Positive India: ‘वन रैंक वन पेंशन योजना’ .. देश को ए-वन करने की कोशिश by: Ankur Sharma
आईये इस मुद्दे पर बात करने से पहले जानते हैं कि आखिर क्या था ‘वन रैंक वन पेंशन’ का पूरा बवाल
- मोदी सरकार ने चुनाव से पहले सेना के लोगों को ‘वन रैंक वन पेंशन’ देने का वादा किया था इस कारण इसको लेकर मोदी सरकार से बहुत सारी उम्मीदें थी
- इसलिए सरकार के सामने यह एक कठिन परीक्षा थी जिसे कि उसने सफलता पूर्वक पार कर ली है।
- दरअसल जब दो फौजी एक पद पर, एक समय तक सर्विस कर के रिटायर होते हैं।
- पर उनके रिटायरमेंट में कुछ सालों का अंतर होता है और इस बीच नया वेतन आयोग भी आ जाता है, तो बाद में रिटायर होने वाले की पेंशन नए वेतन आयोग के अनुसार बढ़ जाती है।
- लेकिन पहले रिटायर हो चुके फौजी की पेंशन उसी अनुपात में नहीं बढ़ पाती।
- जिसे लेकर पूर्व सैन्य अधिकारी और लोग दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे थे।
फौजियों और सिविलियन में अंतर
- फौजियों की पेंशन की तुलना सामान्य सरकारी कर्मचारियों से नहीं की जा सकती क्योंकि एक ओर जहाँ सामान्य सरकारी कर्मचारी को 60 साल तक तनख्वाह लेने की सुविधा मिलती है।
- तो वहीं फौजियों को 33 साल में ही रिटायर होना पड़ता है।
- अंग्रेजों के समय में फौजियों की पेंशन तनख्वाह की करीब 80 प्रतिशत होती थी जबकि सामान्य सरकारी कर्मचारी की 33 प्रतिशत हुआ करती थी।
- भारत सरकार ने इसे सही नहीं माना और 1957 के बाद से फौजियों की पेंशन को कम की और अन्य क्षेत्रों की पेंशन बढ़ानी शुरू की।
इसलिए फौजियों ने पेंशन की मांग की है।
क्या थी फौजियों की मांग?
- फौजियों की मांग है कि 1 अप्रैल 2014 से ये योजना छठे वेतन आयोग की सिफरिशों के साथ लागू हो।
- फौजियों का कहना था कि असली संतुलन लाना है तो हमें भी 60 साल पर रिटायर किया जाय।
- हमें तो 33 साल पे ही रिटायर कर दिया जाता है और उसके बाद सारा जीवन हम पेंशन से ही गुजारते हैं
- जबकि अन्य कर्मचारी 60 साल तक पूरी तनख्वाह पाते हैं।
- ऐसे में हमारी पेंशन के प्रतिशत को कम नहीं करना चाहिए।
सरकार ने सुनी सारी बातें और लिया अहम फैसला
- 5 सितंबर को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज पूर्व सैनिकों की करीब 40 साल पुरानी लंबित मांग वन रैंक-वन पेंशन (OROP) का ऐलान कर दिया।
- रक्षा मंत्री ने कहा कि यह मांग चार दशकों से लंबित थी। सरकार इसे लागू कर रही है और इस पर 8 से 10 हजार करोड़ का सालाना खर्चा होगा।
- पूर्व सैनिकों को 1 जुलाई 2014 से इसका लाभ मिलेगा।
- सैनिकों को 4 किस्तों में बकाया पैसा मिलेगा।
- हालांकि शहीदों के परिवारों को एक किश्त में बकाया दे दिया जाएगा।
- वीआरएस लेने वाले सैनिकों को इसका लाभ नहीं मिलेगा।
- हर पांच साल में पेंशन की समीक्षा होगी।
पॉजीटिव इंडिया
अंकुर शर्मा, सीनियर सब-एडिटर, वनइंडिया
लेखक परिचय- मैं वनइंडिया में सीनियर सब-एडिटर के रूप में कार्यरत हूं। मैं बेहद सकारात्मक यानी पॉजिटिव सोच रखती हूं ओर उसी सोच से मैं अपने भारत को देखती हूं। इस कॉलम Positive India में मेरा लक्ष्य है अपने पाठकों के सामने एक सकारात्मक भारत की तस्वीर पेश करना। यह एक छोटा सा कदम है लोगों में सकारात्मक ऊर्जा को प्रवाहित करने का।
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COMMENTS
Desh ke sanik jo kewal ladai k dauran hi apni jan ki baji lagate hai unhe to roop de diya gaya lekin desh k kisi v buddhijivi barg k dimag me ye bat q nhi aayi ki border security force aur i t b p roj border par goliya khate h aur sena se kathin paristhityo me jeewan yan karte hai unhe v kuch milna chahiye ya nhi