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7वें वेतन आयोग के लागू होने से बढ़ेगी ग्रोथ: एक्सपर्ट्स

7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने पर आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ेगी, आयोग अगस्त के अंत तक या अक्टूबर में अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है
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 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से आर्थिक विकास की रफ्तार होगी तेज

नई दिल्ली: 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने पर आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ेगी।  विश्लेषकों को तो कम से कम ऐसा ही लगता है।  उम्मीद की जा रही है कि 7वां वेतन आयोग अगस्त के अंत तक या अक्टूबर में अपनी रिपोर्ट सौंप देगा।  दरअसल,  छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से साल 2008 की मंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था को महफूज रखने में बहुत मदद मिली थी।  बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के मुताबिक, छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के नतीजे में वेतन बढ़ने के कारण टू-व्हीलर और कारों की बिक्री बढ़ी थी।  छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकारी कर्मचारियों का वेतन औसतन 35 फीसदी बढ़ गया था।  इसके अलावा उन्हें अक्टूबर 2008 में छठे वेतन आयोग की शिफारिशें देर से लागू होे के कारण 30 महीने ज्यादा का एरियर भी मिला था। इस वजह से बाजार में तकरीबर सभी चीजों की मांग बढ़ गई थी, जिसके कारण अर्थव्यवस्था मजबुत हुई।  1.5 करोड़ लोगों को फायदारेलिगेयर के मुताबिक, सातवें वेतन आयोग की ‍सिफारिशों से केंद्र सरकार के करीब 50 लाख कर्मचारियों (15 लाख रक्षाकर्मियाें समेत) और 1 करोड़ से ज्यादा राज्य व स्थानीय सरकारी कर्मचारियों को फायदा होने की उम्मीद है।



बढ़ेगी खपत

एक रिपोर्ट में बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के इंद्रनील सेन गुप्ता के हवाले से बताया गया है कि 15 फीसदी वेतन वृद्धि से केंद्र सरकार के सैलरी बिल में 25,000 करोड़ रुपये का इजाफा होगा जो जीडीपी का 0.2 फीसदी है। इसकी बदौलत खपत बढ़ेगी जिससे घरेलू अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी।



बढ़ेगी वाहन, मकान की मांग

 बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच का अनुमान है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतन वृद्धि की बदौलत सब्सिडी वाली कारें और हाउजिंग लोन में दोगुनी बढ़ोतरी होगी।  इस वजह से वाहनों और मकानों की मांग बढ़ेगी।  


गैर-जरूरी खर्च बढ़ेगा

क्रेडिट सुईस के मुताबिक, भारत का एक तिहाई मध्यवर्ग सरकारी नौकरी में है।  7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद डिस्क्रेशनरी (विवेकाधीन या गैर-जरूरी)  खर्च बढ़ेगा।  टायर 3 और टायर 4 शहरों में रियल एस्टेट मार्केट जोर पकड़ेगा।  इन शहरों में 50-60 फीसदी मध्य वर्ग के लोग रहते हैं।

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