UNSTARRED QUESTION NO-247 by SHRI FAGGAN SINGH KULASTE
(a) & (b): Article 16 of the Constitution of India provides for equality of opportunity in matters related to Public employment. However, Article 16(4) is an enabling provision which enables the State to make provision for the reservation of appointments or posts in favour of any backward class of citizens which, in the opinion of the State, is not adequately represented in the services under the State. Further, Article 16(4A) provides for reservation in matter of promotion, with consequential seniority, to Scheduled Castes and Scheduled Tribes, which in the opinion of the State are not adequately represented in the services under the State.
Article 335 provides that the claims of the members of the Scheduled Castes and the Scheduled Tribes shall be taken into consideration, consistently with the maintenance of efficiency of administration, in making of appointments to services and posts in connection with the affairs of the Union or of a State. It further provides that nothing in this article shall prevent in making of any provision in favour of members of Scheduled Castes and the Scheduled Tribes for relaxation in qualifying marks in any examination or lowering the standards of evaluation, for reservation in the matters of promotion to any class or classes of services or posts in connection with the affairs of the Union or of a State.
(c): There were demands from some Hon’ble Members of Parliament for amendment to the Constitution in the wake of recent judgments of the Supreme Court whereby it has struck down the provision of reservation in promotion in some States on the ground that the States have not complied with the conditions viz. backwardness, inadequacy of representation and overall administrative efficiency before making provision for reservation as laid down by the Apex Court in M.Nagaraj’s case.
सभा
प्रश्न संख्या :247
लिए)
को आरक्षण
प्रधान मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि :
जातियों/जनजातियों का आरक्षण निरंतर रखे जाने हेतु संविधान में प्रावधान किये गये
हैं;
भी है, तत्संबंधी ब्यौरा क्या है; और
में इस विषय में संशोधन करने संबंधी कोई चर्चा हुई है, तत्संबंधी ब्यौरा क्या
है ?
शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री तथा प्रधान मंत्री कार्यालय
में राज्य मंत्री (श्री वे. नारायणसामी)
के संविधान का अनुच्छेद 16 सार्वजनिक रोजगार से संबंधित मामलों में अवसर की
समानता प्रदान करता है । फिर भी, अनुच्छेद 16(4) एक समर्थकारी प्रावधान है जिससे
राज्य ऐसे पिछड़े वर्गों के नागरिकों के पक्ष में नियुक्ति अथवा पदों के आरक्षण
के लिए प्रावधान करने में समर्थ बनता है जिन्हें राज्य के अनुसार राज्य की
सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त
नहीं है । इसके अतिरिक्त अनुच्छेद 16(4ए) अनुसूचित जातियों और अनुसूचित
जनजातियों की परिणामी वरिष्ठता सहित पदोन्नति के मामले में आरक्षण का प्रावधान
करता है जिनका राज्य के मतानुसार राज्य की सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व
नहीं है । अनुच्छेद 335 में यह प्रावधान है कि केन्द्र अथवा राज्य सरकार के कार्यों से
जुड़ी सेवाओं और पदों पर नियुक्तियां करने में दक्षता और प्रशासन को बनाए रखते हुए
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के दावों पर विचार किया जाएगा ।
इसमें यह भी प्रावधान है कि इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी केन्द्र
अथवा राज्य सरकार के कार्यों से जुडी सेवाओं अथवा पदों की किसी श्रेणी अथवा
श्रेणियों में पदोन्नति के मामलों में आरक्षण के लिए किसी परीक्षा में अहर्क अंको
में छूट अथवा मूल्यांकन के स्तर को कम करने के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित
जनजातियों के सदस्यों के पक्ष में किसी भी प्रकार का प्रावधान करने से निवारित
नहीं दिया जाएगा ।
के हाल ही के निर्णय, जिसमें इसने कुछ राज्यों में पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने
के प्रावधान को इस आधार पर निरस्त कर दिया है कि एन. नागराज मामले में उच्चतम न्यायालय
द्वारा निर्धारित किए गए अनुसार आरक्षण का प्रावधान करने से पूर्व इन राज्यों ने
पिछड़ों को अपर्याप्त प्रतिनिधित्व और समग्र प्रशासनिक दक्षता जैसी शर्तों का
पालन नहीं किया है, को देखते हुए कुछ माननीय सांसदों ने संविधान में संशोधन की
मांग की है ।
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