3-year bank FDs may get tax exemption: Economic Times
The government may consider the demand of banks to make fixed deposits for three years and more tax-free instead of the five-year lock-in period at present, providing these lenders a level-playing field with mutual funds and tax-free bonds that have been weaning away a large chunk of investors.
Indicating this possibility, officials said bank executives and heads of financial institutions also requested finance minister Arun Jaitley in a pre-budget meeting to consider separate tax slabs for corporate entities on the lines of different tax slabs for individuals.
“The view from the pre-budget meeting is that FDs of lower maturity should be considered for tax benefits,” said a person present in the meeting.
Bankers say this will discourage people from opting for other instruments like mutual funds, which have a lock-in period of three years. The terms of schemes eligible for tax rebate under Section 80 C are not uniform; while public provident fund has a lock-in period of 15 years, it is six years in the case of national savings certificate and three years in equitylinked savings schemes (ELSS).
“Largely, it will bring flexibility to people in terms of lock-in and lower lock-in will make it (the sum invested) available after three years,” said Suresh Sadagopan, founder of Ladder 7 Financial Advisories. “This will bring bank FD in direct competition with ELSS.”
Financial saving as a percentage of gross domestic saving fell to 7.1% in 2012-13 from 7.2% in the previous year. Gross domestic saving fell to 30.1% from 31.3% during this period.
At present, investment up to Rs 1.5 lakh in certain instruments including various post office schemes, public provident fund, bank deposit, life insurance and principal paid on housing loan is eligible for a tax rebate.
3 साल तक की FD पर टैक्स में छूट की तैयारी
केंद्र सरकार फिक्स्ड डिपॉजिट करवाने वालों को टैक्स में छूट देने का मन बना रही है. अगर ऐसा हुआ तो तीन साल तक की अवधि का एफडी करवाने पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा.
एक अंग्रेजी अखबार ने खबर दी है कि बैंक ऐसी मांग काफी समय से कर रहे थे और अब सरकार इसे हरी झंडी दिखाने पर तैयार हो गई है. लेकिन इसके लिए उन बैंकों को म्युचुअल फंडों और टैक्स फ्री बांड के साथ बराबरी की स्थिति रखनी होगी.
अखबार ने लिखा है कि बैंक अधिकारियों और वित्तीय संस्थाओं ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से बजट पूर्व बैठक में यह भी आग्रह किया है कि सरकार कंपनियों के लिए भी अलग तरह के टैक्स स्लैब बनाए, जैसा व्यक्तिगत करदाता के साथ होता है.
बैठक में यह विचार भी सामने आया कि कम समय वाले एफडी पर टैक्स में छूट दी जाए. बैंकों का कहना है कि एफडी पर टैक्स के कारण ग्राहक उस ओर आकर्षित नहीं होते और म्युचुअल फंड जैसी योजनाओं की ओर चले जाते हैं.
इनकम टैक्स की धारा 80c के तहत टैक्स में छूट एक समान नहीं है. एफडी के लिए यह पांच साल है तो पीपीएफ में 15 साल है नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट में 6 साल है. ईएलएसएस में यह छूट तीन साल के लिए ही है.
जानकारों का मानना है कि अगर एफडी में टैक्स छूट की अवधि घटाकर तीन साल कर दी जाए तो यह ईएलएसएस से टक्कर ले सकती है जिसकी ओर ज्यादा से ज्यादा लोग आकर्षित होते हैं.
सरकार की चिंता यह है कि देश में बचत कम हो रही है. यानी लोग कम बचत कर रहे हैं. इससे सरकार को अपने लिए धन जुटाने में परेशानी हो रही है.
और भी… http://aajtak.intoday.in
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