Defence services may get better pay scales in 7th pay commission than other central government departments, Please read this news paper report
आजकल केंद्रीय कर्मचारी संगठन 7वें आयोग के सामने रख रहे हैं मौखिक साक्ष्य पर सेना के बढ़त बरकरार रहेगी
7वें वेतन आयोग के वेतनमानों को लेकर सेना फिर बाकियों से आगे
नयी दिल्ली : – सीमा पर विषम परिस्थितियों में देश की रक्षा में जुटे सैनिकों और अर्ध -सैनिक बलों को सातवां वेतन आयोग अच्छा तोहफा दे सकता हे । इसका अंदाजा इस बात से होताहै कि सातवे वेतन आयोग की टीम खुद इस बार लद्दाख का दौरा करके लौटी है। दरअसल, विषम परिस्थितियों में कार्य रहे सैनिकों की बेहतरी के लिए आयोग चिंतित है। इसलिए आयोग के चेयरमैन 73 वर्षीय जस्टिस ए.के. माथुर अपनी टीम के साथ सियाचिन भी गए और उन्होंने देखा किं किस प्रकार सैनिक वहां अपने कार्य को अंजाम दे रहे हैं।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार वेतन आयोग की टीम ने 12 से 15 अक्टूबर के बीच लद्दाख का दौरा किया । इस दौरान उन्होंने वहां की दुर्गम भौगोलिक स्थितियों, खराब मौसम और रक्षा संबंधी ड्यूटी करने में आने वाली कठिन चुनौतियों को नजदीक से देखा । सेना के लिए सबसे जटिल सियाचिन होता है जहां तापमान शून्य से नीचे रहता है तथा बारह महीने बर्फ पड़ी रहती है । टीम ने इलाके का दौरा किया और सैनिकों से बातचीत की कि वे किस प्रकार वहां कार्यं कर रहे हैं।
टीम ने दुर्गम चौकियों पूर्वी लद्दाख और कारगिल का भी दौरा किया । टीम ने सबसे ऊंची हवाई पट्टी दौलत बेग औलडाई का भी निरीक्षण किया । इस दौरान उन्होंने सियाचिन एवं कारगिल वार मेमोरियल भी देखे तथा शहीदों को श्रद्धांजलि दी। वेतन आयोग की टीम में जस्टिस माथुर के अलावा सदस्य विवेक राय, आयोग की सचिव मीना अग्रवाल तथा 14 अन्य सदस्य शामिल थे।
सीमाओं पर तैनात जवानों की तरफ से हमेशा ज्यादा जोखिम भत्ता दिए जाने की मांग रहती है । इस बार लगता है कि ऐसे इलाकों में तैनात जवानों के लिए वेतन आयोग विशेष सिफारिशें करेगा।
Image Source: http://www.govemployees.in/wp-content/uploads/2015/04/army-ahead.jpg
Stay connected with us via Facebook, Google+ or Email Subscription.
Subscribe to Central Government Employee News & Tools by Email [Click Here]
Follow us: Twitter [click here] | Facebook [click here] | Google+ [click here]
Admin
COMMENTS
Dear sir
जो टीम 4-5 दिन म इतनी जगह घूम कर आ रही ह उनको क्या मालूम ह की सेना की क्या प्रॉब्लम ह शायद इतनी जल्दी अंदाजा लगा लिया की हमारे जबानों को क्या प्रॉब्लम ह
इसीलिए हमारी सरकार सेना के जबानों की सैलरी म कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं कर रही ह
लद्धाख कारगिल गलेशियर म कैसे हमारे जबान ड्यूटी देते ह
जम्मू के अंदर रोज के रोज हमारे जबान शहीद हो रहे ह
अभी मद्रास म बाढ़ के दौरान सेना लगी हुई ह
कुछ साल पहले उत्तराखंड म सेना
हर जगह सेना के जबान अपना काम बखूबी कर रहे ह पर
पर
सरकार को जबानों की तरफ देखने का टाइम ही कहाँ ह
सेना के हिसाब से और सिविल म काम करने बाले ज्यादा फायदा लेते ह
8_9 घंटे काम फिर घर पर या फिर रेस्ट
काम भी आराम से
उधर सेना के जबान 24 घंटे का काम
और घर से दूर
हर वक्त हर जगह
हमारे देश की सरकार को भी कुछ सोचना चाहिए हमारी सेना के लिए
जय हिन्द
जय भारत
Are u serious sir? Defence forces being ahead… Title is misleading to say the least. Defence forces do not get even what others get. Forget about being ahead.. Visits to difficult places do not count for much. Even if some allowance is enhanced it affects miniscule people in a particular area for limited period. Defence people have been given a raw deal in pay commissions. So please do not spread lies..