7वां वेतन आयोग : अलाउंसेस को लेकर वित्त राज्यमंत्री मेघवाल ने दिया यह बयान, बातचीत लगभग पूरी
खास बातें
- सांसद नीरज शेखर ने राज्यभा में इसी मुद्दे से जुड़ा प्रश्न संसद में उठाया
- पूछा, समिति की वर्तमान स्थिति क्या है. बातचीत कहां तक हुई.
- कई विभागों के साथ विचार-विमर्श कर चुकी है सरकार.
नई दिल्ली: केंद्रीय कर्मचारियों को नरेंद्र मोदी सरकार ने समय पर सातवें वेतन आयोग का तोहफा दे दिया. ये अलग बात है कि कर्मचारियों को वेतन आयोग से जो वेतन में वृद्धि की उम्मीद थी वह पूरी नहीं हुई.
सातवें वेतन आयोग (पे कमिशन) की कई सिफारिशों पर कर्मचारियों ने आपत्ति जताई. उनमें सबसे अहम रही न्यूनतम वेतनमान को लेकर की गई वृद्धि और कई अलाउंसेस को लेकर वेतन आयोग की सिफारिशों से कर्मचारियों को सबसे ज्यादा निराशा हुई.
जहां वेतन आयोग की न्यूनतम वेतन को 18000 रुपये तय करने की सिफारिश को सरकार ने स्वीकार किया वहीं 196 अलाउंसेस में से केवल 55 भत्तों को रखने की वेतन आयोग की सिफारिश को केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया.
वेतन आयोग की रिपोर्ट को सरकार द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद कर्मचारियों ने खासी आपत्ति दर्ज कराई और साफ कर दिया कि उन्हें यह स्वीकार नहीं है. कर्मचारी संघों ने सरकार से इस लड़ाई के लिए एक संयुक्त संघ बनाया और हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे दी. सरकार ने कर्मचारियों की चेतावनी को गंभीरता से लिया और घोषणा की कि वह कर्मचारियों से हर आपत्ति पर बातचीत के लिए तैयार है. सरकार ने कर्मचारी संघों से चार महीने का समय मांगा जिसमें यह बातचीत की जानी थी.
हाल ही में सांसद नीरज शेखर ने राज्यभा में इसी मुद्दे से जुड़ा प्रश्न संसद में उठाया. उन्होंने वित्तमंत्री से सवाल किया कि क्या वित्तमंत्री यह बताएंगे की कि वित्तमंत्री और मंत्रियों के समूह ने कर्मचारियों को यह आश्वासन दिया था कि सातवें वेतन आयोग के अंतर्गत न्यूनतम वेतन और फिटमेंट फार्मूले के संशोधन की मांग पर विचार करने हेतु एक समिति गठित की जाएगी जिसे अपनी रिपोर्ट को चार माह के भीतर अंतिम रूप से प्रदान किए जाने का अधिदेश दिया जाएगा. यदि, हां तो समिति की वर्तमान स्थिति क्या है. साथ ही शेखर ने पूछा कि चार माह बीत जाने के बावजूद उक्त समिति द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने में विलंब के क्या कारण हैं.
इस प्रश्न के जवाब में वित्तमंत्रालय में राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों द्वारा राष्ट्रीय परिषद (स्टाफ पक्ष), संयुक्त परामर्शी तंत्र के प्रतिनिधियों को दिए गए आश्वासन के अनुसरण में, वरिष्ठ अधिकारियों के समूह ने इस संबंध में प्रतिनिधियों की मांगों पर चर्चा करने के लिए उनके साथ बैठकें की है.
सांसद शेखर ने अपने अन्य प्रश्न में इसी मुद्दे पर पूछा कि क्या भत्तों संबंधी समिति ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप प्रदान कर दिया है. यदि, हां तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और इसकी मुख्य सिफारिशें क्या हैं और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं.
वित्तमंत्रालय की ओर से मेघवाल ने सदन को बताया कि भत्तों से संबंधित समिति विभिन्न हितधारकों के साथ उनकी मांगों के संबंध में विचार-विमर्श कर रही है और अब तक राष्ट्रीय परिषद (स्टाफ पक्ष), संयुक्त परामर्शी तंत्र, कर्मचारी संघों के प्रतिनिधियों और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, गृह मंत्रालय और डाक विभाग अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श कर चुकी है. अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले यह समिति कुछ अन्य प्रमुख मंत्रालयों और विभागों तथा हितधारकों के प्रतिनिधियों जिनके साथ अभी विचार-विमर्श किया जाना है, के साथ बातचीत कर सकती है.
संसद में सरकार की ओर दिए गए इस जवाब से यह साफ हो गया है कि भत्तों को लेकर बातचीत लगभग पूरी हो गई है.
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