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1st पे-कमीशन ने तय की थी 35 रु बेसिक सैलरी, जानिए कब कितनी बढ़ी सैलरी

1st पे-कमीशन ने तय की थी 35 रु बेसिक सैलरी, जानिए कब कितनी बढ़ी सैलरी…

नई दिल्ली. केंद्रीय कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन के लिए गठित सातवां वेतन आयोग अपनी सिफारिशों के साथ तैयार है। उम्मीद है कि इस आयोग की सिफारिशों के बाद केंद्रीय कर्मचारियों का मूल वेतन 15000 रुपए तक हो सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी, कि पहले वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद बेसिक सैलरी महज 35 रुपए तय की गई थी।  मनीभास्कर आपको बता रहा है कि अबतक गठित आयोग ने क्या सिफारिशें दीं और उसके बाद मूल वेतन कितना तय किया गया।

48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को होगा फायदा

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद करीब 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 55 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होगा। सरकार अपने कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन करने के लिए हर 10 साल में वेतन आयोग का गठन करती है और अकसर राज्यों द्वारा कुछ संशोधन के साथ इन्हें अपनाया जाता है।

अब तक सात पे-कमीशन आ चुके हैं। सातवें की सिफारिशें लागू होनी बाकी हैं। जानिए हर वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद कितना मूल वेतन तय किया गया। आपको हैरानी होगी कि पहले पे-कमीशन ने मूल वेतन 35 रुपए तय किया था। जबकि, सातवें आयोग की सिफारिशों के आधार पर मूल वेतन 15000 रुपए हो सकता है।

> पहला पे कमीशन मई 1946 में गठित हुआ और इसने मई 1947 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
पहले वेतन आयोग ने मूल वेतन 35 रुपए तय किया था।

> दूसरा अगस्त 1957 में गठित हुआ, जिसने मई 1959 में रिपोर्ट दी।
दूसरे वेतन आयोग ने मूल वेतन 80 रुपए तय किया।

> तीसरा अप्रैल 1970 में बना, जिसने मार्च 1973 में रिपोर्ट सौंपी।
तीसरे वेतन आयोग ने मूल वेतन 260 रुपए तय किया।

> चौथा जून 1983 में गठित किया गया, जिसने रिपोर्ट दो बार में 1986 और 1987 में दी।
चौथे वेतन आयोग ने मूल वेतन 950 रुपए तय किया।

> पांचवां अप्रैल 1994 में बनाया गया, जिसने जनवरी 1997 को रिपोर्ट दी।
पांचवें वेतन आयोग ने मूल वेतन 3050 रुपए तय किया।

> छठा पे कमीशन अक्टूबर 2006 में गठित हुआ, जिसने मार्च 2008 में अपनी रिपोर्ट सबमिट की।
छठे वेतन आयोग ने मूल वेतन 7730 रुपए तय किया।

> सातवां वेतन आयोग न्यायाधीश एके. माथुर की अध्यक्षता में फरवरी 2014 को गठित किया गया। इस आयोग की सिफारिशें एक जनवरी 2016 से प्रभाव में आएंगी।

सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मूल वेतन 15000 रुपए हो सकता है। (सूत्रों के मुताबिक)

ये कमाते हैं देश में सबसे अधिक 


रेलवे बोर्ड के चेयरमैन। कैबिनेट सचिव। आईआरएस। आईपीएस। आईएएस। इन सभी सरकारी सेवाओं में डीए को मिलाकर 42हजार रुपए प्रतिमाह तनख्वाह होती है। जो सेवा के शीर्ष पर है, उनकी सैलरी 1.60 लाख रुपए प्रति माह तक पहुंच जाती है। इसके साथ ही जैसे-जैसे कार्यकाल बढ़ता है, अन्य भत्तों के रूप में अच्छी खासी रकम मिलती है। 

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Admin

COMMENTS

WORDPRESS: 1
  • Railsewaksangh Regd 9 years ago

    क्या यह सत्य नहीं है ?-
    1. 6th PAY COMMISSION के RECOMMENDATION के अनुसार 50% से अधिक DA को मूलवेतन में जोड़ने के बाद कर्मचारीओं को मिलने वाले भत्तों का अरबो रुपये भारत-सरकार लूट चुकी है और कर्मचारीओं को रु2000/= से रु5000/= प्रति माह कम वेतन का भुगतान कर रही है I
    2. सरकारी कर्मचारीओं पर खर्च का रोना रोकर तथा बदनाम करके सरकार कर्मचारीओं की अघोषित छ्टनी करती जा रही है और आर्थिक-आतंकवाद फैला रही है I