Recommendations of Seventh Pay Commission on NPS एन.पी.एस. के संबंध में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें
GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF FINANCE
RAJYA SABHA
UNSTARRED QUESTION NO-2640
ANSWERED ON-22.12.2015
Recommendations of Seventh Pay Commission on NPS
2640 . Smt. Wansuk Syiem
(a) whether the Seventh Pay Commission has recommended that withdrawals under the National Pension System (NPS) should be tax exempt to place the pension system at par with other similar schemes, as also the service tax levied at the time of annuity purchase by NPS subscribers;
(b) whether the Commission has come down heavily upon callous implementation of the NPS over the years with State Governments depositing contributions (deductions) of employees for eight years in lump sum without any returns or own contributions; and
(c) if so, the Government”s comments thereon ?
ANSWER
The Minister of State in the Ministry of Finance
(a): Yes, the Seventh Pay Commission has recommended, inter alia, that withdrawals under the National Pension System (NPS) should be tax-exempt to place NPS at par with other pension schemes. The Commission has also recommended that the service tax levied at the time of annuity purchase by NPS subscribers should be exempted.
(b) and (c): The Seventh Central Pay Commission has commented on NPS implementation for All India Service (AIS) officers, stating that in the case of AIS officers, some states are yet to release counterpart contributions or pay interest on delayed contributions. The Commission has, therefore, recommended that Central Governments and State Governments should, in a time bound manner, ensure that all the due contribution along with compounded interest, where contributions have been delayed, be deposited in the accounts of the beneficiaries. Advisories should be issued to the State Governments to deposit amounts, if not already done, in respect of NPS beneficiaries belonging to All India Services.
However, the statement, that State Governments have deposited contributions (deductions) of employees for eight years together without any returns or own contributions, cannot be generalised. The State Governments have paid interest and also transmitted own contributions in case of AIS officers. Even the States of West Bengal and Tripura, which are yet to implement NPS in respect of State Government employees, are discharging functions related to NPS implementation for AIS officers posted in these two States. The State of Tamil Nadu, however, has yet to adopt NPS architecture for both State Government employees and AIS officers.
After the establishment of NPS architecture, PFRDA has been sensitising all State Governments about timely remittance of NPS contributions and interest on delayed remittances. States were also informed to sensitise the nodal offices to adhere to the various guidelines. PFRDA constantly interacts with officials of Central Ministries and State Government through letters, meetings, workshop and conferences.
PFRDA has notified various Regulations and one of these is PFRDA (Redressal of Subscriber Grievance) Regulations, 2015. PFRDA has issued advisories to all State Governments to streamline and automate various NPS activities. NPS has a centralised grievance management system, where subscriber can lodge grievances and may also be guided by above mentioned regulation. PFRDA has also written letters to all State Governments to frame timelines for various NPS related activities and some of the States have already framed the same.
******
भारत सरकार
वित्तस मंत्रालय
वित्तीय सेवाएं विभाग
राज्य सभा
अतारांकित प्रश्ना संख्या 2640
(जिसका उत्त्र 22 दिसम्ब र, 2015/01 पौष, 1937 (शक) को दिया जाना है)
एन.पी.एस. के संबंध में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें
2640. श्रीमती वानसुक साइम:
क्याज वित्त. मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:
(क) क्याि सातवें वेतन आयोग ने सिफारिश की है कि राष्ट्री य पेंशन प्रणाली (एन.पी.एस.) के अंतर्गत आहरण कर-मुक्ति होना चाहिए ताकि इस पेंशन प्रणाली को अन्य इसी प्रकार की योजनाओं के समकक्ष लाया जा सके क्योंिकि एन.पी.एस. अंशदाताओं द्वारा वार्षिकी खरीद के समय उनसे सेवा कर लिया जाता है;
(ख) क्याि आयोग ने कई वर्षों से राज्यक सरकारों द्वारा कर्मचारियों के आठ वर्षों के अंशदान (कटौती) को बिना किसी लाभ अथवा स्वकयं के अंशदान के एकमुश्त जमा करने के संवेदनाहीन एन.पी.एस. कार्यान्वोयन को आड़े हाथों लिया है; और
(ग) यदि हां, तो इस पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया है?
उत्तर
वित्तह मंत्रालय में राज्य, मंत्री (श्री जयंत सिन्हा्)
(क): जी, हां। 7वें वेतन आयोग ने, अन्यै बातों के साथ-साथ, यह सिफारिश की है कि राष्ट्री य पेंशन प्रणाली के अंतर्गत आहरण को कर-मुक्तए किया जाना चाहिए ताकि यह अन्यत पेंशन योजनाओं के समान हो सके। आयोग ने यह सिफारिश भी की है कि एनपीएस अभिदाताओं द्वारा वार्षिकी की खरीद के समय उन पर लगने वाले सेवा कर से छूट दी जानी चाहिए।
(ख) और (ग): 7वें वेतन आयोग ने अखिल भारतीय सेवा (एआईएस) के लिए एनपीएस लागू करने के संबंध में सिफारिश की है, इसमें यह कहा गया है कि एआईएस अधिकारियों के मामलों में कुछेक राज्यों द्वारा अपना प्रति अंशदान अथवा लंबित अंशदानों के संबंध में ब्यागज अदा किया जाना है। अत: आयोग ने यह सिफारिश की है कि केंद्र सरकार और राज्यि सरकारों को समयबद्ध तरीके से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लंबित अंशदानों के मामले में चक्रवृद्धि ब्या ज सहित सभी देय अंशदान लाभार्थियों के खाते में जमा किए जाएं। अखिल भारतीय सेवा के एनपीएस लाभार्थियों के मामले में यदि राज्य सरकारों ने राशि पहले जमा नहीं की है, तो उन्हेंल ऐसा करने के लिए परामर्श जारी किए जाने चाहिएं।
तथापि, यह कथन कि राज्यर सरकारों ने कर्मचारियों के 8 वर्ष का अंशदान (कटौती) बिना किसी प्रतिफल अथवा अपने अंशदानों को जमा किया है, को आम-तौर पर परिचालनीय नहीं बनाया जा सकता। राज्य सरकारों ने ब्या्ज का भी भुगतान किया है और एआईएस अधिकारियों के मामले में अपने अंशदान को भी विप्रेषित किया है। पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा राज्य , जिन्होंाने राज्यश सरकार के कर्मचारियों के संबंध में एनपीएस लागू नहीं किया है, भी इन दो राज्यों में तैनात एआईएस अधिकारियों के एनपीएस कार्यान्वोयन से संबंधित कार्य कर रहे हैं। तथापि, तमिलनाडु राज्यि द्वारा अभी राज्य सरकार के कर्मचारियों तथा एआईएस अधिकारियों दोनों के लिए एनपीएस संरचना को अपनाया जाना है।
एनपीएस संरचना को स्थाेपित किए जाने के पश्चाित् पीएफआरडीए सभी राज्या सरकारों को एनपीस अंशदान और लंबित विप्रेषण के संबंध में ब्यािज का समय पर विप्रेषण करने के लिए सुग्राही बना रहा है। राज्योंर को भी विभिन्नद दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए नोडल अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए कहा गया है। पीएफआरडीए केंद्रीय मंत्रालयों तथा राज्य सरकारों के अधिकारियों के साथ पत्रों, बैठकों, कार्यशालाओं तथा सम्मनलेनों के जरिए लगातार विचार-विमर्श करता है।
पीएफआरडीए ने विभिन्नर विनियमों को अधिसूचित किया है और उसमें से एक पीएफआरडीए (अभिदाता शिकायत निवारण) विनियम, 2015 है। पीएफआरडीए ने सभी राज्यए सरकारों को विभिन्न् एनपीएस कार्यकलापों को सुचारू तथा स्विचलित बनाने की सलाह दी है। एनपीएस में एक केंद्रीयकृत शिकायत प्रबंधन प्रणाली है, जिसमें अभिदाता अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं और उपर्युक्तप विनियम के द्वारा दिशानिर्देशित हो सकते हैं। पीएफआरडीए ने एनपीएस से संबंधित विभिन्ने कार्यकलापों के लिए समय-सीमा निर्धारित करने हेतु सभी राज्यआ सरकारों को पत्र भी लिखे हैं और कुछेक राज्योंि ने इसे तैयार भी कर लिया है।
****
ENGLISH VERSION HINDI_VERSION
COMMENTS