अर्धसैनिकों ने भी मांगी सेना के जवानों के बराबर सुविधाएं
भारतीय सैनिकों के साथ कंघे से कंधा मिलाकर काम करने वाले पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों ने खुद को सेना के जवानों की तर्ज पर सुविधा मांगी हैं।
रविवार को जाट धर्मशाला में पूर्व अर्धसैनिक बल वेल्फेयर एसोसिएशन प्रसंघ के बैनर तले आयोजित राज्यस्तरीय सम्मेलन में पूर्व सैनिकों के नुमाइंदों ने कहा कि में पूर्व सीआरपीएफ,बीएसफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी व एआर में सेवाएं देने वाले देश के बीस लाख जवान भारतीय सीमा के पन्द्रह हजार किलोमीटर सीमा रेखा की सुरक्षा करने के साथ साथ देश में भूकंप,बाढ़ आदि आपदा आने पर तुरंत मोर्चा संभालते हैं। फिर भी अर्धसैनिक बलों के जवानों को भारीतय सेना के जवानों के समकक्ष नहीं माना जाता।
एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसपीएस मलिक ने कहा कि सातवें वेतन आयोग में वन रैंक वन पैंशन की सिफरिया करने के साथ ही अर्धसैनिक बलों में काम करने वाले सैनिकों की कार्य के दौरान मृत्यु होने पर शहीद का दर्जा दिए जाने का प्रावधान किया है। ऐसे में एसोसिएशन सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने की मांग करती है। इसके अलावा उन्होंने अर्धसैनिक बलों की मांग उठाते हुए कहा कि वर्ष 2004 के बाद भर्ती हुए जवानों को भी पेंशन सेवा का लाभ दिया जाए, अर्धसैनिक बलों को स्पेशल पे लागू की जाए ,दिल्ली सरकार की तर्ज पर हरियाणा राज्य की सरकार भी शहीद के परिवार को एक करोड़ रुपये मुआवजा दे, प्रदेश के विभिन्न शहरों में खुली सैंट्रल पुलिस कैंटीन से वैट व दूसरे टैक्सों की दरें घटाकर सस्ता सामान दिया जाए, सैनिक स्कूलों की तर्ज पर जिला स्तर पर पैरा मिलिट्री स्कूल खोले जाएं। रिटायर्ड अर्धसैनिक बलों के जवानों को सरकारी नौकरियों में वरीयता दी जाए, सैनिकों के बच्चों को शिक्षण संस्थाओं में सीटें आरक्षित कर दाखिला दिया जाए ताकि वे भी पढ़ लिखकर काबिल बन सकें। इस मौके पर राज्यस्तरीय सम्मेलन में कमांडेंट एसपीएस मलिक, राज्य प्रधान रणबीर सिंह, एक्स कमांडेंट सुरेश फौगाट, हवासिंह सांगवान, पूर्व सब इंस्पेक्टर रणबीर सिंह आदि पूर्व सैनिक उपस्थित रहे।
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