सखी सैयां तो खूब ही कमात हैं, AC नहीं लगाय जात है
सखी सैयां तो खूब ही कमात है, महंगाई डायन खाय जात है। यह गीत फिल्म ‘पीपली लाइव’ का है। लेकिन यहां महंगाई नहीं, बल्कि कार्रवाई का डर डायन बन रेलवेकर्मियों को डरा रहा है। कर्मियों का वेतन तो 40 हजार रुपए के पार है, पर घर में एसी लगाने पर पाबंदी है। चैत्र में ही वैशाख जैसी गर्मी है, पर आसरा पंखों का ही है।
छठे वेतनमान के बाद रेलवे में सातवें वेतन आयोग की सिफारिसों के आधार पर वेतन देने की तैयारी चल रही है। छठा वेतनमान लागू होने के बाद से ही ग्रुप सी के ज्यादतर रेलकर्मियों का वेतन 35 से 40 हजार पहुंच चुका है। अपने वेतन के पैसे से रेलकर्मी एसी तो खरीद सकते हैं, लेकिन अपने क्वार्टर में लगा नहीं सकते। रेलवे के टाइप वन और टाइप टू क्वार्टर में एसी लगाने की सख्त मनाही है। ऐसा करने पर बड़े जुर्माने के साथ विभागीय कार्रवाई का भी प्रावधान है।
डाक्टर कहें तब खा सकेंगे एसी की हवा
रेलवे के नियम के अनुसार यदि किसी कर्मचारी या उनके आश्रित किसी बीमारी से ग्रसित हैं और डॉक्टर उन्हें एसी रखने की सलाह देते हैं, तो मुख्यालय के चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर को पत्र लिखकर अनुमति मांगनी होगी। यदि सीइइ की मेहरबानी हुई तब कर्मचारी अलग से बिजली मीटर लगाकर एसी लगा पाएगा। इसके लिए उसे और भी कई औपचारिकताएं पूरी करनी होगी।
अधिकारी को सिर्फ एक एसी लगाने की छूट
रेल अफसर भी तो सिर्फ एक कमरे में एसी लगा सकते हैं। टाइप थ्री से टाइप फाइव तक के क्वार्टरों में एक ही एसी लगाने की अनुमति है।
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