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Compassionate Grounds appointment in Railways- Cases of second wife and her wards दूसरी पत्‍नी और उसके बच्‍चों की अनुकंपा पर रेलवे में नियुक्ति

Compassionate Grounds appointment in Railways- Cases of second wife and her wards दूसरी पत्‍नी और उसके बच्‍चों की अनुकंपा पर रेलवे में नियुक्ति

Compassionate+appointment

RBE No. .218/ 2019

GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF RAILWAYS
(RAILWAY BOARD)

No. E(NG)II / 2016 / RC-1/ CR/ 12 (Pt)

New Delhi, dated 30.12.2019

The General Manager (P)
All Indian Railways/ PUs
(As per standard mailing list)

Sub: Appointment on Compassionate Grounds – cases of second wife and her wards.

Attention is invited to Board’s letter No.E( NG)II / 91/ RC-1/ 136 dated 02.01.1992 (RBE No . 1/ 1992) wherein it has been laid down that in the case of railway employee dying in harness, etc. leaving more than one widow along with children born to the second wife, while settlement dues may be shared by both widows due to Court orders or otherwise on merits of each case, appointment on compassionate grounds to the second widow and her children are not be considered unless the administration has permitted the second marriage in special circumstances, taking into account the personal law, etc.

2. In the case of Union of India vs. V.R. Tripathi, the Hon’ble Supreme Court had, vide their order dated 11.12.2018 in OA No. 12015/2018 (arising out of SLP(C) No. 32004 / 2016) dismissed on merits the Appeal filed against the Hon’ble Bombay High Court’s Order in WP No. 910/ 2015 and in WP No.892 / 2015 in two Central Railway cases that permitted consideration for grant of compassionate appointment to the child of the 2nd wife of the deceased Railway employee. Subsequently, several other judgements of Hon’ble High Courts have been received in which consideration for grant of compassionate ground appointment to a child born to the 2nd wife of the employee has been directed based on similar ratio.

3. The matter has, therefore, been reviewed by Board in view of above Judicial pronouncements considering also the views of the Central Agency Section of the Ministry of Law & Justice. In partial supersession of Board’s Circular No. E(NG)II / 91/ RC-1/ 136 dated 02.01.1992 (RBE No. 1/ 1992) referred to, it has now been decided that children born to the second wife may also be considered for compassionate appointment even where the second marriage has not been specifically permitted by the administration. However. since compassionate appointment after demise of the Railway employee can be considered for granting to only one dependent family member on merits, a child born to the second wife can be considered for such appointment only after ascertaining that there is no objection to this from the first wife or her children. Where the first wife (legally wedded wife) opts for such compassionate appointment either for herself or one of her own children, such claim will have priority over any competing claim made by the second wife for any of her children. ·

Joint Director, Estt. (N) II
Railway Board

रेलवे: अनुकम्पा के आधार पर दूसरी पत्‍नी और उसके बच्‍चों की नियुक्ति संबन्धित – आरबीई सं. 218/2019

भारत सरकार/GOVERNMENT OF INDIA
रेल मन्‍त्रालय/MINISTRY OF RAILWAYS
(रेलवे बोर्ड)/ (RAILWAY BOARD)

आरबीई सं. 218/2019

सं. ई(एनजी)II/2016/आरसी-1/सीआर/12 (पार्ट)

नई दिल्‍ली, दिनांक 30.12.2019

महाप्रबंधक (कार्मिक),
सभी क्षेत्रीय रेलें/उत्पादन इकाइयां,
(मानक डाक सूची के अनुसार)

विषय: अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति-दूसरी पत्नी और उसके बच्चों से संबंधित मामले।

आपका ध्यान बोर्ड के दिनांक 02.01.1992 के पत्र सं.ई(एनजी)।॥//आरसी-1/136 (आरबीई सं.1/1992) की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसमें यह निर्धारित किया गया है कि कार्य करते समय कर्मचारी की मृत्‍यु होने आदि के मामले में, जिसकी दूसरी पत्नी से हुए बच्चों सहित एक से ज्यादा विधवाए हों, न्यायालय के आदेशों के अनसार ऐसे मामले में अथवा अन्यथा प्रत्येक मामले की वरीयता के अनुसार पावने की राशि को दोनों विधवाओं दवारा आपस में बांटा जाए और अनकम्पा के आधार पर दूसरी विधवा तथा उसके बच्चों को नौकरी देने पर तब तक विचार नहीं किया जाए, जब तक की निजी कानून आदि को ध्यान में रखते हुए प्रशासन द्वारा विशेष परिस्थितियों में दूसरे विवाह को मंजूरी न दी गई हो।

2. भारत सरकार बनाम वी. आर. त्रिपाठी के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ओ. ए. सं. 12015/2018 (एसएलपी (सी) सं. 32004/2016 से उत्पन्न) में दिनांक 11.12.2018 के अपने आदेश के तहत डब्ल्यू.पी. सं. 910/2015 में और मध्य रेलवे के दो मामलों में डब्ल्य.पी. सं. 892/2015 में, जो मृतक रेल कर्मचारी की दूसरी पत्नी के बच्चों की अनकुम्पा के आधार पर नियुक्ति प्रदान करने के लिए विचार किए जाने को अनुमेय करते हैं, को माननीय उच्च नयायालय बम्बई के आदेश के विरुद्ध की गई अपील को योग्यता के आधार पर खारिज कर दिया गया था। इसके पश्चात माननीय उच्च न्यायालयों के कई अन्य निर्णय आए हैं, जिनमें कर्मचारी की दूसरी पत्नी से हुए बच्चे को अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति प्रदान करने के लिए इसी अनुपात के आधार पर विचार किए जाने का निर्देश दिया गया है।

3. अत: उक्त न्यायिक घोषणा को ध्यान में रखते हुए और कानून एवं न्याय मंत्रालय के सैंट्रल एजेंसी अनुभाग की टिप्पणियों पर विचार करते हुए बोर्ड दवारा इस मामले की समीक्षा की गई है। बोर्ड के दिनांक 02.01.1992 के संदर्भित परिपत्र सं. ई(एनजी)॥/आरसी-1/136 (आरबीई सं. 1/1992) के आंशिक अधिक्रमण में, अब यह विनिश्चय किया गया है कि दूसरी पत्नी से हुए बच्‍चों की अनुकम्‍पा के आधार पर नियुक्ति पर भी विचार किया जाए, चाहे प्रशासन द्वारा विशेष रूप से दूसरे विवाह को अनुमति न दी गई हो। बहरहाल, चूंकि रेल कर्मचारी की मृत्यु के पश्चात्‌ वरीयता के आधार पर केवल एक आश्रित को अनुकम्पा पर नियुक्ति प्रदान किए जाने पर विचार किया जा सकता है, अत: ऐसी नियुक्ति के लिए दूसरी पत्नी से हुए बच्चों पर विचार किया जा सकता है, जिसमें यह सनिश्चित किया जाएगा कि पहली पत्नी अथवा उसके बच्चों को इसमें कोई आपत्ति नहीं है। यदि पहली पत्नी (विधिक रूप से विवाहित पत्नी) अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति के लिए स्वयं अथवा उसके बच्चों में से किसी एक की नियुक्ति का विकल्प देती है तो ऐसे दावे को दूसरी पत्नी द्वारा उसके बच्चों के लिए किए गए किसी भी दावे के ऊपर प्राथमिकता दी जाएगी।

(एम. एम. राय)
संयुक्त निदेशक स्थापना (एन)-।।
रेलवे बोर्ड

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