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Man days of work lost due to industrial disputes/Strike: State-wise Details

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF LABOUR AND EMPLOYMENT
RAJYA SABHA

UNSTARRED QUESTION NO-1064

ANSWERED ON-04.03.2015

Man days of work lost due to industrial disputes

1064 . SHRI VIVEK GUPTA

(a) the State-wise details of number of industrial disputes/strikes that occurred in the country during the years from 2012 to 2014;

(b) the State-wise number of man-days of work lost because of these strikes;

(c) the details of measures taken or proposed to be taken by Government with regard to labour reforms for curtailing disputes/strikes and reducing man-hours lost; and

(d) the details of the targets, implementation and safeguards to ensure compliance to the aforementioned reforms?

ANSWER

MINISTER OF STATE(IC) FOR LABOUR AND EMPLOYMENT
(SHRI BANDARU DATTATREYA)

(a) & (b): A statement showing the State-wise details of number of industrial disputes/strikes that occurred in the country during 2012 to 2014, details thereof, the State-wise number of man-days of work lost, because of these strikes, as per the statistics complied by Labour Bureau, Ministry of Labour & Employment, is Annexed.
(c) &(d): The Appropriate Government regulates Disputes/Strikes in the Industrial establishment through I.D. Act 1947. Reconciliation proceedings are facilitated by Labour Commissioner Officers to bring disputing parties together and resolve differences, attempts are made to avert strike and thus reduce the lost man hours. Upon failure of reconciliation proceedings, the matters are referred to Labour Court. The Government has taken a number of measures to improve compliance of Labour Laws by the Industrial Establishment. Better compliance and enforcement reduces chances of industrial disputes and strikes. Shram Suvidha portal and computer Risk Based Inspection Scheme has been launched to improve compliance/enforcement. As per the recommendations of the 2nd National Labour Commission, a number of initiatives have been taken to simplify Labour Laws, reduce complexity and thus improve compliance. Some of the Amendments initiated by the Ministry are as follows:
1. Amendment in Labour Laws (exempt from furnishing returns and maintaining registers by certain Establishments) Act, 1988
2. Amendment to Apprentice Act, 1961
3. Amendment in Child Labour (Prohibition and Regulation) Act, 1986
4. Amendment to Factories Act, 1948
5. Amendment to Mines Act, 1952
6. New bill for small factories
7. Amendment to Employees Provident Fund & Miscellaneous Provisions Act, 1952
8. Drafting of labour codes

The above proposal bills are at various stages of legislative process.

****

Hindi version with Annexure:-

भारत सरकार
श्रम और रोजगार मंत्रालय
राज्य सभा
अतारां‎कित प्रश्न संख्या 1064 
बुधवार, 4 मार्च, 2015/13 फाल्गुन, 1936 (शक)

औद्योगिक विवादों के चलते कार्य दिवसों का नुकसान 


1064. श्री विवेक गुप्ता: 
क्या श्रम और रोजगार मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि: 

(क) वर्ष 2012 से 2014 के दौरान देश में हुए औद्योगिक विवादों/हड़तालों की संख्या का राज्य-वार ब्यौरा क्या है; 
(ख) इन हड़तालों के कारण राज्य-वार कितने कार्य दिवसों का नुकसान हुआ है; 
(ग) विवादों/हड़तालों को खत्म करने तथा श्रम दिवसों में होने वाले नुकसान में कमी करने के लिए श्रम सुधारों के संबंध में सरकार द्वारा किए गए या किए जाने वाले उपायों का ब्यौरा क्या है; और 
(घ) उपरोक्त सुधारों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए लक्ष्यों, क्रियान्वयन और सुरक्षोपायों का ब्यौरा क्या है?

उत्तर

श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) (श्री बंडारु दत्तात्रेय)

(क) और (ख): श्रम ब्यूरो, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा संक‎लित आंकड़ों के अनुसार, देश में वर्ष 2012 से 2014 के दौरान देश में हुए औद्योगिक विवादों/हड़तालों की संख्या, उनका ब्यौरा, श्रम दिवसों के नुकसान की राज्यवार संख्या का ब्यौरा दर्शाने वाला ‎विवरण संलग्न है। 

(ग) और (घ): समु‎चित सरकार औद्यो‎गिक ‎विवाद अ‎धिनियम, 1947 के माध्यम से औद्यो‎गिक प्र‎तिष्ठान में ‎विवादों/हड़तालों को ‎विनिय‎मित करती है। ‎विवाद करने वाले पक्षकारों को एक साथ लाने तथा मदभेदों का समाधान करने के ‎लिए श्रम आयुक्त अ‎धिका‎रियों द्वारा सुलहकारी कार्यवाही सहज बनाई जाती है, हड़ताल को टालने के प्रयत्न ‎किए जाते हैं और इस तरह श्रम दिवसों में होने वाले नुकसान में कमी लाई जाती है। सुलहकारी कार्यवाही ‎विफल होने पर, मामले श्रम न्यायालय को ‎निर्दिष्ट कर ‎दिए जाते हैं। सरकार ने औद्यो‎गिक प्र‎तिष्ठान द्वारा श्रम कानूनों की अनुपालना में सुधार लाने हेतु अनेक कदम उठाए हैं। वेहतर अनुपालना और प्रवर्तन से औद्यो‎‎गिक ‎विवादों और हड़तालों के अवसरों में कमी आती है। अनुपालना और प्रवर्तन में सुधार लाने के ‎लिए श्रम सु‎विधा पोर्टल त‎था कम्प्यूटर – जोखिम आधा‎रित ‎निरीक्षण योजना शुरु की गई है। ‎द्वितीय राष्ट्रीय श्रम आयोग के ‎सिफा‎रिश के अनुसार, श्रम कानूनों को सरल बनाने, ज‎टिलता को कम करने और इस तरह अनुपालना में सुधार लाने के ‎लिए अनेक पहले की गई हैं। मंत्रालय द्वारा शुरु ‎किए गए कुछ संशोधन ‎निम्नानुसार हैं:


1. श्रम ‎विधि (क‎तिपय प्र‎तिष्ठानों को र‎जिस्टर रखने और ‎विवर‎णियां प्रस्तुत करने से छूट) अ‎धिनियम, 1988 में संशोधन 
2. प्र‎शिक्षु अ‎धिनियम, 1961 में संशोधन
3. बाल श्रम (प्र‎तिषेध एवं ‎विनियमन) अ‎धिनियम, 1986 में संशोधन
4. कारखाना अ‎धिनियम, 1948 में संशोधन
5. खान अ‎धिनियम, 1952 में संशोधन
6. छोटे कारखानों के ‎लिए नया ‎विधेयक 
7. कर्मचारी भ‎‎विष्य ‎निधि एवं प्रकीर्ण उपबंध अ‎धिनियम, 1952 में संशोधन
8. श्रम ‎नियम का प्रारुपण 
उपर्युक्त ‎विधेयक प्रस्ता‎व ‎विधायी प्र‎‎क्रिया के ‎विभिन्न चरणों में हैं। 

******
अुनबंध

2012 से 2014 के दौरान ‎विवादों और क्ष‎ति हुए कार्य ‎दिवसों की राज्यवार संख्या

राज्य/संघशा‎सित प्रदेश 2012(पी) 2013 (पी) 2014 (पी)
हड़तालों की संख्या क्ष‎ति हुए कार्य ‎दिवस हड़तालों की संख्या क्ष‎ति हुए कार्य ‎दिवस हड़तालों की संख्या क्ष‎ति हुए कार्य ‎दिवस
आंध्र प्रदेश 17 251840 4 147808 5 325868
अरुणाचल प्रदेश . . .. .. .. ..
असम 19 81457 6 39006 1 25000
बिहार 2 60217 3 89557
छत्तीसगढ़ 9 55827 9 53463 5 41939
गोवा 2 4895 2 9554 @ @
गुजरात 33 174676 26 163123 23 123064
ह‎रियाणा 2 42000 3 19770 8 192473
हिमाचल प्रदेश .. .. .. ..
जम्मू और कश्मीर @ @ .. ..
झारखंड .. .. .. ..
कर्नाटक 26 264628 17 167060 4 164596
केरल 40 256184 34 413184 19 179787
मध्य प्रदेश 10 126211 9 278611 7 97096
महाराष्ट्र 11 60581 6 64386 2 15827
मणिपुर @ @ @ @
मेघालय @ @ @ @
मिजोरम # # # # # #
नगालैंड @ @ .. ..
ओडिशा 1 21012 .. .. .. ..
पंजाब 6 340005 @ @
राजस्थान 13 143192 11 245638 10 219622
सिक्किम # # # # # #
तमिलनाडु 39 749099 25 262528 19 392842
त्रिपुरा @
तेलंगाना * @ @
उत्तर प्रदेश 13 166948 4 55740 2 17891
उत्तराखंड 4 28280 1 15000 3 65000
पश्चिम बंगाल 23 381603 11 222795 8 301584
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह @ @ .. ..
चंडीगढ @ @
दादरा एवं नागर हवेली @ @ .. ..
दमन एवं दीव @ @
दिल्ली 1 34055 @ @ @
लक्षद्वीप @ @ .. ..
पुडुचेरी 2 7265 2 8835 2 262
कुल 265 2849753 178 2566723 121 2252408

(पी) =अनं‎तिम और 13.02.2015 तक ब्यूरो में प्राप्त ‎विवर‎णियों/वर्गीकरण पर आधा‎रित।
  @ = आं‎शिक रुप से प्राप्त (कुछ म‎हीनों के संबंध में शून्य सूचना प्राप्त)।
* = यह 2 जून, 2014 से बना है।..=  उपलब्ध नहीं-= शून्य                  
स्रोत: औद्यो‎गिक ‎विवाद राज्य के श्रम ‎विभागों और क्षेत्रीय श्रमायुक्त (केन्द्रीय) से प्रत्येक माह प्राप्त ‎विवर‎णियों पर आधा‎रित है।

*****

Source: RajyaSabha.nic.in

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