अब मोदी सरकार रखेगी कर्मचारियों की फोन कॉल से लेकर टॉयलेट जाने तक पर नजर!
नई दिल्ली
नई दिल्ली
कर्मचारियों की संख्या को तर्कसंगत बनाने और सरकार के वेतन बिल में कटौती करने के लिए, वित्त मंत्रालय के अंतरगत आने वाला व्यय विभाग (डिपार्टमेंट आॅफ एक्सपेंडीचर) केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और अन्य संस्थाओं में कर्मचारियों से जुड़े लगभग 22 विषायों पर विस्तृत अध्ययन करेगा।
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने इस अध्ययन का जिम्मा व्यय विभाग की निगरानी में कर्मचारी निरीक्षण इकाई (एसआईयू) को सौपा है।
केन्द्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय तथा पर्यावरण मंत्रालय में इस आशय से जुड़े चार मुद्दों पर पहले से ही अध्ययन चल रहा है।
इस अध्ययन के मद्देनजर इन मंत्रालयों में कार्यरत संयुक्त सचिव स्तर के
नीचे आने वाले सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से उनकी हर छोटी से छोटी
गतिविधि को रजिस्टर में दर्ज करने के लिए कहा गया है।
नीचे आने वाले सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से उनकी हर छोटी से छोटी
गतिविधि को रजिस्टर में दर्ज करने के लिए कहा गया है।
इस
संबंध में व्यय विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘ हमें 20 से 22 विषयों पर
अध्ययन करने का जिम्मा सौपा गया है। यह एक सतत प्रक्रिया है, हमने पिछले
वर्ष भी 5 विषयों पर अध्ययन किया था, इस बार ज्यादा विषयों को अध्ययन के
केन्द्र में रखा गया है।
संबंध में व्यय विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘ हमें 20 से 22 विषयों पर
अध्ययन करने का जिम्मा सौपा गया है। यह एक सतत प्रक्रिया है, हमने पिछले
वर्ष भी 5 विषयों पर अध्ययन किया था, इस बार ज्यादा विषयों को अध्ययन के
केन्द्र में रखा गया है।
सरकार विभिन्न मंत्रालयों तथा
संस्थाओं में मानवशक्ति को न्यायसंगत और उनकी कार्यक्षमता का समुचित दोहन
करने के लिए के प्रति गंभीर है।’
संस्थाओं में मानवशक्ति को न्यायसंगत और उनकी कार्यक्षमता का समुचित दोहन
करने के लिए के प्रति गंभीर है।’
इससे पूर्व 2003 में एनडीए सरकार के कार्यकाल में एसआईयू ने केन्द्रीय
कर्मचारियों से जुड़े 26 विषयों पर अध्ययन कर रिपोर्ट पेश किया था। उसके
बाद यूपीए सरकार के दस वर्षों के शासन के दौरान एसआईयू ने प्रतिवर्ष औसतन
11 विषयों पर सरकार को अध्ययन रिपोर्ट सौपा।
कर्मचारियों से जुड़े 26 विषयों पर अध्ययन कर रिपोर्ट पेश किया था। उसके
बाद यूपीए सरकार के दस वर्षों के शासन के दौरान एसआईयू ने प्रतिवर्ष औसतन
11 विषयों पर सरकार को अध्ययन रिपोर्ट सौपा।
एसआईयू के
माध्यम से अपने 10 वर्षों के शासन में यूपीए सरकार जहां 265 करोड़ रूपये की
बचत कर पाई थी, वहीं वर्तमान एनडीए सरकार वर्ष 2014 में एसआईयू द्वारा
कर्मचारियों से जुड़े विषयों पर किए गए मात्र 5 अध्ययनों से 363 करोड़
रूपये की बचत करने में कामयाब रही।
माध्यम से अपने 10 वर्षों के शासन में यूपीए सरकार जहां 265 करोड़ रूपये की
बचत कर पाई थी, वहीं वर्तमान एनडीए सरकार वर्ष 2014 में एसआईयू द्वारा
कर्मचारियों से जुड़े विषयों पर किए गए मात्र 5 अध्ययनों से 363 करोड़
रूपये की बचत करने में कामयाब रही।
एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष सरकार ने अपने
कर्मचारियों की गतिविधियों का गहन निरीक्षण कर सरकारी खर्च में बड़ी कटौती
का लक्ष्य रखा है। इसके अंतरगत केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों तथा
संस्थाओं में कर्मचारियों को अपनी दिनचर्या जैसे मोबाइल पर बात करना,
टॉयलेट जाना, लंच करना और ऑफिस आने से लेकर जाने तक की पूरी गतिबिधियों को
रोजाना एक प्रोफॉर्मा में दर्ज करना होता है, जिसका एसआईयू टीम द्वारा
दैनिक आधार पर निरीक्षण किया जाता है।
कर्मचारियों की गतिविधियों का गहन निरीक्षण कर सरकारी खर्च में बड़ी कटौती
का लक्ष्य रखा है। इसके अंतरगत केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों तथा
संस्थाओं में कर्मचारियों को अपनी दिनचर्या जैसे मोबाइल पर बात करना,
टॉयलेट जाना, लंच करना और ऑफिस आने से लेकर जाने तक की पूरी गतिबिधियों को
रोजाना एक प्रोफॉर्मा में दर्ज करना होता है, जिसका एसआईयू टीम द्वारा
दैनिक आधार पर निरीक्षण किया जाता है।
बताते चलें कि वर्ष 1964 में स्थापित, एसआईयू सरकारी कार्यालयों में काम की
जरूरत के हिसाब से कर्मचारियों की संख्या, गैर जरूरी सरकारी खर्चों पर
नियंत्रण, जरूरत के हिसाब से नई नियुक्तियों और अन्य मुद्दों पर सरकार को
राय देती है। सरकार इस तरह गैर न्यायोचित सरकारी खर्च पर नियंत्रण करती है।
जरूरत के हिसाब से कर्मचारियों की संख्या, गैर जरूरी सरकारी खर्चों पर
नियंत्रण, जरूरत के हिसाब से नई नियुक्तियों और अन्य मुद्दों पर सरकार को
राय देती है। सरकार इस तरह गैर न्यायोचित सरकारी खर्च पर नियंत्रण करती है।
श्रोत- राजस्थान पत्रिका
Stay connected with us via Facebook, Google+ or Email Subscription.
Subscribe to Central Government Employee News & Tools by Email [Click Here]
Follow us: Twitter [click here] | Facebook [click here] | Google+ [click here]
Admin
COMMENTS
Good but then they need to keep watch on Mps MLAs wastfull expenditure from public fundings. All MPs MLAs are not Government/public servent ,they need not bepaid salary/pension for very short term of their duration in parliament. They need nobe paid i.t.tax fee amanities in kind or cash. Cherity begains at home