर सरकार के निर्णय के बारे में संक्षेप में बताया। उसके बाद स्टाफ पक्ष ने निम्नलिखित मुद्दों को उठाया:
1. मकान किराया भत्ता — 7वें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार मकान किराये भत्ते की दरों में सरकार द्वारा संशोधन नहीं किये जाने पर केन्द्रीय कर्मचारी असंतुष्ट हैं। मकान किराए भत्ते के पुराने दर 30%, 20% and 10% का बरकरार रखने की मांग स्टाफ साईड द्वारा की गयी।
2. ट्रांसपोर्ट/परिवहन भत्ता — स्टाफ साईड ने बताया कि जो कम वेतन पाने वाले जो 01.01.2016 को @ Rs.3600 + DA परिवहन भत्ते के रूप में ले रहे थे अब उन्हें बड़ा वित्तीय नुकसान हो रहा है क्योंकि उनके परिवहन भत्ते को कम करके Rs.1300+DA कर दिया गया है। इस अन्याय का निराकरण करने की मांग की। कार्यालय पक्ष ने इसकी समीक्षा पर सहमति दी है।
3. भत्तों के 7वें वेतन आयोग के नोटिफिकेशन से लागू करने की मांग — स्टाफ पक्ष मांग करती रही है कि सातवें वेतन आयोग में भत्तों को 01—01—2016 से लागू किए जाएं, कम—से—कम सरकार को इसे सातवें वेतन आयोग के नोटिफिकेशन की तिथि से लागू किया जाना चाहिए जैसा कि पिछले वेतन आयोग के समय किया गया था। कार्यालय पक्ष से इस मांग पर विचार करने को कहा गया। स्टाफ पक्ष ने कार्यालय पक्ष का ध्यान इस बात पर आकृष्ट किया कि पहले किसी विवाद पर फैसला कर्मचारियों के पक्ष में दिया जाता रहा है।
4. न्यूनतम वेतन फिटमेंट फार्मूला — न्यूनतम वेतन फिटमेंट फार्मूला के मुद्दे को स्टाफ साईड ने पहले भी सरकार के समक्ष रखा था, पर सरकार ने इसपर कोई ध्यान नहीं दिया। चूॅंकि न्यूनतम वेतन डॉ. एक्र्योड फॉर्मूला/15वीं आईएससी नॉर्म्स और उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुसार नहीं है, अत: सरकार को इसकी समीक्षा करने की जरूरत है। इसके साथ साथ वर्तमान वेतन मैट्रिक्स में कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों और उच्च वेतन पाले अधिकारियों काफी अन्तर है। अत: इस मांग पर स्टाफ पक्ष और कार्यालय पक्ष में वार्ता होनी चाहिए जैसा कि इस प्रमुख मुद्दे पर विचार करने के लिए मंत्रियों के समुह ने भी सहमति दी थी।
5. अग्रिम एवं भवन निर्माण अग्रिम — स्टाफ पक्ष ने मांग की है कि सरकार खत्म किए विभिन्न अग्रिमों को पुन: लाए और भवन निर्माण अग्रिम पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को सरकार ने स्वीकृति दी है, तदनुसार आदेश जारी किए जाएॅं।
6. रिस्क एलाउंस की कम राशि: रक्षा सिविलियन कर्मचारियों के लिए रिस्क एलाउंस दिये जाने पर सरकार का धन्यवाद करते हुए इसके कम हाने पर चर्चा की गयी। मांग की गयी कि रिस्क एलाउंस कम—से—कम फायर फाईटिंग स्टाफ के लिए रिस्क मैट्रिक्स से बराबर रखा जाए।
7. 7वें वेतन आयोग द्वारा खत्म/मिलाए गये कुछ भत्तों के पुन: लागू करने के लिए सरकार का धन्यवाद करते हए स्टाफ पक्ष ने रेलवे से द्विपक्षीय सहमति के अनुसार रेलवे के रनिंग स्टाफ के लिए उन 12 भत्तों पर से वित्त मंत्रालय के रोक हटाने की मांग की है।
स्टाफ पक्ष ने बैठक में अध्यक्ष को बताया कि केन्द्रीय कर्मचारियों में उभरते असंतोष पर विचार करते हुए उपर्युक्त मुद्दों पर सरकार अपनी भावनाओं को स्टाफ पक्ष के समक्ष रखे, अगर सरकार द्वारा कोई साकारात्मक रूख नहीं दिखा तब विकल्प के रूप में आंदोलनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
अध्यक्ष ने धैर्यपूर्वक सुनने के बाद निम्नलिखित प्रतिक्रिया दी है:—
1. स्टाफ पक्ष के विचारों को सरकार के समक्ष रखा जाएगा।
2. न्यूनतम वेतन और फिटमेंट फैक्टर के संबंध में स्टाफ साईड और भी आधार और संशोधन के औचित्य प्रस्तुत करे तो कार्यालय पक्ष इस पर विचार कर सकता है।
3. उपर्युक्त टिप्पणी प्राप्त होने के उपरांत अगली बैठक रखी जा सकेगी।
उपर्युक्त से अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकार ट्रांसपोर्ट/परिवहन भत्ते के संशोधन पर विचार कर सकती है। भत्तों को 01 जुलाई 2017 से लागू किया गया है और सरकार ने संसद में इस पर स्पष्ट किया है कि इस तिथि में बदलाव पर सरकार कोई विचार नहीं कर रही है। Read [सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग के अंतर्गत भत्तों को 1 जनवरी 16 की बजाय 1 जुलाई, 2017 से लागू करने, मूल वेतन की वृद्वि के तारीख से नहीं देने, बकाया नहीं देने के कारण पर वित्त मंत्रालय का संसद में स्टेटमेंट] अत: भत्तों पर एरियर मिलने की संभावना कम है।
न्यूनतम वेतन और फिटमेंट फार्मूले के संशोधन के मुद्दे को अभी स्थान दिया गया है पर किसी नतीजे आना संभव नहीं है। एच.आर.ए. के पुराने दर पर देने की मांग पर भी बैठक में कार्यालय पक्ष ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, अर्थात मकान किराये के दर में किसी और संशोधन की संभावना नहीं दिखाई पड़ती। अन्य मुद्दे सरकार को सूचनार्थ दिये गये हैं भविष्य में उनपर सकारात्मक असर दिख सकेगा।
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