Action taken on committee report regarding Provident Fund pensioners: Rajya Sabha Q&A
GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF LABOUR AND EMPLOYMENT
RAJYA SABHA
QUESTION NO 1965
ANSWERED ON 13.05.2015
Action taken on committee report regarding Provident Fund pensioners
1965 Dr. Satyanarayan Jatiya
Will the Minister of LABOUR AND EMPLOYMENT be pleased to state the action taken in the interest of Provident Fund pensioners with reference to the questions raised vide Report number 147 of the Committee on Petitions presented in the Rajya Sabha on 3rd September, 2013?
ANSWER
MINISTER OF STATE (IC) FOR LABOUR AND EMPLOYMENT (SHRI BANDARU DATTATREYA)
The 147th Report of the Committee on Petitions, Rajya Sabha had, inter alia, recommended increasing the Government’s share of contribution to Employees’ Pension Scheme (EPS), 1995 from 1.16 per cent to 8.33 per cent to support the minimum pension level of Rs. 3,000/- per month.
The recommendations of the Committee were examined by the Government and it emerged that if the Government’s share is increased from 1.16 per cent to 8.33 per cent, as recommended by the Committee, it would involve a substantial increase in the financial burden of the Government. It was estimated to involve Rs. 16,417 crore for the year 2013-2014 to implement this recommendation. The EPS, 1995 being a contributory scheme, obligations of all payments are met from the assets of the Fund. The higher level of minimum pension at Rs. 3,000/- is not possible without compromising the financial viability of the Scheme. However, Government vide notification No. GSR 593 (E) dated 19-8-2014 implemented the provision of minimum pension of Rs.1,000/- per month with effect from 01.09.2014 for the financial year 2014-15 by providing budgetary support keeping in view the interest of the most vulnerable sections. The Union Cabinet in its meeting held on 29.04.2015 has approved the continuation of minimum pension of Rs. 1,000/- per month under EPS, 1995 beyond 2014-15 with certain conditionalities.
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भारत सरकार
श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय
राज्य सभा
अतारांकित प्रश्न संख्या 1965
बुधवार,13 मई, 2015/23 वैशाख, 1937 (शक)
भविष्य निधि पेंशनरों के संबंध में समिति के प्रतिवेदन पर की गई कार्रवाई
1965. डा. सत्यनारायण जटिया:
क्या श्रम और रोजगार मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि राज्य सभा में 3 सितम्बर, 2013 को याचिका समिति द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन संख्या 147 के माध्यम से उठाए गये प्रश्न के संदर्भ में भविष्य निधि पेंशनरों के हितों में क्या कार्रवाई की गई है?
उत्तर
श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) (श्री बंडारू दत्तात्रेय)
प्रतिवेदन समिति की 147वीं रिपोर्ट में अन्य बातों के साथ-साथ यह सिफारिश की गई थी कि कर्मचारी पेंशन योजना,1995 में सरकार के अंशदान को 1.66% से बढ़ाकर 8.33% किया जाए ताकि 3,000/- रुपये प्रतिमाह के न्यूनतम पेंशन स्तर तक पहुंचने में सहायता मिल सके।
समिति की सिफारिशों की सरकार द्वारा जांच की गई और यह तथ्य उजागर हुआ कि यदि सरकार के अंशदान को 1.66% से बढ़ाकर 8.33% किया जाता है, जैसाकि समिति ने सिफारिश की है, तो इससे सरकार पर काफी अधिक वित्तीय बोझ बढ़ जाएगा। ऐसा अनुमान था कि वर्ष 2013-14 के लिए इस सिफारिश के क्रियान्वयन में 16,417 करोड़ रुपये खर्च होंगे। कर्मचारी पेंशन योजना,1995 जोकि एक अंशदायी योजना है, में सभी प्रकार के भुगतानों का दायित्व निधियों की आस्तियों से पूरा किया जाता है। इस योजना की वित्तीय व्यवहार्यता से बिना समझौता किए 3,000/- रुपये प्रतिमाह के न्यूनतम पेंशन के उच्चतर स्तर को पाना संभव नहीं है। तथापि, सरकार ने वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए दिनांक 19.8.2014 की अधिसूचना संख्या सां.का.नि 593 (अ) के माध्यम से सबसे कमजोर वर्गों के हितों को ध्यान में रखते हुए बजटीय सहायता के माध्यम से 1000/- रुपये की न्यूनतम पेंशन के उपबंध को 01.09.2014 से क्रियान्वित किया है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी दिनांक 29.04.2015 की बैठक में वर्ष 2014-15 से आगे भी कतिपय शर्तों के अध्यधीन कर्मचारी पेंशन योजना,1995 के अंतर्गत प्रतिमाह 1000/- रुपये की न्यूनतम पेंशन को जारी रखने के लिए अपना अनुमोदन प्रदान कर दिया है।
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Source: ENGLISH VERSION HINDI_VERSION
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