सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से चिंतित रेल मंत्रालय
नयी दिल्ली. रेलवे को 2015 में लक्ष्य से कम राजस्व प्राप्ति और वेतन आयोग के सिफारिशों के असहनीय बोझ की आशंका से जूझना पड़ा, जबकि उम्मीद है कि अगले साल दोनों मुद्दों का समाधान कर लिया जाएगा.
रेलवे की आय, हालांकि, 10 दिसंबर तक पिछले साल के मुकाबले 6.67 प्रतिशत बढी, लेकिन राजस्व प्राप्ति लक्ष्य से कम रही. रेलवे की आय 10 दिसंबर तक 8.8 प्रतिशत घटकर 1,11,834.32 करोड़ रुपए रही जबकि लक्ष्य 1,22,639.16 करोड़ रुपए था.
रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने समाचार एजेंसी भाषा से कहा, ‘‘2015 में जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, उनमें पर्याप्त माल न मिलना शामिल है. इसलिए राजस्व घटा. इस्पात, सीमेंट, लौह अयस्क की मांग की स्थिति अच्छी नहीं है. आयात-निर्यात कम है. ये माल भाड़े के स्रोत हैं. इसलिए लक्ष्य प्राप्त करना संभव नहीं है.’ उन्होंने यह बात इस प्रश्न के जवाब में कही कि क्या उन्हें 2015 में कुछ चीजें नहीं कर पाने या इससे बेहतर करने का अफसोस है.
उन्होंने यह भी कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें समान रूप से चुनौतीपूर्ण हैं, क्योंकि रेलवे को सालाना इस पर अतिरिक्त 32,000 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे. प्रभु ने कहा, ‘‘वेतन आयोग की सिफारिशें एक अन्य चुनौती है. रेलवे पर वेतन आयोग के लिए 32,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ असहनीय है.
यह बड़ी चुनौतियां हैं. ये बड़ी चुनौतियां हैं.’ उन्होंने कहा ‘‘ये 2015 की दो बड़ी चुनौतियां हैं और मुझे उम्मीद है कि हम 2016 में इसका समाधान कर सकेंगे. वेतन आयोग पर हम वित्त मंत्रालय से बात करेंगे.’ हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि रेल मंत्रालय ने वेतन आयोग से बढ़ने वाले बोझ के मद्देनजर अपनी चिंताओं से वित्त मंत्रालय को अवगत कराने के लिए पत्र लिखा है.
अतिक्रमण वाली जमीन को मुक्त कराने रास्ता ढूंढना होगा
यह पूछने पर कि हाल में दिल्ली की शकूरबस्ती में झुग्गी हटाने की घटना में एक बच्चे की मौत रेलवे के लिए झटका है क्योंकि रेलवे की जमीन पर से अतिक्रमण हटाना आसान नहीं होगा, प्रभु ने कहा, ‘‘सार्वजनिक संपत्ति का उपयेाग जनता की भलाई के लिए किया जाता है. इसलिए हमें तरीका ढूंढना होगा. इस पर सार्वजनिक बहस करनी होगी. हम वहां बंगला नहीं बनाना चाहते.’ उन्होंने अतिक्रमण हटाने में मानवीय रवैये पर जोर दिया.
प्रभु ने कहा, ‘‘हमें हरसंभव बेहतरीन तरीका ढूंढना है. साथ ही मैंने अपने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इसे मानवीय तरीके से करें. मुझे पता नहीं था कि झुग्गियां कब तोड़ी गयीं, नहीं तो मैंने उन्हें कहा होता कि ऐसा इस वक्त न करें. इसे हम मानवीय तरीके से निपटेंगे. ‘ यह पूछने पर कि विपरीत वित्तीय स्थितियों के बावजूद उन्होंने किराया क्यों नहीं बढाया, प्रभु ने अब्राहम लिंकन को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘हमने रेलवे के हित में हर कुछ करने की कोशिश की. इसलिए हमने जो भी किया वह रेलवे का, रेलवे के द्वारा और रेलवे के लिए किया.’ उन्होंने कहा कि 2015 में रेलवे में बहुत सी अच्छी चीजें हुईं.
प्रभु ने कहा, ‘‘2015 में हमने कई चीजें कीं. पहली चीज तो यह थी कि रेलवे के लिए विशाल संसाधन की व्यवस्था की जो इसके लिए हमेशा से सभी बड़ी समस्या है. रेलवे के लिए वित्तपोषण हासिल करना बड़ी उपलब्धि है.’
निविदा के विकेंद्रीकरण
सुधार केंद्रित रवैये के लिए मशहूर, प्रभु ने वरिष्ठ रेल अधिकारियों को निविदा जारी करने समेत अधिकार प्रदान करने को ‘पथ प्रदर्शक’ पहल और रेलवे में पारदर्शिता लाने के लिए की कोशिश करार दिया.
उन्होंने दावा किया, ‘‘मैंने महाप्रबंधकों और डिविजनल रेल प्रबंधकों को अधिकार देकर पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू की है जो अपने आप में असाधारण है. हमने रेलवे में पूर्ण पारदर्शिता लायी है. जब से मैं मंत्री बना हूं, मेरे पास एक भी निविदा नहीं आयी है. यह रेलवे का महत्वपूर्ण सुधार है.’ रेल मंत्री ने कहा कि पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए हर तरह की निविदा को इ-निविदा के स्वरुप में लाने की कोशिश की जा रही है.
उन्होंने कहा, ‘‘अब हम सभी टेंडरों को ई-निविदा मंच के तहत ला रहे हैं. हमने नियुक्ति, स्थानांतरण आदि भी पारदर्शी तरीके से करना शुरू किया है.’ उन्होंने कहा ‘‘हमने नियुक्ति के लिए आनलाइन परीक्षा लेनी शुरू की है जिससे भ्रष्टाचार उल्लेखनीय रूप से दूर होगा.’ उन्होंने रेलवे में मेक-इन-इंडिया अभियान का हवाला देते हुए कहा, ‘‘हमने बिहार के मधेपुरा और मरहोरा में 40,000 करोड़ रुपए की लोकोमोटिव परियोजना के साथ के साथ बड़े पैमाने पर यह अभियान शुरू किया है.’ प्रभु ने कहा, ‘‘यह मेक-इन-इंडिया से जुड़ी बड़ी पहल है, क्योंकि इससे बिहार में रोजगार आएगा. यह भारत में नयी प्रौद्योगिकी भी लाएगा.’ उन्होंने कहा कि परियोजनाओं से कई सहयोगी इकाइयों को फायदा होगा क्योंकि फैक्ट्रियों के लिए आपूर्तिकर्ता होंगे.
रेलवे के हित में काम करने की कोशिश
करोड़ों रुपए की ट्रेन-सेट परियाजना संबंधी फैसले पर उन्होंने कहा, ‘‘लोकोमोटिव फैक्टरी हो या ट्रेन-सेट, मैंने रेलवे के हित में फैसला किया. जो भी रेलवे के हित में था मैंने करने की कोशिश की.’ रेल क्षेत्र में जापान के साथ हुए व्यापक समझौते के बारे में प्रभु ने कहा, ‘‘जापान के साथ गठजोड़ सुरक्षा और अनुसंधान समेत हमारी मौजूदा प्रणाली का उल्लेखनीय तरीके से उन्नयन करेगा. यहां बुलेट ट्रेन पर भी समझौता हुआ.’ रेल बजट 2015-16 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ज्यादातर घोषणाओं को कार्यान्वित किया गया.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने बजट में की गयी 110 घोषणाओं पर अमल किया.’ लेखा प्रणाली में प्रस्तावित सुधार के संबंध में उन्होंने कहा, ‘‘लेखा प्रणाली में बदलाव के लिए लेखा सुधार शुरू हो चुका है. मानव संसाधन और उर्जा का लेखा परीक्षण भी हो रहा है.’ मंत्री ने कहा कि उर्जा संरक्षण पर ध्यान दिया जा रहा है. उन्होंने कहा ‘‘जहां एक ओर उर्जा का लेखा परीक्षण हो रहा है वहीं उर्जा की बचत और उर्जा की लागत घटाने के लिए पहल की जा रही है.’ प्रस्तावित रेल नियामक प्राधिकार के बारे में प्रभु ने कहा, ‘‘मसौदा तैयार है और हम इसे अंतिम स्वरुप देने से पहले सभी संबद्ध पक्षों के पास उनकी राय के लिए भेजेंगे. हालांकि, हम इसका नाम बदल सकते हैं.’
Read at: Pal Pal India
Stay connected with us via Facebook, Google+ or Email Subscription.
Subscribe to Central Government Employee News & Tools by Email [Click Here]
Follow us: Twitter [click here] | Facebook [click here] | Google+ [click here]
Admin
COMMENTS