वित्तमंत्री के संकेत वेतन आयोग अगले वित्त वर्ष में, वेतन आयोग को लेकर रिजर्व जैक की चिंता बढी
नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बात के साफ संकेत दिए हैं कि सातवें वेतन आयोग और वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) को लागु करने के लिए अगले बित्त बर्ष के बजट में 1.10 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाएगा। सलाहकार समिति से बजट पर पूर्व चर्चा के दौरान वित्तीय वर्ष के वित्तीय घाटे की अपनी सीमा में होने की बात करते हूए वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि व्यय बजट उम्मीदों या प्रस्तावों से कहीं ज्यादा रहा, फिर भी हम घाटा नियंत्रित करने में सफल रहे हैं।
वेतन आयोग को लेकर आरबीआई कीं चिंता
रिजर्व बैंक ने कहा कि खुदरा महंगाई अब तक रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुरूप रही है, लेकिन सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से इसमें बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है। राजन ने आज यहाँ चालू वित्त बर्ष के छठी और अंतिम
मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करते हुए कहा कि मुद्रास्फीति मौद्रिक नीति के पहले के अनुमानों के अनुरूप रही है । जनवरी 2016 के छह प्रतिशत का लक्ष्य हासिल हो जाना चाहिए। यदि इस साल मानसून सामान्य रहा और अंतरराट्रीय बाजार में कच्चा तेल तथा विनिमय दर की यही
स्थिति बनी रही तो वित्त वर्ष 2016-17 के अंत तक खुदरा महंगाई पांच फीसदी की सीमा के भीतर रखने का लक्ष्य भी हासिल हो जाना चाहिए।
राजन ने कहा कि हालांकि सातवें वेतन आयोग के सिफारिशें लागू करने से इसमें एक या दो साल के लिए बढोत्तरी हो सकती है, क्योंकि वर्तमान अनुमान में इसकी गणना नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि जब सिफारिशें लागू करने के समय के बारे में स्थिति स्पष्ट होगी, केंद्रीय बैंक महंगाई के अपने अनुमान में सुधार करेगा। उन्होंने कहा कि साथ ही यदि मानसून सामान्य नहीं रहता है या वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक स्थितियों बदलने से कमोडिटी मूल्यों में बदलाव होता है तो इससे भी महंगाई दर अनुमान से
अलग रह सकती है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि हालांकि दिसंबर में लगातार पांचवें महीने महंगाई बढी है, लेकिन फलों तथा सन्धियों की कीमतों में मौसमी गिरावट से आने वाले समय में महंगाई में थोड़ी राहत मिल सकती है।
उन्होंने कहा कि लगातार दो साल खराब मानसून के बावजूद खाद्य पदार्थों के महंगाई ज्यादा नहीं बढ़ने के लिए सरकार के आपूर्ति प्रबंध को श्रेय दिया जाना चाहिए। हालांकि दलों के कीमतें अब भी ज्यादा बनी हुई हैं जिससे इसमें संरचनात्मक विसंगति का संकेत मिलता है
राजन सेवा क्षेत्र के मुद्रास्फीति पर भी चिंता जताई । उन्होंने कहा कि सितंबर 2015 से आवास, परिवहन एबं संचार, स्वास्थ्य तथा अन्य सेवाओं की महंगाई दर कम नहीं हो रहीं है।
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