सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का भार अगले वित्त वर्ष में
आम बजट बनाने की प्रक्रिया शुरू
नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने आम बजट 2015-16 बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। चार सितंबर से केंद्रीय मंत्रालयों के साथ योजनागत आवंटन पर चर्चा की जाएगी। माना जा रहा है कि इस बार मंत्रालयों के बजट में 10 से 15 प्रतिशत के बीच वृद्धि हो सकती है। साथ ही केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या में भी कटौती जा सकती है।
सूत्रों ने कहा कि अगले वित्त वर्ष से वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) लागू होने का प्रस्ताव है। इसलिए आम बजट में राजस्व का लक्ष्य इस तथ्य को ध्यान में रखकर तय किया जाएगा। साथ ही सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का भार भी अगले वित्त वर्ष में आएगा। ऐसे में वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों से कहा है कि इस परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए अपने योजनागत आवंटन के प्रस्ताव तैयार करें। वित्त मंत्रालय का बजट डिवीजन इस संबंध में अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों के साथ चर्चा करेगा।
योजनागत आवंटन पर मत्रालयों के साथ पहले दौर की चर्चा चार सितंबर से शुरू होगी। अगर किसी योजना या कार्यक्रम के फंडिंग पैटर्न या अन्य मद में आवंटन को लेकर किसी मंत्रालय की शंका है तो इन बैठकों पर उन्हें दूर किया जाएगा। साथ ही आवंटन भी तय किया जाएगा। अगले वित्त वर्ष के बजट में केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या में और कटौती की जा सकती है। वित्त मंत्रालय इस संबंध में विभिन्न विभागों के साथ चर्चा और नीति आयोग की टास्कफोर्स की सिफारिश के आधार पर निर्णय लेगा।
माना जा रहा है कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या सीमित करके डेड़ दर्जन के करीब की जा सकती है। नीति आयोग ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में टास्कफोर्स का गठन किया था। मंत्रालयों से चर्चा के बाद नवंबर और दिसंबर में आर्थिक कार्य विभाग अर्थव्यवस्था के अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों के साथ विचार विमर्श करेगा।
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