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7वें वेतन आयोग से नाखुश केंद्रीय कर्मचारी, बुधवार को तय करेंगे 11 जुलाई की प्रस्तावित हड़ताल पर अपना रूख

7वें वेतन आयोग से नाखुश 33 लाख केंद्रीय कर्मचारी, बुधवार को तय करेंगे 11 जुलाई की प्रस्तावित हड़ताल पर अपना रूख

नई दिल्ली। केंद्रीय कर्मचारियों के संगठनों की संयुक्त संघर्ष परिषद (एनजेसीए) वेतन के मुद्दे पर सरकार के साथ हाल की बातचीत के मद्देनजर 11 जुलाई को प्रस्तावित हड़ताल करने या न करने का निर्णय बुधवार को करेगी। लगभग 33 लाख केंद्रीय कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली एनजेसीए ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर लागू वेतन वृद्धि को बहुत कम बताया है। मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह वेतन आयोग की सिफारिश को लागू करने का निर्णय लिया। इसके तहत न्यूनतम वेतन 18,000 रुपए तय किया गया है पर कर्मचारी इसे कम बता कर इसका विरोध कर रहे हैं।


एनजेसीए के संयोजक शिवगोपाल मिश्र ने कहा, सरकार ने एनजेसीए के साथ बातचीत शुरू की है। हम इसका स्वागत करते हैं। लेकिन हड़ताल पर जाने के बारे में निर्णय छह जुलाई को परिषद की बैठक में किया जाएगा। एनजेसीए के प्रतिनिधियों ने 30 जून को वित्त मंत्री अरूण जेटली, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, रेल मंत्री सुरेश प्रभु तथा रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा के साथ बैठक की थी। बैठक में मिश्र भी शामिल थे। उन्होंने कहा, उन्होंने हमें कुछ भी आश्वासन नहीं दिया। उन्होंने न्यूनतम वेतन और फिटमेंट फार्मूला पुनर्विचार के लिये एक समिति को भेजने का फैसला किया है। समिति तीन से चार महीने में अपनी रिपोर्ट दे सकती है। सरकार की तरफ से एनजेसीए की मांग पर ध्यान देने के बाद ऐसी अटकलें हैं कि 11 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल को टाला जा सकता है। एनजेसीए न्यूनतम वेतन 18,000 रुपए से बढ़ाकर 25,000 रुपए से अधिक करने की मांग कर रही है।

सरकार ने फिटमेंट फार्मूले के तहत मौजूदा न्यूनतम वेतन 7,000 रुपए में 2.57 गुना की वृद्धि की है। इसके आधार पर न्यूनतम वेतन 18,000 रुपए हो गया है। पर कर्मचारी फिटमैंट फार्मूला 3.68 की मांग कर रहे हैं। इससे न्यूनतम मासिक वेतन 25,760 रुपए हो जाएगा। एनजेसीए कान्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट इंप्लायज (सीसीजीई), ऑल इंडिया डिफेंस इंप्लाय फेडरेशन, ऑल इंडिया रेलवे मेन फेडरेशन और नेशनल कार्डिनेशन कमेटी ऑफ पेंशनर्स एसोसिएशन समेत सरकारी कर्मचारी संगठनों का संयुक्त मंच है।
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COMMENTS

WORDPRESS: 8
  • Anonymous 8 years ago

    Mr. Sanak Das. Mostly the people face trouble during ineractions with the state gov employees as state govt. does most of the public dealings and is direct faclilitator to the public. It is also due to the shortage of staff and resources as well as complications of public dealings which gives hardships to the people. be it banks or railway ticket counters, it is there to see that how many staffs are per thousand people. Corruption is a different case which exists, but many govt staffers do work.

  • Sanak Das 8 years ago

    I am not objecting hike of money .Since it is a continuous process after one decade.But responsibility be fixed since it is public money.People should not face trouble,most of it is published in daily news paper.So not I but all should be corrected. I am o.k. in my point.

  • Anup Pratap 8 years ago

    Absolutely wrong. Very biased views

  • Kashmiri Lal Singla 8 years ago

    Perhaps the employees are in the habit of always crying for nothing. They are getting much more than that what they actually deserve and enjoying their life by just working for 6 months in a year and that too for meagrely 4-5 hours a day. Besides they enjoy many perks and also fleece the public by getting gratification for everything they do.

    • Anonymous 8 years ago

      I think you had also worked with GOI and how much money u have fleeced from the public u better know than others. Think before u write about others and make sure u correct yourself the whole world shall be corrected. It means one should be honest for himself

  • Dhanvin Soni 8 years ago

    7th cpc constitutes by congress and it's complete it reports within 14 months.
    commission may demanded 1 month extension to submit report. Modi govt. Gives 6 months to submit report. But commission submit its reports in November 2015 within 3 or 4 months.
    Modi govt. Constitutes ECOS for study the 7th cpc and submits report. But pressure of central govt. employee ECOS submit report after 8 months but Modi govt. Not accept the report and give 7th pay commission as it's as mathur committee report. Then what is the fun for constitutes of ECOS just wastage of public money and time. Please collect all the salary of ECOS officer and resources money which is used by ECOS OFFICER from MODI and JAITELY salary.
    Now Modi govt. Again constitute one more committee and give 3 to 6 months time for making the central govt employee fool/ befkuf.
    Again Modi govt. Will not accept the report.
    MODI govt give subsidies to corporate parson ADANI AND AMBANI and so many others. But for poor man they said hamare pass kuch nai hai.
    Yeh hai iss govt ke ache din.

    • Ramesh Chandrawal 8 years ago

      काठ की हांड़ी बार बार नही चड़ती ….सरकारी कर्मचारियों के लिए सिर्फ कांग्रेस ही हितकर रही है….बीजेपी वाले तो सिर्फ अपने मुहँ मियां मिट्ठू बनते हैं ….कांग्रेस के राज के सोदे और समझोते ही बीजेपी वाले दुगने चौगुने दामो में बडा चड़ा कर अड़ानी और अम्बानी को बीच में घुसेड़कर देश को भारी आर्थिक हानि कर रहे है …..सरकारी कर्मचारियों के कारण ही दो सालों में इतना हुआ है वर्ना सिर्फ नेता लोग अकेले सरकार और देश चला कर देख लें …..7 वें वेतन आयोग की जरुरत ही क्या थी अगर 50% से ज्यादा महंगाई भत्ते को वेतन में समायोजित कर दिया जाता और अब तो महंगाई भत्ते की राशी १२५% हो गयी थी इसे सीधे ही वेतन में समायोजित ही कर देते फिर भी कुछ तो संतोष होता ….हमारे महंगाई भत्ते की राशी को ही बीजेपी सरकार हड़प गयी और दे दिया झुनझुना नकली वेतन वृद्धि का ……

    • anurag srivastav 8 years ago

      14 महीने मे पे कमीशन की रिपोर्ट आयी और सरकार 14 महीने बाद ही लागू करेंगी,सांसदो को 100प्रतिशत की वेतन मे बढोतरी चाहिए और फोकट की पेंशन चाहिए