UNSTARRED QUESTION NO-248 by SHRI UPENDRA KUSHWAHA
(a) whether seeking information under RTI Act, 2005 is the fundamental right of every citizen under Article 19 (1) (a) of the Constitution of India;
(b) if so, the reasons for not initiating disciplinary proceedings against Central Public Information Officer (CPIOs) and Appellate Authorities who are infringing the fundamental right of information seekers and are not furnishing information within the time stipulated in the Act;
(c) the number of second appeals of senior citizens pending with Chief Information Commissioner and other ICs for more than one, two and three years; and
(d) whether there is any proposal to fix a time limit for deciding second appeals to check pendency?
ANSWERED ON-09.08.2012 by
(a): Section 3 of the Right to Information Act, 2005 empowers all citizens to have right to information.
(b): The RTI Act, 2005 makes a Public Information Officer liable for disciplinary action, who without any reasonable cause and persistently failed to receive an application for information or has not furnished information within the time specified, or malafidely denied the request for information or knowingly given incorrect, incomplete or misleading information or destroyed information that was the subject matter of the request or obstructed in any manner in furnishing the information within the prescribed time period.
(c): The Central Information Commission does not maintain category-wise list of pending cases before it.
(d): The RTI Act, 2005 does not prescribe any time limit for disposal of second appeals by the Information Commissions. There is no proposal to amend the RTI Act, 2005.
Hindi_Version
शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय
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सभा
प्रश्न
संख्या :248
को उत्तर के लिए)
का अधिकार के अंतर्गत सूचना मांगा जाना
उपेन्द्र कुशवाहा :
करेंगे कि :
सूचना मांगा जाना भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क) के तहत प्रत्येक नागरिक
का एक मौलिक अधिकार है;
और अपीलीय प्राधिकारियों के विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही प्रारंभ न किए जाने के
क्या कारण हैं जो सूचना मांगने वालों के मौलिक अधिकार का अतिलंघन कर रहे हैं और
अधिनियम में निर्धारित समय के भीतर सूचना उपलब्घ नहीं करा रहे हैं;
सूचना आयुक्त और अन्य सूचना आयुक्तों के पास लंबित वरिष्ठ नागरिकों की द्वितीय
अपीलों की संख्या कितनी है; और
लिए दूसरी अपील पर निर्णय हेतु समय-सीमा निश्चित करने का कोई प्रस्ताव है ?
शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री तथा प्रधान मंत्री कार्यालय
में राज्य मंत्री (श्री
वे. नारायणसामी)
नागरिकों को सूचना का अधिकार पाने का अधिकार देती है ।
: ऐसा लोक सूचना अधिकारी, जो बिना किसी
तर्कसंगत कारण के और लगातार सूचना हेतु किसी आवेदन को प्राप्त करने से इन्कार कर
देता है अथवा नियत समय के भीतर सूचना नहीं देता है अथवा दुर्भावना के कारण सूचना
हेतु अनुरोध को मना करता है अथवा जानबूझकर गलत, अधूरी या भ्रांत सूचना देता है
अथवा अनुरोध कर मांगी गई सूचना को नष्ट करता है अथवा निर्धारित समयावधि के भीतर
सूचना उपलब्ध कराने में किसी ढंग से बाधा डालता है तो सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005
के अनुसार उसके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की जा सकेगी ।
: केन्द्रीय सूचना आयोग इसके समक्ष लंबित
मामलों की श्रेणीवार सूची नहीं रखता है ।
: सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005
में सूचना आयोगों द्वारा द्वितीय अपीलों के निपटान हेतु कोई समय-सीमा निर्धारित
नहीं की गई है ।
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