7वां वेतन आयोग: 1 अप्रैल से मिलेगा मोदी का अलाउंस गिफ्ट?
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी मिले लंबा वक्त हो चुका है लेकिन केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को भत्ते के मामले में अभी भी मोदी सरकार के फैसले का इंतजार है. कर्मचारियों के भत्तों में इजाफा करने के लिए मोदी सरकार की बनाई लवासा कमेटी ने रिपोर्ट जमा करने की 22 फरवरी की डेडलाइन बीत चुकी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वित्त सचिव अशोक लवासा की अध्यक्षता में बनी कमेटी ऑन अलाउंसेस मार्च के अंतिम सप्ताह में अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को सौंप सकती है. लिहाजा, केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को उम्मीद है कि उन्हें अप्रैल 2017 से नए दर से भत्ता मिलना शुरू हो जाएगा.
सातवें वेतन आयोग से संबंधित:
1. मार्च 10, 2017 को वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में उठे सवाल के जवाब में बताया कि लवासा कमेटी ने अभी अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को नहीं सौंपी है. हालांकि मेघवाल ने कहा कि कमेटी में बातचीत का दौर आखिरी चरणों में है और जल्द वह अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी.
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2. सातवें वेतन आयोग में अलाउंस पर की गई सिफारिशों का केन्द्रीय कर्मचारियों द्वारा विरोध के बाद मोदी सरकार ने जुली 2016 में लवासा कमेटी का गठन किया था. सातवें वेतन आयोग ने कर्मचारियों को मिल रहे 196 भत्तों में से 55 भत्तों को कम करने की सिफारिश की थी. इसके आलावा वेतन आयोग ने कुछ भत्तों को मर्ज करने के लिए भी कहा है.
3. जुलाई 2016 में गठन के बाद केन्द्र सरकार ने लवासा कमेटी को अपनी रिपोर्ट देने के लिए 4 महीने का वक्त दिया था. लेकिन इस दौरान पहले नोटबंदी का ऐलान और फिर 5 राज्यों में चुनावों को देखते हुए केन्द्र सरकार को फैसला टालना पड़ा.
4. भत्ता केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी का एक बड़ा हिस्सा होता है. वेतन आयोग द्वारा होना वाली वृद्धि का भी सबसे बड़ा हिस्सा अलाउंस में पड़ता है. लिहाजा केन्द्र सरकार द्वारा भत्ते पर फैसला टलने का सीधा नुकसान केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है.
5. संसद अपने बजट सत्र के दूसरे भाग में है. सूत्रों के मुताबिक कमेटी ऑन अलाउंसेस मार्च के अखिरी हफ्ते में अपनी रिपोर्ट जमा कर सकती है. यदि भत्ते पर वेतन आयोग की सिफारिशों को मान लिया जाता तो 1 अप्रैल 2017 से कर्मचारियों को बढ़ा हुआ भत्ता मिलने लगेगा.
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COMMENTS
Media playing games with government employees
good news. HBut what about the option I in case of pensioners.
This is one more nuisance to Employees/pensioners.