HomeSeventh Pay CommissionAllowances

7वां वेतन आयोग : केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ा दिन, एचआरए पर बातचीत पूरी

7वां वेतन आयोग : केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ा दिन, एचआरए पर बातचीत पूरी
नई दिल्ली: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए आज काफी अहम दिन है. सातवें वेतन आयोग को लेकर उठे कई मुद्दों में कर्मचारियों ने एचआरए की दर पर भी आपत्ति जताई थी. सरकार ने इस मुद्दे को वित्त सचिव अशोक लवासा के नेतृत्व में समिति का गठन कर कर्मचारियों का पक्ष जानने का प्रयास किया और कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से बातचीत आरंभ की. कई दौर चली बातचीत के बाद मामला अपने अंतिम पड़ाव पर है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आज इस मुद्दे पर कर्मचारी पक्ष और सरकार के बीच अंतिम दौर की बातचीत हुई. सूत्र बता रहे हैं कि वित्त सचिव अशोक लवासा की आज तबीयत कुछ नासाज थी, इस वजह से बातचीत विस्तार से नहीं हुई, लेकिन माना जा रहा है कि बातचीत अब पूरी हो चुकी है और इसी के आधार पर अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा. जल्द ही यह भी पता लग जाएगा कि सरकार ने इस बारे में क्या निर्णय लिया है.
इस संबंध में एनजेसीए के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा ने एनडीटीवी को बताया कि आज इस मुद्दे पर बातचीत होगी. उन्हें उम्मीद है कि सरकार कर्मचारियों की मांग पर सकारात्मक रुख अख्तियार करे. जानकारी के लिए बता दें कि कर्मचारियों की मांग है कि एचआरए को पुराने फॉर्मूले के आधार पर तय किया जाए या फिर इसकी दर बढ़ाई जाए. वर्तमान में तय फॉर्मूला के हिसाब से एचआरए कर्मचारियों को पहले की तुलना में कम मिलने लगा है.
बता दें कि सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) द्वारा केन्द्रीय कर्मचारियों को दिए जाने वाले कई भत्तों को लेकर असमंजस की स्थिति है. नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में सातवें वेतन आयोग (Seventh Pay Commission) की सिफारिशों को मंजूरी दी थी और 1 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया था. लेकिन, भत्तों के साथ कई मुद्दों पर असहमति होने की वजह से इन सिफारिशें पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं. माना जा रहा है कि अशोक लवासा समिति ने अपनी रिपोर्ट लगभग तैयार कर ली है और आज की बैठक के बाद रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया जाएगा. माना यह भी जा रहा है कि जल्द ही यह रिपोर्ट वित्तमंत्री अरुण जेटली को सौंप दी जाएगी.
कहा जा रहा है कि सरकार की ओर से बातचीत के लिए अधिकृत अधिकारी एचआरए को 1 स्तर ऊपर करने को तैयार हुए हैं अब एचआरए 30%, 20% और 10% तक हो सकता है.
वहीं, विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि बड़े शहरों में इसे 30 प्रतिशत किया जा सकता है, लेकिन यह अभी तय नहीं है. कर्मचारी संगठन का कहना है कि अगर सरकार ने एचआरए बढ़ाया नहीं है तो घटा कैसे सकते हैं. उनका तर्क है कि क्या शहरों में मकान का किराया कम हुआ है. क्या मकान सस्ते हो गए हैं. जब यह नहीं हुआ है तो सरकार अपने कर्मचारियों के साथ अन्याय कैसे कर सकती है. सूत्र बता रहे हैं कि सरकार तक कर्मचारियों की मांग पहुंचा दी गई है और अब सरकार के भीतर इस मसले पर बातचीत होगी.
बता दें कि वेतन आयोग (पे कमीशन) ने अपनी रिपोर्ट में एचआरए को आरंभ में 24%, 16% और 8% तय किया था और कहा गया था कि जब डीए 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा तो यह 27%, 18% और 9% क्रमश: हो जाएगा. इतना ही नहीं वेतन आयोग (पे कमिशन) ने यह भी कहा था कि जब डीए 100% हो जाएगा तब यह दर 30%, 20% और 10% क्रमश : एक्स, वाई और जेड शहरों के लिए हो जाएगी.
उल्लेखनीय है कि कर्मचारियों के संयुक्त संगठन एनसीजेसीएम ने वेतन आयोग को सौंपे अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन में इस दर को क्रमश: 60%, 40% और 20% करने के लिए कहा था. संगठन का आरोप है कि आयोग ने कर्मचारियों की मांग को पूरी तरह से ठुकरा दिया था. उनका कहना है कि वेतन आयोग ने इस रेट को छठे वेतन आयोग से भी कम कर दिया है. इनका कहना है कि क्योंकि इसे डीए के साथ जोड़ा गया है तो यह तभी बढ़ेगा जब डीए की दर तय प्रतिशत तक बढ़ जाएगी.
कहा जा रहा है कि सरकार से बातचीत में यह भी तय होने की संभावना है कि एचआरए की दर शहरों की कैटेगरी के अनुसार से दूसरे तय प्रतिशतों के स्तर के हिसाब से लागू हो जाए.
जानकारी के लिए बता दें कि सातवां वेतन आयोग से पहले केंद्रीय कर्मचारी 196 किस्म के अलाउंसेस के हकदार थे. लेकिन सातवें वेतन आयोग ने कई अलाउंसेस को समाप्त कर दिया या फिर उन्हें मिला दिया जिसके बाद केवल 55 अलाउंस बाकी रह गए. तमाम कर्मचारियों को कई अलाउंस समाप्त होने का मलाल है. क्योंकि कई अलाउंस अभी तक लागू नहीं हुए और कर्मचारियों को उसका सीधा लाभ नहीं मिला है तो कर्मचारियों को लग रहा है कि वेतन आयोग की रिपोर्ट अभी लागू नहीं हुई
बता दें कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट से कर्मचारियों को कई शिकायतें रही हैं और ऐसे में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने कर्मचारियों की शिकायतों को दूर करने के लिए संबंधित मंत्रालय और वित्तमंत्रालय के अधीन समितियों का गठन किया है. ये समितियां कर्मचारी नेताओं से बात कर रही हैं और इस समितियों को अपना फैसला चार महीने में सरकार को देना था लेकिन अभी तक सात महीने से ज्यादा समय बीत चुका है और अभी तक किसी भी समिति ने अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है.
Read at: NDTV

COMMENTS

WORDPRESS: 0