लॉकडाउन (Lockdown) का उल्लंघन करने पर जुर्मानों व दण्ड का प्रावधान
क. आपंदा प्रबंधन/अधिनियम, 2005
संबंधित धारा | विवरण |
धारा 51.
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जो कोई, युक्तियुक्त कारण के बिना –
(क) केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार के किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी अथवा राष्ट्रीय प्राधिकरण या राज्य प्राधिकरण अथवा जिला प्राधिकरण द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति के लिए इस अधिनियम के अधीन उसके कृत्यों के निर्वहन में बाधा डालेगा; या (ख) इस अधिनियम के अधीन केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार या राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति या जिला प्राधिकरण द्वारा या उसकी और से दिये गए निदेश का पालन करने से इंकार करेगा वह दोषसिद्धि पर कारावास से,जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुमने से, अथवा दोनों से दंडनीय होगा और यदि ऐसी बाधा या निदेशों का पालन करने से इंकार करने के परिणामस्वरूप जीवन की हानि होती है या उनके लिए आसन्न खतरा पैदा होता है, तो दोषसिद्धि पर कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दंडनीय होगा। |
धारा 53.
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जिसे किसी आपदा को आशंका की स्थिति या आपदा में राहत पहुंचाने के लिए आशयित कोई धन या सामग्री सौंपी गयी है या अन्यथा कोई धन या माल उसकी अभिरक्षा या आधिपत्य में है और वह ऐसे धन या सामग्री या उसके किसी भाग का दुरुपयोजन करेगा या अपने र्दयं के उपयोग के लिए उपयोजन करेगा अथवा उसका व्ययन करेगा या जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति को ऐसा करने के विवश करेगा, तो वह दोषसिद्धि पर कारावास से,जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी और जुमनि से भी दंडनीय होगा। |
धारा 54.
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जो कोई, जिसे किसी आपदा या उसकी गंभीरता या उसके परिणाम के संबंध में आतंकित करने वाली मिथ्या संकट सूचना या चेतावनी देता है, तो वह दोषसिद्धि पर कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुमने से दंडनीय होगा। |
संबंधित धारा | विवरण |
धारा 55.
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(1) जहां इस अधिनियम के अथीन कोई अपराध सरकार के किसी विभाग द्वारा किया गया है वहाँ विभागाध्यक्ष ऐसे अपराध का दोषी समझा जाएगा और तदनुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही की जाने और दंडित किए जाने का भागी होगा, जबतक कि वह यह साबित नहीं करा देता कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किए जाने का निवारण करने के लिए सब सम्यक तत्परता बरती थी।
(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध सरकार के किसी विभाग द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि वह अपराध बिभागाध्यक्ष से भिन्न किसी अन्य अधिकारी कि सहमति या मौनानुकुलता से किया गया है या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा का कारण माना जा सकता है वहाँ ऐसा अधिकारी उस अपराध का दोषी माना जाएगा और तदनुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दंडित किए जाने का भागी होगा। |
धारा 56-
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ऐसा कोई अधिकारी, जिस पर इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन कोई कर्तव्य अधिरोपीत किया पक है और जो अपने पद के कर्तव्यों का पालन नही करेगा या करने से इंकार करेगा या स्वयं को उससे विमुख कर लेगा तो, जब तक कि उसने अपने से वरिष्ठ अधिकारी की अभिव्यकत लिखित अनुमति अभिप्राप्त न कर ली हो या उसके पास ऐसा करने के लिये कोई अन्य विधिपूर्ण कारण न हो, ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जु्माने से,दंडनीय होगा। |
धारा 57-अध्यपेक्षा के संबंध में किसी आदेश के उल्लंधन के लिये शास्ति |
यदि कोई व्यक्ति धारा 55 के अधीन किए गए किसी आदेश का उल्लंधन करेगा तो वह ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक हो सकेगी, या जुमनि से, अथवा दोनो से, दंडनीय होगा। |
धारा 58 – कंपनियों द्वारा अपराध |
जहाँ इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध, किसी कम्पनी या निगमित निकाय द्वारा किया गया है, वहाँ ऐसा प्रत्येक व्याक्ति, जो अपराध के जाने के समय उस कम्पनी के कारोबार के संचालन के लिये उस कम्पनी का भारसाधक और उसके प्रति उत्तरदायी, और साथ ही वह कम्पनी भी ऐसे उल्लंधन के दोषी समझे जायेंगे और तदनुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किये जाने और दंडित किये जाने के भागी होंगे। परंतु इस उपधारा कि कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को इस अधिनियम में उपबंधित कसी दंड का भागी नहीं बनाएगा यदि वह यह साबित करा देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किए जाने का निवारण करने के लिए सब सम्यक तत्परता बरती थी ।
(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कंपनी द्वारा किया गया यह साबित हो जाता है कि वह अपराध कंपनी के किसी निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी कि सहमति या मौनानुकूलता से किया गया है या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा का कारण माना जा सकता है. वहाँ ऐसा निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी भी उस अपराध का दोषी माना जाएगा और तदनुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दंडित किए जाने का भागी होगा। स्पष्टीकरण — इस धारा के प्रयोजन के लिए – (क) “कंपनी” से कोई निगमित निकाय अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत फर्म या व्यष्टियों का अन्य संगम भी है; और (ख) फर्म के संबंध में “निदेशक” से उस फर्म का भागीदार अभिप्रेत है। |
धारा 59.
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धारा 55 और धारा 55 के अधीन दंडनीय अपराधों के लिए अभियोजन, यथास्थिति, केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार या ऐसी सरकार द्वारा साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी अधिकारी कि पूर्व मंजूरी के बिना संस्थित नहीं किया जाएगा। |
धारा 60.
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कोई भी न्यायालय इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का संज्ञान निम्नलिखित द्वारा परिवाद किए जाने पर करने के सिवाय नहीं करेगा –
(क) राष्ट्रीय प्राधिकरण, राज्य प्राधिकरण, केंद्रीय सरकार,राज्य सरकार,जिला प्राधिकरण या, यथास्थिति उस प्राधिकरण या सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत कोई अन्य प्राधिकारी या अधिकारी या (ख) ऐसा कोई व्यक्ति जिसने अभिकथित अपराध की ओर राष्ट्रीय प्राधिकरण, राज्य प्राधिकरण, केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार, जिला प्राधिकरण या पूर्वोक्तानुसार प्राधिकत किसी प्राधिकारी या अधिकारी को परिवाद करने के अपने आशय की विहित रीति में कम से कम तीस दिन की सूचना दे दी है। |
ख. भारंतीय दंड संहिता में संबंधित प्रावधान
संबधित धारा | विवरण |
धारा 188. लोक सेवक द्वारा समयक रूप से प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा |
जो कोई यह जानते हुए कि वह ऐसे लोक सेवक द्वारा प्रख्यापित किसी आदेश से, जो ऐसे आदेश को प्रख्यापित करने के लिए विधिपूर्वक सशक्त है, कोई कार्य करने से विरत रहने के लिए या अपने कब्जे में की, या अपने प्रबंधाधीन, किसी संपत्ति के बारे में कोई विशेष व्यवस्था करने के लिए निर्दिष्ट किया गया है, ऐसे निदेश की अवज्ञा करेगा
यदि ऐसे अवज्ञा विधिपूर्वक नियोजित किन्हीं व्यक्तियों को बाधा, क्षोभ या क्षति, अथवा बाधा, क्षोभ या क्षति की जोखिम कारित करे, या कारित करने की प्रवृति रखती हो, तो वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जु्मने से, जो दो सौ रूपये तक का हो सकेगा, या दोनों से , दंडित किया जाएगा। और यदि ऐसी अवज्ञा मानव जीवन, स्वास्थ्य या क्षेम को संकट कारित करे, या कारित करने कि प्रवृति रखती हो, या बल्वा या दंगा कारित करती हो, या कारित करने की प्रवृति रखती हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडित किया जाएगा। स्पष्टीकरण–यह आवश्यक नहीं है कि अपराधी का आशय अपहानि उत्पन्न करने का हो या उसके ध्यान में यह हो कि उसकी अवज्ञा करने से अपहानि होना संभाव्य है | यह पर्याप्त है कि जिस आदेश की वह अवज्ञा करता है, उस आदेश का उसे ज्ञान है, और यह भी ज्ञान है कि उसके अवज्ञा करने से अपहानि उत्नन्न होती या होनी संभाव्य है। दृष्टांत एक आदेश, जिसमें यह निदेश है कि अघुक धार्मिक जुलूस अमुक सड़क से होकर न निकले, ऐसे लोक सेवक द्वारा प्रख्यापित किया जाता है, जो ऐसा आदेश प्रख्यापित करने के लिए विधिपूर्वक सशक्त है। क जानते हुए उस आदेश कि अवज्ञा करता है, और तद्वारा बल्वे का संकट कारित करता है। क ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है। |
श्रोत- https://mha.gov.in/sites/default/files/PR_Consolidated%20Guideline%20of%20MHA_28032020%20%281%29_0.PDF
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